संयुक्त राष्ट्र में, 190 से अधिक देशों की सरकारों ने 2030 तक सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals/ SDGs) पूरे करने का वादा तो किया है पर विभिन्न देशों की आन्तरिक वास्तविकता देखें तो अक्सर सरकारें इन सतत विकास लक्ष्य के विपरीत निर्णय लेती हैं. उदहारण के तौर पर, कुछ देशों में आंतरिक संकट मंडरा रहा है तो कुछ देशों में शक्तिशाली देशों के हमले से प्रशासन-व्यवस्था तार-तार है. भारत समेत अनेक देशों की आर्थिक नीति ऐसी है कि गरीब अधिक गरीबी में धस रहा है और अमीर अधिक अमीर हो रहा है.
टीबी से बचाव और टीबी के इलाज में है सीधा नाता
टीबी फैलने से रोकना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2015 में 28 लाख टीबी के नए रोगी चिन्हित हुए, जो 2014 की तुलना में 6 लाख अधिक है. भारत में 2015 में 480000 टीबी मृत्यु हुईं जो 2014 की तुलना में लगभग दोगुनी हैं. टीबी का इलाज भी सभी जरुरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है. एक ओर भारत सरकार का दावा है कि टीबी 2025 तक समाप्त हो जाएगी और दूसरी तरफ यह आकड़ें जो अत्यंत संगीन स्थिति का संकेत दे रहे हैं. हर टीबी रोगी को पक्की जांच और असरकारी दवा नहीं मिलेगी तो टीबी फैलने से कैसे रुकेगी?
[विश्व टीबी दिवस 2017] प्रभावकारी ढंग से टीबी कार्यक्रम क्रियान्वित करना ही सबसे श्रेष्ठ 'वैक्सीन' है
[वेबिनार रिकॉर्डिंग देखें] [वेबिनार ऑडियो पॉडकास्ट सुनें] 2017 विश्व टीबी दिवस से पूर्व यह मूल्यांकन करना लाज़मी है कि दशकों से राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम के सक्रिय होने के बावजूद क्यों भारत में अन्य देशों की तुलना में सबसे अधिक टीबी (तपेदिक) है? वर्तमान में भारत के लगभग हर जिले में अति-आधुनिक जीन-एक्स्पर्ट (Gene Xpert) 'मोलिक्योलर' जाँच विधि उपलब्ध है जो टीबी की पक्की जाँच और दवा प्रतिरोधक टीबी की ठोस जानकारी 2 घंटे के भीतर देती है। 5 लाख से अधिक डॉट्स सेवा केंद्र हैं और डॉट्स स्वास्थ्यकर्मी हैं जो रोगी की मदद करते हैं जिससे इलाज पक्का हो और सफलतापूर्वक पूरा हो सके. सभी जाँच और इलाज सरकारी केंद्रों में नि:शुल्क उपलब्ध है।
लोकतंत्र व गरीब के लिए उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार बनना कोई अच्छी खबर नहीं
डॉ संदीप पाण्डेय, सीएनएस वरिष्ठ स्तंभकार और मग्सेसे पुरुस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता
उत्तर प्रदेश के 2017 के विधान सभा चुनावों में चौंकाने वाले परिणाम लाते हुए भारतीय जनता पार्टी ने 403 में से 325 सीटें हासिल कर ली हैं। भाजपा का नारा है ‘सबका साथ, सबका विकास,' किंतु न तो 2014 के संसद चुनाव में और न ही ताजा विधान सभा चुनाव में भाजपा ने किसी मुस्लिम को अपना उम्मीदवार बनाया। उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आबादी 19.3 प्रतिशत है। भाजपा ने मुस्लिम मतों को भी हासिल करने का कोई प्रयास नहीं किया। भाजपा और उसकी वैचारिक प्रेरणा स्रोत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि उनकी राजनीति में मुसलमानों का कोई स्थान नहीं है।
उत्तर प्रदेश के 2017 के विधान सभा चुनावों में चौंकाने वाले परिणाम लाते हुए भारतीय जनता पार्टी ने 403 में से 325 सीटें हासिल कर ली हैं। भाजपा का नारा है ‘सबका साथ, सबका विकास,' किंतु न तो 2014 के संसद चुनाव में और न ही ताजा विधान सभा चुनाव में भाजपा ने किसी मुस्लिम को अपना उम्मीदवार बनाया। उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आबादी 19.3 प्रतिशत है। भाजपा ने मुस्लिम मतों को भी हासिल करने का कोई प्रयास नहीं किया। भाजपा और उसकी वैचारिक प्रेरणा स्रोत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि उनकी राजनीति में मुसलमानों का कोई स्थान नहीं है।
[विश्व टीबी दिवस 2017] टीबी के पक्के इलाज के लिए जरुरी हैं असरकारी दवाएं
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़ों के अनुसार दुनिया में सबसे अधिक टीबी भारत में है और दवा प्रतिरोधक टीबी का दर भी सर्वाधिक है। हालाँकि पिछले सालों में निरंतर टीबी दर में 1% से अधिक गिरावट आ रही थी पर 2015 में भारत में न केवल टीबी दर बढ़ गया बल्कि टीबी मृत्यु दर में भी बढ़ोतरी हो गयी. एक जरुरी सवाल यह भी है कि क्या टीबी का इलाज असरकारी दवाओं से हो रहा है?
साफ़ राजनीति की आशा न छोड़ें: उत्तर प्रदेश में 7.57 लाख लोगों ने 'इनमें से कोई नहीं' (नोटा) वोट दिया
हिंदुस्तान टाइम्स, 12 मार्च 2017 |
[विश्व टीबी दिवस 2017] टीबी उन्मूलन मुश्किल है पर असंभव नहीं!
