[English] "जब वैज्ञानिक उपलब्धियों के कारण और सामुदायिक अनुभव से हम यह जानते हैं कि एचआईवी के साथ जीवित व्यक्ति कैसे सामान्य ज़िंदगी जी सकता है तो 2020 में 6.8 लाख लोग एड्स सम्बंधित रोगों से कैसे मृत हुए? कौन ज़िम्मेदार हैं इन मृत्यु का?" कहना है लून गांगटे का जो दिल्ली नेटवर्क ओफ़ पोज़िटिव पीपल के सह-संस्थापक रहे हैं. वैज्ञानिक शोध की देन है कि अनेक एचआईवी संक्रमण से बचाव के तरीक़े भी हमारे पास हैं फिर 2020 में 15 लाख लोग कैसे नए एचआईवी से संक्रमित हो गए? यदि हम एचआईवी नियंत्रण और प्रबंधन में कार्यसाधकता बढ़ाएँगे नहीं तो 2030 तक कैसे दुनिया को एड्स मुक्त करेंगे?
दक्षिण अफ़्रीका से रिपोर्ट हुए 'ओमिक्रोन' कोरोना वाइरस के ज़िम्मेदार हैं अमीर देश
[एसडी २४ न्यूज़ नेटवर्क पर विडियो देखें] जब तक दुनिया की सारी पात्र आबादी को कोविड वैक्सीन की पूरी खुराक समय-बद्ध तरीक़े से नहीं लग जाती तब तक टीकाकारण से सम्भावित हर्ड इम्यूनिटी (सामुदायिक प्रतिरोधकता) नहीं उत्पन्न होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन जो संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च स्वास्थ्य एजेंसी है, उसने बारम्बार निवेदन किया कि २०२१ के अंत तक किसी भी देश में, पूरी खुराक वैक्सीन लगाए हुए लोगों को बूस्टर टीका न लगे (और पहले ग़रीब देशों में पात्र लोगों को टीके की पहली खुराक लगे) पर अमीर देशों ने इस चेतावनी को नज़रंदाज़ किया और अमीर देशों की जनता को बूस्टर लगायी। नतीजतन अनेक देशों में पहली खुराक तक अधिकांश जनता के नहीं लगी है और २ देशों में तो १ भी टीका अभी तक नहीं हुआ है (एरित्रिया और उत्तर कोरिया)।
दवा प्रतिरोधकता, खाद्य सुरक्षा, पशुपालन, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य में क्या है सम्बन्ध?
जिस ग़ैर-ज़िम्मेदारी और अनुचित तरीक़े से इंसान दवा का उपयोग कर रहा है उसके कारण रोग उत्पन्न करने वाले कीटाणु पर दवाएँ कारगर ही नहीं रहतीं - दवा प्रतिरोधकता (Antimicrobial Resistance/ रोगाणुरोध प्रतिरोधकता) उत्पन्न हो जाती है। दवा प्रतिरोधकता के कारण इलाज अन्य दवा से होता है (यदि अन्य दवा का विकल्प है तो), इलाज लम्बा-महंगा हो जाता है और अक्सर परिणाम भी असंतोषजनक रहते हैं, और मृत्यु तक होने का ख़तरा अत्याधिक बढ़ जाता है। यदि ऐसा रोग जिससे बचाव और जिसका पक्का इलाज मुमकिन है, वह लाइलाज हो जाए, तो इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा क्योंकि दवा प्रतिरोधकता का ज़िम्मेदार तो मूलतः इंसान ही है। वैज्ञानिक उपलब्धि में हमें जीवनरक्षक दवाएँ दी तो हैं पर ग़ैर-ज़िम्मेदाराना और अनुचित ढंग से यदि हम उपयोग करेंगे तो इन दवाओं को खो देंगे और रोग लाइलाज तक हो सकते हैं।
यदि दवाएँ कारगर नहीं रहीं तो साधारण रोग भी हो जाएँगे घातक
दवाओं के अनावश्यक उपयोग या दुरुपयोग के कारण, जो कीटाणु रोग जनते हैं, वह दवा प्रतिरोधकता उत्पन्न कर लेते हैं, और नतीजतन ये दवाएँ उन कीटाणुओं पर कारगर नहीं रहतीं। साधारण से रोग जिनका पक्का इलाज मुमकिन है वह तक लाइलाज हो सकते हैं।
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