अब इसमें कोई संदेह नहीं कि टीबी मुक्त भारत का सपना सिर्फ स्वास्थ्य कार्यक्रम के ज़रिए नहीं पूरा किया जा सकता है. टीबी होने का खतरा अनेक कारणों से बढ़ता है जिनमें से कुछ स्वास्थ्य विभाग की परिधि से बाहर हैं. उसी तरह टीबी के इलाज पूरा करने में जो बाधाएं हैं वे अक्सर सिर्फ स्वास्थ्य कार्यक्रमों से पूरी तरह दूर हो ही नहीं सकतीं - उदहारण के तौर पर - गरीबी, कुपोषण, आदि. इसीलिए टीबी मुक्त भारत का सपना, सभी स्वास्थ्य और ग़ैर-स्वास्थ्य वर्गों के एकजुट होने पर ही पूरा हो सकता है. इसी केंद्रीय विचार से प्रेरित हो कर, विश्व स्वास्थ्य दिवस 2017 के उपलक्ष्य में, हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्थित, हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) के परिसर में, टीबी मुक्त भारत सम्मेलन का आयोजन हुआ.
इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट टीबी एंड लंग डिजीज (द यूनियन) की पहल पर अनेक विशिष्ठ सह-आयोजकों के साथ संपन्न हुए इस सम्मेलन की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इसमें स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ ग़ैर-स्वास्थ्य वर्गों ने भी सक्रियता से भाग किया। प्रतिभागियों में शामिल थे: अनेक बॉलीवुड फ़िल्म सितारे, सांसद, भारतीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं सतत विकास संगठन, टीबी इलाज पूरा कर चुके हुए प्रेरक लोग, आदि. देश के अनेक शहरों से मीडियाकर्मी भी शामिल थे और राष्ट्रीय दूरदर्शन केंद्र (DDK) ने अपने टीवी प्रसारण में इस सम्मेलन के एक अनोखे अंश को देशभर में 'लाइव' प्रसारित किया.
बॉलीवुड के जानेमाने फिल्म-सितारे जिनमें बॉबी देओल, सुनील शेट्टी, सुहैल खान, सोनू सूद, आफताब शिवदासानी, आदि शामिल थे, सबने टीबी मुक्त भारत के लिए अपना समर्थन दर्ज किया.
फिल्म-स्टार आफताब ने कहा कि इस सम्मलेन में आने से पहले उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि टीबी कितनी बड़ी जनस्वास्थ्य चुनौती है. रोजाना टीबी से 1400 से अधिक लोग भारत में ही मृत होते हैं. इसीलिए जरुरी है हर वर्ग आगे बढ़ कर टीबी उन्मूलन अभियान को ताकत दे.
फिल्म-जगत के शीर्ष कलाकार अमिताभ बच्चन ने कुछ समय पहले ही सार्वजनिक किया था कि टीबी होने पर उन्होंने इलाज सफलतापूर्वक पूरा किया, अपने काम पर पुन: वापस गए और नए आयाम तराशे.
भारत सरकार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नद्दा ने विशेष सत्र की अध्यक्षता की. इस सत्र में, भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमता मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने भी सक्रियता से भाग लिया. कौशल विकास एवं उद्यमता मंत्रालय का इस साल का बजट रुपये 3000 करोड़ से अधिक है जो सतत विकास के लिए जरुरी कौशल को बढ़ावा देगा और सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए जिन कौशल की आवश्यकता है पर जिनकी कमी है, उन्हें विकसित करेगा. इस मंत्रालय का एक अहम् देश-व्यापी कार्यक्रम है: प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना.
अन्य सांसदों जिन्होंने भाग लिया उनमें प्रमुख रहे: अनुराग ठाकुर, सैयद शाहनवाज़ हुसैन, मोहमद अजहरुद्दीन (वरिष्ठ क्रिकेट खिलाड़ी), आदि. हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से सांसद अनुराग ठाकुर ने, जो हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) का नेत्रित्र्व भी कर रहे हैं, टीबी मुक्त भारत सम्मलेन और सांसद-फिल्म-सितारों के बीच प्रतीकात्मक क्रिकेट खेल के आयोजन में ‘द यूनियन’ के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
तय किया बड़ा लक्ष्य: 2021-2022 तक हिमाचल प्रदेश होगा टीबी मुक्त
हिमाचल प्रदेश के राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कॉल सिंह ठाकुर ने विश्व स्वास्थ्य दिवस पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता की और 2021-2022 तक हिमाचल प्रदेश को टीबी मुक्त प्रदेश बनाने का आह्वान किया. कांगरा के ज़िला टीबी अधिकारी डॉ राजेश के० सूद से लेकर हिमाचल प्रदेश के राज्य टीबी अधिकारी और भारत सरकार के राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम के प्रमुख डॉ सुनील खपारडे भी सक्रियता से इस कार्यक्रम में शामिल थे। पंजाब के राज्यपाल बीडी बडनोरे एवं आम आदमी पार्टी के पंजाब प्रदेश समन्वयक गुरप्रीत वाराएच ने भी टीबी मुक्त भारत अभियान को समर्थन दिया.