[English] [विडियो साक्षात्कार देखें] [पॉडकास्ट सुनने या डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें]
टीबी नियंत्रण कार्यक्रम अनेक दशकों से चल रहे हैं पर जिस अति-धीमी गति से टीबी दरों में गिरावट साल-दर-साल आ रही है उस गति से 2184 साल तक टीबी उन्मूलन हो सकेगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, 2015 में तो भारत में टीबी दर में गिरावट के बजाय बढ़ोतरी हो गयी और टीबी मृत्यु दर में भी इजाफा हुआ. भारत सरकार समेत 190 देशों से अधिक की सरकारों ने 2030 तक टीबी उन्मूलन का वादा किया है. पर यह सपना कैसा पूरा हो? यह जानने के लिए सीएनएस (सिटीजन न्यूज़ सर्विस) ने डॉ केके चोपड़ा, निदेशक, नई दिल्ली टीबी सेंटर से मुलाकात की. डॉ केके चोपड़ा, पिछले 33 सालों से टीबी नियंत्रण कार्यों के लिए समर्पित रहे हैं.
डॉ केके चोपड़ा, निदेशक, नयी दिल्ली टीबी सेंटर |
[अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2017] गैर-बराबरी और महिला हिंसा पर पर्दा न डालें, उसको समाप्त करें!
डॉ संदीप पाण्डेय, सीएनएस वरिष्ठ स्तंभकार और मग्सेसे पुरुस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता
महिला दिवस के पहले भारत ने एक उपलब्धि हासिल की। पहली बार सिर्फ महिला कर्मियों द्वारा संचालित एक एअर-इण्डिया वायुयान यात्रियों को दिल्ली से अमरीका के सैन-फ्रांसिसको तक ले गया और फिर वापस लाया। इसमें वायुयान के अंदर ही नहीं बाहर भी अभियंता आदि कर्मी सभी महिलाएं थीं। क्या ये भारत में महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है?
एअर-इण्डिया खुद ही अब कुछ सीटें महिलाओं के लिए अलग से रखता है क्यों कि वर्ष के शुरू में महिलाओं के साथ हवाई यात्रा के दौरान छेड़-छाड़ की घटनाएं सामने आईं थीं। देखा जाए तो महिलाओं के खिलाफ हिंसा की जो घटनाएं देश में घटती हैं उसके आधार पर हम नहीं कह सकते कि देश में महिलाएं सुरक्षित हैं।
भारत में हरेक 3 मिनट में किसी महिला के साथ हिंसा की घटना होती है औा हरेक 9 मिनट में हिंसा करने वाला पति या पति के परिवार का ही कोई व्यक्ति होता है। दहेज के कारण मारी जाने वाली महिलाओं की संख्या प्रति वर्ष आठ हजार से ऊपर होती है। प्रति वर्ष करीब पच्चीस हजार बलात्कार की घटनाएं होती हैं जबकि बलात्कार की सारी घटनाएं दर्ज नहीं की जाती हैं। बलात्कार के इरादे से किए गए हमले तो इसके करीब दोगुने होते हैं। बलात्कार के जो मामले पुलिस दर्ज करती भी है तो उनमें से आरोपियों को सजा बहुत कम मामलों में मिल पाती है। पति या पति के परिवार द्वारा महिला के खिलाफ हिंसा के एक लाख से ज्यादा मामले होते हैं। चालीस हजार के करीब महिलाओं का प्रति वर्ष अपहरण हो जाता है।
महिला दिवस के पहले भारत ने एक उपलब्धि हासिल की। पहली बार सिर्फ महिला कर्मियों द्वारा संचालित एक एअर-इण्डिया वायुयान यात्रियों को दिल्ली से अमरीका के सैन-फ्रांसिसको तक ले गया और फिर वापस लाया। इसमें वायुयान के अंदर ही नहीं बाहर भी अभियंता आदि कर्मी सभी महिलाएं थीं। क्या ये भारत में महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है?
एअर-इण्डिया खुद ही अब कुछ सीटें महिलाओं के लिए अलग से रखता है क्यों कि वर्ष के शुरू में महिलाओं के साथ हवाई यात्रा के दौरान छेड़-छाड़ की घटनाएं सामने आईं थीं। देखा जाए तो महिलाओं के खिलाफ हिंसा की जो घटनाएं देश में घटती हैं उसके आधार पर हम नहीं कह सकते कि देश में महिलाएं सुरक्षित हैं।
भारत में हरेक 3 मिनट में किसी महिला के साथ हिंसा की घटना होती है औा हरेक 9 मिनट में हिंसा करने वाला पति या पति के परिवार का ही कोई व्यक्ति होता है। दहेज के कारण मारी जाने वाली महिलाओं की संख्या प्रति वर्ष आठ हजार से ऊपर होती है। प्रति वर्ष करीब पच्चीस हजार बलात्कार की घटनाएं होती हैं जबकि बलात्कार की सारी घटनाएं दर्ज नहीं की जाती हैं। बलात्कार के इरादे से किए गए हमले तो इसके करीब दोगुने होते हैं। बलात्कार के जो मामले पुलिस दर्ज करती भी है तो उनमें से आरोपियों को सजा बहुत कम मामलों में मिल पाती है। पति या पति के परिवार द्वारा महिला के खिलाफ हिंसा के एक लाख से ज्यादा मामले होते हैं। चालीस हजार के करीब महिलाओं का प्रति वर्ष अपहरण हो जाता है।
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