जितेन्द्र कौशल सिंह, सिटिज़न न्यूज सर्विस - सीएनएस
लडकियों में किशोरावस्था की शुरूआत एक ऐसा समय होता है जब वे विभिन्न शारीरिक एवं मानसिक परिवर्तन की परिस्थितियों से गुजरती हैं । इस दौरान किशोरियों में हर परिवर्तन के बारे में जानने की उत्सुकता जन्म लेती है। किशोरावस्था ही ऐसा समय है जिस समय प्रजनन अंगो का विकास एवं परिवर्तन तेजी से होता है। इस दौरान किशोरियों में माहवारी की शुरूआत होती है।
ऐसे में किशोरियों को माहवारी के बारे में उचित जानकारी न होने के कारण उनके स्वास्थ्य पर न केवल प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, वरन उन्हें अस्वच्छता की दशा में प्रजनन अंगो से सम्बन्धित तमाम संक्रमण पोषित बीमारियों से भी जूझना पडता है। राष्ट्रीय परिवार कल्याण सर्वे 3 के अनुसार 84 प्रतिशत किशोरियां मासिक धर्म के समय पुराने कपडे इस्तेमाल करती हैं, जो आगे चलकर अनेक संक्रमणों का कारण बन जाता है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाल में ही शुरू किये गये किशोरी सुरक्षा योजना के तहत कक्षा 6 से 12वीं तक सरकारी विद्यालयों में निःशुल्क सेनेटरी पैड के वितरण की शुरूआत की गयी है, जिसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश में 2017 तक पूरी तरह से माहवारी स्वच्छता के लक्ष्य को प्राप्त करना है। इस योजना के तहत न केवल किशोरियों में माहवारी के दौरान सेनेटरी नैपकीन की उपयोगिता को बढावा दिया जायेगा बल्कि मासिक धर्म से जुडे अनेक अंधविश्वास को दूर करने के लिए उन्हें जागरूक भी किया जायेगा।
बस्ती जिले के बहादुरपुर ब्लाक के निंरजनपुर गांव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य ने बताया कि किशोरी स्वास्थ्य योजना के अन्तर्गत दो बार सेनेटरी पैडों का वितरण किया गया है। जिसके लिए विद्यालय में अनुदेशिका पद पर कार्यरत एक महिला ने विद्यालय की बालिकाओं से बातचीत की और वितरण कराया। उन्होंने कहा कि गांव की स्वास्थकर्मी, ए.एन.एम. व आशा बहू का सहयोग मिलता तो बच्चियों को समझाना और वितरण करना अधिक आसान होता। अगर सरकारी व प्राइवेट विद्यालयों में सेनेटरी पैड के बारे में पूरी जानकारी मिले व परिवार के लोगों का सहयोग मिले तो किशोरियों का मासिक धर्म के दौरान के विद्यालय से अनुपस्थित रहने का सिलसिला पूरी तरह थम जाता। लेकिन वास्तविक हालात कुछ और हैं।
जब इसी विषय पर नगर बाजार जूनियर हाईस्कूल की प्रधानाचार्या कलावती चौधरी से बातचीत की गयी तो उन्होंने बताया कि सेनेटरी पैड का वितरण विद्यालय में दो बार हुआ है, जिसका असर विद्यालय के उपस्थिति रजिस्टर में साफ देखा जा सकता है। इस वितरण के कारण लड़कियों की विद्यालय में अनुपस्थित दर काफी काम हुई है। सेनेटरी पैड के बदलने के लिए किशोरियों को साफ सुथरे एवं सुरक्षित स्थान की आवश्यकता होती है। जिसके लिए वे स्कूल के शौचालयों का इस्तेमाल करती हैं। परन्तु गांव में विद्यालयों शौचालयों की हालत बेहद खराब है। उनकी साफ सफाई की कोई व्यवस्था नही है।
किशारी सुरक्षा योजना को और प्रभावी व बेहतर बनाने के लिए परिषदीय विद्यालयो के अलावा प्राइवेट विद्यालयों को भी इसमें शामिल कर ग्राम प्रधानों, आशा बहुओं व महिला स्वास्थ कर्मियों मदद से ही यह योजना पूरी तरह सफल हो पायेगी। पिपरा गौतम जूनियर हाईस्कूल की प्रधानाचार्य बिन्दू सिंह का कहना है कि किशोरी सुरक्षा योजना के अन्तर्गत दो बार सेनेटरी पैड का वितरण किया गया, जिसमें विद्यालय की अध्यापिकाओं ने छात्राओं से बातचीत की और वितरण का कार्य किया। वितरण के दौरान रजिस्टर पर सभी छात्राओं ने हस्ताक्षर कर सेनेटरी पैड प्राप्त किये। इस योजना की अगर बेहतर मानिटरिंग हो तो परिणाम बेहद आश्चर्यजनक होगें लेकिन उचित मानिटरिंग न होने के कारण और जिम्मेदार लोगो के द्वारा रूचि न लेने के कारण इस योजना का पूर्ण लाभ सभी किशोरियों को नहीं मिल पा रहा है
जितेन्द्र कौशल सिंह, सिटिज़न न्यूज सर्विस - सीएनएस