देश के चुनिन्दा टीबी चिकत्सक एवं वैज्ञानिक भी इस महा-आयोजन में शामिल रहे जिनमें प्रमुख थे: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद् (ICMR) के चेन्नई-स्थित राष्ट्रीय टीबी शोध संस्थान (NIRT) के निदेशक डॉ श्रीकांत प्रसाद त्रिपाठी, दिल्ली स्थित टीबी एवं अन्य फेफड़े रोगों के इलाज के लिए समर्पित राष्ट्रीय संस्थान (NITRD) के निदेशक डॉ रोहित सरीन, दिल्ली प्रदेश के राज्य टीबी अधिकारी और लोक नायक अस्पताल के वरिष्ठ टीबी विशेषज्ञ डॉ अश्वनी खन्ना, बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय टीबी संस्थान के निदेशक डॉ प्रह्लाद कुमार, भुभ्नेश्वर स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद् (ICMR) के केंद्र निदेशक डॉ संघमित्रा पाती, पद्मश्री से सम्मानित वर्ल्ड लंग फाउंडेशन दक्षिण एशिया के अध्यक्ष डॉ जीआर खत्री, आदि.
2025 तक टीबी मुक्त भारत के लिए आवश्यक बजट?
टीबी मुक्त भारत के लिए आवश्यक बजट जुटाना भी एक बड़ी चुनौती है। ग्लोबल फ़ंड टू फ़ाइट एड्स, टीबी एंड मलेरिया (Global Fund to Fight AIDS, TB and Malaria) से जुड़े डॉ क्राइस्टोफ बेन; भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अर्थशास्त्रीय सलाहकार एके झा, अमरीकी सरकार के यूएसएआईडी (USAID) के ज़ेर्सेस सिधवा, सेण्टर फॉर डिजीज कण्ट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) भारत, विश्व स्वास्थ्य संगठन और अनेक निजी उद्योग के प्रतिनिधियों ने टीबी मुक्त भारत के लिए आवश्यक बजट जुटाने पर चर्चा की।
अब तक भारत को ग्लोबल फण्ड से $200 करोड़ प्राप्त
डॉ बेन ने भारत में टीबी नियंत्रण को सशक्त करने के आशय से, आगामी 3 सालों के लिए अमरीकी डॉलर 280 मिल्यन ($ 28 करोड़) के अतिरिक्त अनुदान की घोषणा की.
