प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त आपरेशन-कक्ष में |
प्रो० रमा कान्त ने बताया कि बवासीर दोनों पुरुषों और महिलाओं में आम है. चिरकालिक कब्ज़, बार-बार होने वाले दस्त, मोटापा, व्यायाम या शारीरिक परिश्रम न करना, शौच के दौरान जोर लगाना और लम्बे समय तक बैठे रहना, आदि कुछ कारण हैं जिसके वजह से पाईल्स या बवासीर होने की सम्भावना अधिक बढ़ जाती है. ५० साल से ऊपर लगभग ५०% लोगों को कम से कम एक बार ऐसी समस्या हो चुकी होती है और ७० वर्ष से ऊपर लगभग ८५% लोगों को बवासीर से जूझना पड़ता है."
प्रो० रमा कान्त ने कहा कि "बवासीर के नवीन विधि डीजीएचएएल और आरएआर द्वारा उपचार में रोगी कुछ ही घंटे अस्पताल में रह कर, दूसरे दिन से ही सामान्य रूप से कार्य कर सकता है।" बगैर चीरा लगाए, एक अत्याधुनिक विधि के द्वारा बवासीर का इलाज करने में सिद्धहस्त, प्रो० (डॉ) रमा कान्त कई सालों से नवीन विधियों ‘डी0जी0एच0ए0एल0 और आर0ए0आर0 से बवासीर या पाइल्स का उपचार कर रहे हैं। वें आस्ट्रिया एवं तुर्की के विश्व-विख्यात बवासीर उपचार एवं शोध केन्द्रों में प्रशिक्षित भी हैं।
बवासीर के नवीन विधि डीजीएचएएल और आरएआर से प्रो० रमा कान्त ३५०० से अधिक रोगियों का उपचार कर चुके हैं. इन मरीजों के आंकड़ें देखें तो इलाज उपरान्त २.८ दिन में यह अपने कार्य पर वापस जा पाए थे. बवासीर के नवीन विधि डीजीएचएएल और आरएआर द्वारा न केवल रोगी को पाईल्स से आराम मिलता है बल्कि अधिक संगीन बीमारियों के होने का खतरा भी टलता है.
प्रो० रमा कान्त ने विश्व पाईल्स दिवस के पहले अपील की कि हम लोग स्वस्थ जीवन शैली चुने, इससे सिर्फ पाईल्स ही नहीं अत्यधिक लाभकारी परिणाम होंगे. उदहारण के तौर पर, भोजन में अधिक फाइबर, फल और पानी का पर्याप्त सेवन करें, नियमित व्यायाम और शारीरिक परिश्रम करें, यदि कोई भी पाईल्स होने का लक्षण हो तो चिकित्सक को दिखाए जरूर जिससे कि बिना विलम्ब जांच और सही इलाज हो सके.
सिटीजन न्यूज़ सर्विस (सीएनएस)
१५ नवम्बर २०१५