७ जून, २०१६
लडकियों में किशोरावस्था की शुरूआत एक ऐसा समय होता है जब वे विभिन्न शारीरिक एवं मानसिक परिवर्तन की परिस्थितियों से गुजरती हैं । इस दौरान किशोरियों में हर परिवर्तन के बारे में जानने की उत्सुकता जन्म लेती है। किशोरावस्था ही ऐसा समय है जिस समय प्रजनन अंगो का विकास एवं परिवर्तन तेजी से होता है। इस दौरान किशोरियों में माहवारी की शुरूआत होती है।
ऐसे में किशोरियों को माहवारी के बारे में उचित जानकारी न होने के कारण उनके स्वास्थ्य पर न केवल प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, वरन उन्हें अस्वच्छता की दशा में प्रजनन अंगो से सम्बन्धित तमाम संक्रमण पोषित बीमारियों से भी जूझना पडता है। राष्ट्रीय परिवार कल्याण सर्वे 3 के अनुसार 84 प्रतिशत किशोरियां मासिक धर्म के समय पुराने कपडे इस्तेमाल करती हैं, जो आगे चलकर अनेक संक्रमणों का कारण बन जाता है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाल में ही शुरू किये गये किशोरी सुरक्षा योजना के तहत कक्षा 6 से 12वीं तक सरकारी विद्यालयों में निःशुल्क सेनेटरी पैड के वितरण की शुरूआत की गयी है, जिसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश में 2017 तक पूरी तरह से माहवारी स्वच्छता के लक्ष्य को प्राप्त करना है। इस योजना के तहत न केवल किशोरियों में माहवारी के दौरान सेनेटरी नैपकीन की उपयोगिता को बढावा दिया जायेगा बल्कि मासिक धर्म से जुडे अनेक अंधविश्वास को दूर करने के लिए उन्हें जागरूक भी किया जायेगा।
बस्ती जिले के बहादुरपुर ब्लाक के निंरजनपुर गांव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य ने बताया कि किशोरी स्वास्थ्य योजना के अन्तर्गत दो बार सेनेटरी पैडों का वितरण किया गया है। जिसके लिए विद्यालय में अनुदेशिका पद पर कार्यरत एक महिला ने विद्यालय की बालिकाओं से बातचीत की और वितरण कराया। उन्होंने कहा कि गांव की स्वास्थकर्मी, ए.एन.एम. व आशा बहू का सहयोग मिलता तो बच्चियों को समझाना और वितरण करना अधिक आसान होता। अगर सरकारी व प्राइवेट विद्यालयों में सेनेटरी पैड के बारे में पूरी जानकारी मिले व परिवार के लोगों का सहयोग मिले तो किशोरियों का मासिक धर्म के दौरान के विद्यालय से अनुपस्थित रहने का सिलसिला पूरी तरह थम जाता। लेकिन वास्तविक हालात कुछ और हैं।
जब इसी विषय पर नगर बाजार जूनियर हाईस्कूल की प्रधानाचार्या कलावती चौधरी से बातचीत की गयी तो उन्होंने बताया कि सेनेटरी पैड का वितरण विद्यालय में दो बार हुआ है, जिसका असर विद्यालय के उपस्थिति रजिस्टर में साफ देखा जा सकता है। इस वितरण के कारण लड़कियों की विद्यालय में अनुपस्थित दर काफी काम हुई है। सेनेटरी पैड के बदलने के लिए किशोरियों को साफ सुथरे एवं सुरक्षित स्थान की आवश्यकता होती है। जिसके लिए वे स्कूल के शौचालयों का इस्तेमाल करती हैं। परन्तु गांव में विद्यालयों शौचालयों की हालत बेहद खराब है। उनकी साफ सफाई की कोई व्यवस्था नही है।
किशारी सुरक्षा योजना को और प्रभावी व बेहतर बनाने के लिए परिषदीय विद्यालयो के अलावा प्राइवेट विद्यालयों को भी इसमें शामिल कर ग्राम प्रधानों, आशा बहुओं व महिला स्वास्थ कर्मियों मदद से ही यह योजना पूरी तरह सफल हो पायेगी। पिपरा गौतम जूनियर हाईस्कूल की प्रधानाचार्य बिन्दू सिंह का कहना है कि किशोरी सुरक्षा योजना के अन्तर्गत दो बार सेनेटरी पैड का वितरण किया गया, जिसमें विद्यालय की अध्यापिकाओं ने छात्राओं से बातचीत की और वितरण का कार्य किया। वितरण के दौरान रजिस्टर पर सभी छात्राओं ने हस्ताक्षर कर सेनेटरी पैड प्राप्त किये। इस योजना की अगर बेहतर मानिटरिंग हो तो परिणाम बेहद आश्चर्यजनक होगें लेकिन उचित मानिटरिंग न होने के कारण और जिम्मेदार लोगो के द्वारा रूचि न लेने के कारण इस योजना का पूर्ण लाभ सभी किशोरियों को नहीं मिल पा रहा है
जितेन्द्र कौशल सिंह, सिटिज़न न्यूज सर्विस - सीएनएस
७ जून, २०१६