निजी उद्योग भी टीबी उन्मूलन के लिए आगे बढ़ा
अनेक उद्योगों के प्रतिनिधियों ने टीबी नियंत्रण को सशक्त करने के लिए भाँति प्रकार के सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया।
गेल इण्डिया (GAIL India) के प्रतिनिधि ने बताया कि उनका सालाना ‘उद्योग-सामाजिक जिम्मेदारी’ (CSR) बजट ₹81 करोड़ का है। उनके पाता पेट्रोकेमिकल प्लांट के आसपास के क्षेत्र में टीबी नियंत्रण के लिए मोबाइल चिकित्सकीय गाड़ी चलती है जिससे कि टीबी से जुड़ी सेवाएँ लोगों तक सरलता से पहुँच सकें। इस गाड़ी में डॉक्टर-पैथोलोजिस्ट आदि के अलावा एक्सरे आदि जाँचों की सुविधाएँ भी होती हैं।
दिल्ली मेट्रो कॉर्परेशन लिमिटेड (डीएमआरसी/ DMRC) के वरिष्ठ सह-महाप्रबंधक (संचालन) पीके पाठक जो पूर्व में भारतीय रेल्वे के वरिष्ठ अधिकारी रह चुके हैं, उन्होंने बताया कि दिल्ली मेट्रो भी टीबी कार्यक्रम को सशक्त करने में अपनी भूमिका निभा रही है। दिल्ली मेट्रो पर रोज़ाना 20 लाख से अधिक लोग सफ़र करते हैं। इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट टीबी एंड लंग डिजीज (द यूनियन) के साथ मिल कर उन्होंने डीएमआरसी के प्रशिक्षण संस्थान में अपने सभी कर्मचारियों के लिए एक विशेष टीबी जागरुकता प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया। उनका उद्देश्य था कि डीएमआरसी में कार्यरत हर व्यक्ति टीबी से जुड़ी सही और पूरी जानकारी अपने परिवारजनों, सहकर्मियों और मित्रों आदि के साथ बाँटें और जागरुकता बढ़ाये।
आईएल एंड ऍफ़एस (IL&FS) के प्रतिनिधि ने बताया कि टीबी नियंत्रण, उनके सड़क विकास कार्यक्रमों का, एक महत्वपूर्ण भाग है। वे पिछले सालों से घुमंतू (migrants) कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं. उन्होंने अनेक हाइवे सड़क विकास योजनाओं में टीबी नियंत्रण के भाग को प्रमुखता से शामिल करने का आश्वासन दिया।
जॉनसन एंड जॉनसन ने बताया कि उनके द्वारा 3700 से अधिक टीबी रोगियों को पोषण प्रदान होता है। महाराष्ट्र में उनके द्वारा संचालित कार्यक्रम के ज़रिए 5000 से अधिक नए टीबी रोगियों की पक्की जाँच हुई।
जॉनसन एंड जॉनसन कम्पनी का एक महत्वपूर्ण योगदान है: उसके द्वारा टीबी की नयी दवा की खोज - बिड़ाकुइलीन (Bedaquiline). पिछले साल विश्व टीबी दिवस से पूर्व 21 मार्च 2016 को जॉनसन एंड जॉनसन ने भारत सरकार को 600 बिड़ाकुइलीन की खुराकें नि:शुल्क दीं जिससे कि जरूरतमंद मरीज़ों को लाभ मिल सके। भारत सरकार ने 6 विशेष सरकारी अस्पतालों के ज़रिए पूरे अहतियात के साथ इन दवाओं का वितरण करवाना आरम्भ किया है। चूँकि भारत में दवा प्रतिरोधकता एक बड़ी चुनौती है इसीलिए इस नयी दवा का वितरण अत्याधिक चिकित्सकीय निगरानी में हो रहा है। जॉनसन एंड जॉनसन, ज़रूरत के अनुसार और मानकों के अनुरूप, निजी चिकित्सकों को भी यह दवा सहानुभूतिवश (compassionate grounds पर), नि:शुल्क प्रदान कर रही है। पर इस बात को नाकारा नहीं जा सकता कि यह दवा सभी जरूरतमंद रोगियों तक बिना विलम्ब पहुंचे और वे अपना इलाज सफलतापूर्वक पूरा करें.
जॉनसन एंड जॉनसन ने भारत सरकार के साथ साझेदारी में बिहार के गया जिले में 4 अतिविशेष गाड़ियाँ चलवायी हैं जिनमें ‘जीन एक्स्पर्ट’ (Gene Xpert) नामक अत्याधुनिक टीबी और दवा प्रतिरोधकता की पक्की जाँच करने की मशीनें लगी हैं जो 90 मिनट में रिपोर्ट देती हैं। जीन एक्स्पर्ट मशीन ही नहीं बल्कि उनमें उपयोग होने वाले 'कार्ट्रिज' भी जॉनसन एंड जॉनसन के द्वारा पोषित है.
प्रख्यात हृदय-रोग विशेषज्ञ डॉ नरेश त्रेहन द्वारा स्थापित मेदांता मेडी-सिटी अस्पताल का प्रतिनिधित्व कर रहीं डॉ बोर्नाली दत्ता ने कहा कि हरियाणा प्रदेश को टीबी मुक्त कराने के आशय से मेदांता अनेक एक्सरे आदि सुविधाओं से लैस गाड़ियाँ चलवाता है जिससे कि दूरदराज़ इलाक़ों में लोगों को पक्की टीबी जाँच, और बिना विलम्ब उपचार, मिल सके। शीघ्र ही मेदांता की यह गाड़ियाँ पूरे प्रदेश में संचारित होंगी। डॉ दत्ता ने कहा कि मेदांता हरियाणा के पड़ोसी राज्यों में भी ऐसी पहल करके टीबी उन्मूलन के प्रयासों को मज़बूत करना चाहता है। हरियाणा के पडोसी राज्यों में हिमाचल प्रदेश भी शामिल है और आशा है कि मेदंता राज्य सरकार के साथ मिलकर टीबी मुक्त प्रदेश बनाने के प्रयासों को शक्ति देगा.
