विश्व मधुमेह दिवस पर भारत टीबी-मधुमेह सम्बंधित बाली-घोषणापत्र को समर्थन दे: अपील

स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने भारत सरकार से अपील की है कि आगामी विश्व मधुमेह दिवस १४ नवम्बर को बाली-घोषणापत्र को अपना समर्थन दे कर, टीबी और मधुमेह के सह-महामारी को रोकने के प्रयासों में तेज़ी लाये. इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बाली-घोषणापत्र को समर्थन दे कर दोनों महामारियों के नियंत्रण के प्रति अपना मत दिया है. सीएनएस स्वास्थ्य को वोट अभियान की वरिष्ठ सलाहकार शोभा शुक्ला ने कहा कि "भारत समेत सभी देश जहां टीबी और मधुमेह दोनों एक महामारी का प्रकोप लिए हुए हैं, उनको चाहिए कि बाली घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करें और टीबी और मधुमेह कार्यक्रमों में सक्रीय तालमेल बिठाएं. भारत में विश्व में सबसे अधिक टीबी के रोगी हैं और मधुमेह भी महामारी के रूप में स्थापित है, इसीलिए दोनों कार्यक्रमों में भी समन्वय होना आवश्यक है."

१०० से अधिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बाली घोषणापत्र को अपना समर्थन दिया है, जिनमें इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट टीबी एंड लंग डीजीस और वर्ल्ड डायबिटीज फाउंडेशन प्रमुख हैं.

बाली घोषणापत्र के अनुसार:
- टीबी और मधुमेह, जन स्वास्थ्य के लिए दो प्रमुख चुनौतियाँ हैं, और दोनों की सह-महामारी गंभीर वैश्विक समस्या है
- यदि सह-महामारी को नियंत्रित नहीं करेंगे तो टीबी नियंत्रण के लिए जो प्रगति हुई है वो खो सकती है
- जन-स्वास्थ्य के अनुभव से, जैसे कि टीबी और एचआईवी कार्यक्रमों में समन्वयन आवश्यक है, उसी तरह यह जरुरी है कि टीबी और मधुमेह नीतियों और कार्यक्रमों में भी प्रभावकारी समन्वयन हो, जिससे कि मृत्यु दर भी कम हो और रोग अनुपात भी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक द्वारा पुरुस्कृत प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने बताया कि "मधुमेह से हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है जिससे कारणवश व्यक्ति को टीबी रोग होने का खतरा ३ गुना बढ़ जाता है. शोध के अनुसार, मधुमेह के कारण टीबी के इलाज के नतीजे में भी गिरावट आती है, बलगम के 'कल्चर' जांच के नतीजे देर में मिलते हैं, टीबी इलाज असफल होने का खतरा बढ़ता है, और टीबी इलाज सफल होने पर भी मधुमेह के कारण दोबारा टीबी होने का खतरा भी बढ़ता है. उसी तरह, टीबी होने के कारण मधुमेह नियंत्रण में परेशानी होती है, अस्थायी रूप से रक्त-ग्लूकोस स्तर बढ़ जाता है, टीबी की कुछ दवाएं जैसे कि रिफम्पिसिन से मधुमेह नियंत्रण में दिक्कत आती है (दवा-दवा परस्पिरिक-क्रिया). मधुमेह की दवाओं से टीबी की दवाओं का प्रभाव भी कम हो सकता है."

१५ लाख लोग २०१४ में टीबी से मृत हुए थे. ३८.७ करोड़ लोगों को विश्व में मधुमेह रोग है. जिन देशों में मधुमेह महामारी का प्रकोप लिए हुए है उनमें से अधिकाँश देश ऐसे हैं जहाँ टीबी भी महामारी बनी हुई है.

भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय टीबी विभाग के डॉ केएस सचदेवा ने सीएनएस वेबिनार में बताया कि टीबी और मधुमेह कार्यक्रमों में समन्वय भारत के १०० जिलों में आरंभ हो गया है और इसको बढ़ाना चाहिए. योजना के तहत, इसको १०० से बढ़ा कर १८० जिलों में लागू किया जायेगा (जहाँ एन्पीसीदीसीएस कार्यक्रम मौजूद हो). इस टीबी मधुमेह समन्वयन कार्यक्रम के तहत, १) टीबी के सभी पंजीकृत रोगी को मधुमेह के लिए भी जांचा जाता है, और यदि मधुमेह हो तो मधुमेह प्रबंधन सेवा भी दी जाती है, २) मधुमेह रोगियों में टीबी की जांच होती है और यदि टीबी रोग हो तो मानक के अनुसार उपचार भी दिया जाता है, और ३) मधुमेह क्लिनिक में टीबी संक्रमण नियंत्रण भी मानक के अनुसार लागू किया जाता है.

शोभा शुक्ला ने अपील की कि "भारत में मधुमेह और टीबी कार्यक्रमों के मध्य समन्वयन को बिना विलम्ब बढ़ाना चाहिए, और भारत समेत सभी देशों में जहां टीबी और मधुमेह महामारी का प्रकोप लिए हुए हैं, उनको बाली घोषणापत्र को अपना समर्थन दे कर, टीबी मधुमेह समन्वयन कार्यक्रम लागू करना चाहिए."

बाबी रमाकांत, सिटीजन न्यूज़ सर्विस (सीएनएस)
७ नवम्बर २०१५