टाटा समूह से जुड़ीं शीरीन मिस्त्री ने कहा कि उनके समूह ने टीबी उन्मूलन के प्रयासों को मज़बूत करने के आशय से, हाल ही में दो प्रमुख योगदान किए हैं।
इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट टीबी एंड लंग डिजीज (द यूनियन) की दक्षिण पूर्वी एशिया की निदेशिका डॉ जेमी तोंसिंग ने कहा कि उनके टीबी नियंत्रण में 17 साल के अनुभव में सरकारी और गैर-सरकारी वर्गों का टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को लेकर एकजुट होने का यह पहला अवसर है.
हालाँकि राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम 1962 से सक्रिय रहा है पर 2015 में 480,000 लोग टीबी से मृत हुए जो अत्यंत दुखद है. टीबी की पक्की जांच और इलाज दोनों मुमकिन है और टीबी संक्रमण को फैलने से रोकना और हर रोगी का सफलतापूर्वक इलाज करना जन स्वास्थ्य प्राथमिकता है. इसके लिए अत्यंत जरुरी है कि स्वास्थ्य कार्यक्रमों के साथ गैर-सरकारी कार्यक्रमों का समन्वयन प्रभावकारी हो.
दवा प्रतिरोधक टीबी की इलाज-अवधि: 2 साल से कम हो कर 9 माह हुई
इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट टीबी एंड लंग डिजीज (द यूनियन) के अध्यक्ष होसे लुईस कास्त्रो ने कहा कि उनके विशेषज्ञों के शोध के कारण अब मल्टी-ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी (MDR-TB – जब 2 टीबी दवाओं से प्रतिरोधकता हो जाए) की इलाज-अवधि न केवल 2 साल से कम हो कर 9 माह रह गयी है बल्कि इलाज के परिणाम भी बेहतर हैं. आवश्यकता है कि हर दवा प्रतिरोधक टीबी के रोगी को बिना विलम्ब सही जांच मिले और जो दवाएं उसपर असरकारी हैं उनसे उसका इलाज पूरा किया जाए.
टीबी जांच-इलाज में बड़ी बाधा है भेदभाव और शोषण
द यूनियन के होसे लुईस कास्त्रो ने आह्वान किया कि यदि दुनिया को टीबी मुक्त करना है तो भारत को पहले टीबी मुक्त करना होगा. उन्होंने टीबी से सम्बंधित भेदभाव और शोषण की ओर ध्यान आकर्षित किया जो जरूरतमंद लोगों और पक्की जांच-इलाज के बीच एक बड़ी बाधा है.
अनोखा खेल: हर टीम चाहती है टीबी मुक्त भारत!
8 अप्रैल 2017 की दोपहर, धरमशाला के क्रिकेट स्टेडियम में एक विशेष प्रतीकात्मक क्रिकेट मैच का आयोजन हुआ जिसमें एक ओर थे बॉलीवुड फिल्म-सितारें (और बॉबी देओल उनके कप्तान) और दूसरी ओर थे सांसदों की टीम (जिनके कप्तान थे संसाद अनुराग ठाकुर). यह क्रिकेट मैच इस लिए अनोखा रहा क्योंकि हर टीम और हर दर्शक का एक ही सन्देश था: टीबी उन्मूलन. दूरदर्शन केंद्र (DDK) ने इस क्रिकेट खेल का राष्ट्रीय प्रसारण 'लाइव' किया.
बाबी रमाकांत, सीएनएस (सिटीजन न्यूज़ सर्विस)
12 अप्रैल 2017
(बाबी रमाकांत, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) महानिदेशक के WNTD पुरुस्कार 2008 से सम्मानित, सीएनएस के स्वास्थ्य संपादक और नीति निदेशक हैं. ट्विटर: @bobbyramakant )
इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट टीबी एंड लंग डिजीज (द यूनियन) की पहल पर अनेक विशिष्ठ सह-आयोजकों के साथ संपन्न हुए इस सम्मेलन की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इसमें स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ ग़ैर-स्वास्थ्य वर्गों ने भी सक्रियता से भाग किया। प्रतिभागियों में शामिल थे: अनेक बॉलीवुड फ़िल्म सितारे, सांसद, भारतीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं सतत विकास संगठन, टीबी इलाज पूरा कर चुके हुए प्रेरक लोग, आदि. देश के अनेक शहरों से मीडियाकर्मी भी शामिल थे और राष्ट्रीय दूरदर्शन केंद्र (DDK) ने अपने टीवी प्रसारण में इस सम्मेलन के एक अनोखे अंश को देशभर में 'लाइव' प्रसारित किया.
बॉलीवुड के जानेमाने फिल्म-सितारे जिनमें बॉबी देओल, सुनील शेट्टी, सुहैल खान, सोनू सूद, आफताब शिवदासानी, आदि शामिल थे, सबने टीबी मुक्त भारत के लिए अपना समर्थन दर्ज किया.
फिल्म-स्टार आफताब ने कहा कि इस सम्मलेन में आने से पहले उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि टीबी कितनी बड़ी जनस्वास्थ्य चुनौती है. रोजाना टीबी से 1400 से अधिक लोग भारत में ही मृत होते हैं. इसीलिए जरुरी है हर वर्ग आगे बढ़ कर टीबी उन्मूलन अभियान को ताकत दे.
फिल्म-जगत के शीर्ष कलाकार अमिताभ बच्चन ने कुछ समय पहले ही सार्वजनिक किया था कि टीबी होने पर उन्होंने इलाज सफलतापूर्वक पूरा किया, अपने काम पर पुन: वापस गए और नए आयाम तराशे.
सांसद अनुराग ठाकुर (मंच पर बोलते हुए) और सांसद राजीव प्रताप रूडी |
अन्य सांसदों जिन्होंने भाग लिया उनमें प्रमुख रहे: अनुराग ठाकुर, सैयद शाहनवाज़ हुसैन, मोहमद अजहरुद्दीन (वरिष्ठ क्रिकेट खिलाड़ी), आदि. हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से सांसद अनुराग ठाकुर ने, जो हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) का नेत्रित्र्व भी कर रहे हैं, टीबी मुक्त भारत सम्मलेन और सांसद-फिल्म-सितारों के बीच प्रतीकात्मक क्रिकेट खेल के आयोजन में ‘द यूनियन’ के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
तय किया बड़ा लक्ष्य: 2021-2022 तक हिमाचल प्रदेश होगा टीबी मुक्त
हिमाचल प्रदेश के राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कॉल सिंह ठाकुर ने विश्व स्वास्थ्य दिवस पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता की और 2021-2022 तक हिमाचल प्रदेश को टीबी मुक्त प्रदेश बनाने का आह्वान किया. कांगरा के ज़िला टीबी अधिकारी डॉ राजेश के० सूद से लेकर हिमाचल प्रदेश के राज्य टीबी अधिकारी और भारत सरकार के राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम के प्रमुख डॉ सुनील खपारडे भी सक्रियता से इस कार्यक्रम में शामिल थे। पंजाब के राज्यपाल बीडी बडनोरे एवं आम आदमी पार्टी के पंजाब प्रदेश समन्वयक गुरप्रीत वाराएच ने भी टीबी मुक्त भारत अभियान को समर्थन दिया.
देश के चुनिन्दा टीबी चिकत्सक एवं वैज्ञानिक भी इस महा-आयोजन में शामिल रहे जिनमें प्रमुख थे: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद् (ICMR) के चेन्नई-स्थित राष्ट्रीय टीबी शोध संस्थान (NIRT) के निदेशक डॉ श्रीकांत प्रसाद त्रिपाठी, दिल्ली स्थित टीबी एवं अन्य फेफड़े रोगों के इलाज के लिए समर्पित राष्ट्रीय संस्थान (NITRD) के निदेशक डॉ रोहित सरीन, दिल्ली प्रदेश के राज्य टीबी अधिकारी और लोक नायक अस्पताल के वरिष्ठ टीबी विशेषज्ञ डॉ अश्वनी खन्ना, बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय टीबी संस्थान के निदेशक डॉ प्रह्लाद कुमार, भुभ्नेश्वर स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद् (ICMR) के केंद्र निदेशक डॉ संघमित्रा पाती, पद्मश्री से सम्मानित वर्ल्ड लंग फाउंडेशन दक्षिण एशिया के अध्यक्ष डॉ जीआर खत्री, आदि.
2025 तक टीबी मुक्त भारत के लिए आवश्यक बजट?
टीबी मुक्त भारत के लिए आवश्यक बजट जुटाना भी एक बड़ी चुनौती है। ग्लोबल फ़ंड टू फ़ाइट एड्स, टीबी एंड मलेरिया (Global Fund to Fight AIDS, TB and Malaria) से जुड़े डॉ क्राइस्टोफ बेन; भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अर्थशास्त्रीय सलाहकार एके झा, अमरीकी सरकार के यूएसएआईडी (USAID) के ज़ेर्सेस सिधवा, सेण्टर फॉर डिजीज कण्ट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) भारत, विश्व स्वास्थ्य संगठन और अनेक निजी उद्योग के प्रतिनिधियों ने टीबी मुक्त भारत के लिए आवश्यक बजट जुटाने पर चर्चा की।
अब तक भारत को ग्लोबल फण्ड से $200 करोड़ प्राप्त
ग्लोबल फण्ड के डॉ क्राइस्टोफ बेन ने बताया कि ग्लोबल फ़ंड अब तक भारत को एड्स, टीबी और मलेरिया नियंत्रण और सम्बंधित कार्यक्रमों के लिये गत वर्षों में अमरीकी डॉलर 2 बिल्यन ($200 करोड़) से अधिक का अनुदान दे चुका है।
- $28 करोड़ के नए अनुदान की घोषणा
डॉ बेन ने भारत में टीबी नियंत्रण को सशक्त करने के आशय से, आगामी 3 सालों के लिए अमरीकी डॉलर 280 मिल्यन ($ 28 करोड़) के अतिरिक्त अनुदान की घोषणा की.
निजी उद्योग भी टीबी उन्मूलन के लिए आगे बढ़ा
अनेक उद्योगों के प्रतिनिधियों ने टीबी नियंत्रण को सशक्त करने के लिए भाँति प्रकार के सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया।
गेल इण्डिया (GAIL India) के प्रतिनिधि ने बताया कि उनका सालाना ‘उद्योग-सामाजिक जिम्मेदारी’ (CSR) बजट ₹81 करोड़ का है। उनके पाता पेट्रोकेमिकल प्लांट के आसपास के क्षेत्र में टीबी नियंत्रण के लिए मोबाइल चिकित्सकीय गाड़ी चलती है जिससे कि टीबी से जुड़ी सेवाएँ लोगों तक सरलता से पहुँच सकें। इस गाड़ी में डॉक्टर-पैथोलोजिस्ट आदि के अलावा एक्सरे आदि जाँचों की सुविधाएँ भी होती हैं।
दिल्ली मेट्रो कॉर्परेशन लिमिटेड (डीएमआरसी/ DMRC) के वरिष्ठ सह-महाप्रबंधक (संचालन) पीके पाठक जो पूर्व में भारतीय रेल्वे के वरिष्ठ अधिकारी रह चुके हैं, उन्होंने बताया कि दिल्ली मेट्रो भी टीबी कार्यक्रम को सशक्त करने में अपनी भूमिका निभा रही है। दिल्ली मेट्रो पर रोज़ाना 20 लाख से अधिक लोग सफ़र करते हैं। इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट टीबी एंड लंग डिजीज (द यूनियन) के साथ मिल कर उन्होंने डीएमआरसी के प्रशिक्षण संस्थान में अपने सभी कर्मचारियों के लिए एक विशेष टीबी जागरुकता प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया। उनका उद्देश्य था कि डीएमआरसी में कार्यरत हर व्यक्ति टीबी से जुड़ी सही और पूरी जानकारी अपने परिवारजनों, सहकर्मियों और मित्रों आदि के साथ बाँटें और जागरुकता बढ़ाये।
आईएल एंड ऍफ़एस (IL&FS) के प्रतिनिधि ने बताया कि टीबी नियंत्रण, उनके सड़क विकास कार्यक्रमों का, एक महत्वपूर्ण भाग है। वे पिछले सालों से घुमंतू (migrants) कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं. उन्होंने अनेक हाइवे सड़क विकास योजनाओं में टीबी नियंत्रण के भाग को प्रमुखता से शामिल करने का आश्वासन दिया।
जॉनसन एंड जॉनसन ने बताया कि उनके द्वारा 3700 से अधिक टीबी रोगियों को पोषण प्रदान होता है। महाराष्ट्र में उनके द्वारा संचालित कार्यक्रम के ज़रिए 5000 से अधिक नए टीबी रोगियों की पक्की जाँच हुई।
जॉनसन एंड जॉनसन कम्पनी का एक महत्वपूर्ण योगदान है: उसके द्वारा टीबी की नयी दवा की खोज - बिड़ाकुइलीन (Bedaquiline). पिछले साल विश्व टीबी दिवस से पूर्व 21 मार्च 2016 को जॉनसन एंड जॉनसन ने भारत सरकार को 600 बिड़ाकुइलीन की खुराकें नि:शुल्क दीं जिससे कि जरूरतमंद मरीज़ों को लाभ मिल सके। भारत सरकार ने 6 विशेष सरकारी अस्पतालों के ज़रिए पूरे अहतियात के साथ इन दवाओं का वितरण करवाना आरम्भ किया है। चूँकि भारत में दवा प्रतिरोधकता एक बड़ी चुनौती है इसीलिए इस नयी दवा का वितरण अत्याधिक चिकित्सकीय निगरानी में हो रहा है। जॉनसन एंड जॉनसन, ज़रूरत के अनुसार और मानकों के अनुरूप, निजी चिकित्सकों को भी यह दवा सहानुभूतिवश (compassionate grounds पर), नि:शुल्क प्रदान कर रही है। पर इस बात को नाकारा नहीं जा सकता कि यह दवा सभी जरूरतमंद रोगियों तक बिना विलम्ब पहुंचे और वे अपना इलाज सफलतापूर्वक पूरा करें.
जॉनसन एंड जॉनसन ने भारत सरकार के साथ साझेदारी में बिहार के गया जिले में 4 अतिविशेष गाड़ियाँ चलवायी हैं जिनमें ‘जीन एक्स्पर्ट’ (Gene Xpert) नामक अत्याधुनिक टीबी और दवा प्रतिरोधकता की पक्की जाँच करने की मशीनें लगी हैं जो 90 मिनट में रिपोर्ट देती हैं। जीन एक्स्पर्ट मशीन ही नहीं बल्कि उनमें उपयोग होने वाले 'कार्ट्रिज' भी जॉनसन एंड जॉनसन के द्वारा पोषित है.
पिछले साल से, भारत सरकार के पुनरीक्षित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम (RNTCP) के माध्यम से देश के लगभग हर जिले में अब जीन एक्सपर्ट मशीन लगी है. आशा है कि इसका पूरा उपयोग भी शीघ्र होना आरम्भ होगा जिससे कि टीबी की पक्की जांच और दवा प्रतिरोधकता की जानकारी दोनों ही समय से मिल सके.जॉनसन एंड जॉनसन के प्रतिनिधि ने हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को आश्वासन दिया कि दवा प्रतिरोधक टीबी के नियंत्रण और हिमाचल प्रदेश को 2021-2022 तक टीबी मुक्त करने के प्रयासों में उनकी कम्पनी योगदान करने पर गम्भीरता से विचार करेगी और उनसे वार्ता करेगी.
प्रख्यात हृदय-रोग विशेषज्ञ डॉ नरेश त्रेहन द्वारा स्थापित मेदांता मेडी-सिटी अस्पताल का प्रतिनिधित्व कर रहीं डॉ बोर्नाली दत्ता ने कहा कि हरियाणा प्रदेश को टीबी मुक्त कराने के आशय से मेदांता अनेक एक्सरे आदि सुविधाओं से लैस गाड़ियाँ चलवाता है जिससे कि दूरदराज़ इलाक़ों में लोगों को पक्की टीबी जाँच, और बिना विलम्ब उपचार, मिल सके। शीघ्र ही मेदांता की यह गाड़ियाँ पूरे प्रदेश में संचारित होंगी। डॉ दत्ता ने कहा कि मेदांता हरियाणा के पड़ोसी राज्यों में भी ऐसी पहल करके टीबी उन्मूलन के प्रयासों को मज़बूत करना चाहता है। हरियाणा के पडोसी राज्यों में हिमाचल प्रदेश भी शामिल है और आशा है कि मेदंता राज्य सरकार के साथ मिलकर टीबी मुक्त प्रदेश बनाने के प्रयासों को शक्ति देगा.
टाटा समूह से जुड़ीं शीरीन मिस्त्री ने कहा कि उनके समूह ने टीबी उन्मूलन के प्रयासों को मज़बूत करने के आशय से, हाल ही में दो प्रमुख योगदान किए हैं।
- इंडिया हेल्थ फण्ड: 2016 में आरम्भ हुई यह अनोखी पहल, टीबी और मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रमों के लिए भारत के निजी उद्योगों से अनुदान इकठ्ठा करेगी. इस फण्ड की प्राथमिकता रहेगी कि अवेक्षण (surveillance) में सुधार हो और ऐसे कार्यक्रमों में निवेश हो जो अनेक गुणा प्रभाव बढ़ा सकते हैं.
- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के द्वारा स्थापित टीबी कोंसोरशीयम (TB Consortium) में टाटा समूह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है जो टीबी से जुड़े शोध के तीन पहलुओं पर केंद्रित है जो इस प्रकार हैं: नयी जाँच, नयी दवाएँ, और नयी वैक्सीन के शोध.
इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट टीबी एंड लंग डिजीज (द यूनियन) की दक्षिण पूर्वी एशिया की निदेशिका डॉ जेमी तोंसिंग ने कहा कि उनके टीबी नियंत्रण में 17 साल के अनुभव में सरकारी और गैर-सरकारी वर्गों का टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को लेकर एकजुट होने का यह पहला अवसर है.
हालाँकि राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम 1962 से सक्रिय रहा है पर 2015 में 480,000 लोग टीबी से मृत हुए जो अत्यंत दुखद है. टीबी की पक्की जांच और इलाज दोनों मुमकिन है और टीबी संक्रमण को फैलने से रोकना और हर रोगी का सफलतापूर्वक इलाज करना जन स्वास्थ्य प्राथमिकता है. इसके लिए अत्यंत जरुरी है कि स्वास्थ्य कार्यक्रमों के साथ गैर-सरकारी कार्यक्रमों का समन्वयन प्रभावकारी हो.
दवा प्रतिरोधक टीबी की इलाज-अवधि: 2 साल से कम हो कर 9 माह हुई
इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट टीबी एंड लंग डिजीज (द यूनियन) के अध्यक्ष होसे लुईस कास्त्रो ने कहा कि उनके विशेषज्ञों के शोध के कारण अब मल्टी-ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी (MDR-TB – जब 2 टीबी दवाओं से प्रतिरोधकता हो जाए) की इलाज-अवधि न केवल 2 साल से कम हो कर 9 माह रह गयी है बल्कि इलाज के परिणाम भी बेहतर हैं. आवश्यकता है कि हर दवा प्रतिरोधक टीबी के रोगी को बिना विलम्ब सही जांच मिले और जो दवाएं उसपर असरकारी हैं उनसे उसका इलाज पूरा किया जाए.
टीबी जांच-इलाज में बड़ी बाधा है भेदभाव और शोषण
द यूनियन के होसे लुईस कास्त्रो ने आह्वान किया कि यदि दुनिया को टीबी मुक्त करना है तो भारत को पहले टीबी मुक्त करना होगा. उन्होंने टीबी से सम्बंधित भेदभाव और शोषण की ओर ध्यान आकर्षित किया जो जरूरतमंद लोगों और पक्की जांच-इलाज के बीच एक बड़ी बाधा है.
अनोखा खेल: हर टीम चाहती है टीबी मुक्त भारत!
8 अप्रैल 2017 की दोपहर, धरमशाला के क्रिकेट स्टेडियम में एक विशेष प्रतीकात्मक क्रिकेट मैच का आयोजन हुआ जिसमें एक ओर थे बॉलीवुड फिल्म-सितारें (और बॉबी देओल उनके कप्तान) और दूसरी ओर थे सांसदों की टीम (जिनके कप्तान थे संसाद अनुराग ठाकुर). यह क्रिकेट मैच इस लिए अनोखा रहा क्योंकि हर टीम और हर दर्शक का एक ही सन्देश था: टीबी उन्मूलन. दूरदर्शन केंद्र (DDK) ने इस क्रिकेट खेल का राष्ट्रीय प्रसारण 'लाइव' किया.
बाबी रमाकांत, सीएनएस (सिटीजन न्यूज़ सर्विस)
12 अप्रैल 2017
(बाबी रमाकांत, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) महानिदेशक के WNTD पुरुस्कार 2008 से सम्मानित, सीएनएस के स्वास्थ्य संपादक और नीति निदेशक हैं. ट्विटर: @bobbyramakant )