[English] सिर्फ़ दो तरह से तम्बाकू सेवन कम हो सकता है: नए बच्चे-युवा तम्बाकू सेवन शुरू न करें, और जो लोग तम्बाकू व्यसनी हैं वह नशा-मुक्त हों। तम्बाकू उत्पाद के पैकेट पर प्रभावकारी चित्रमय चेतावनी से, यह दोनों लक्ष्य पूरे करने में मदद होती है इसीलिए यह जन स्वास्थ्य की दृष्टि से प्रभावकारी नीति है परंतु तम्बाकू उद्योग को नहीं 'पसंद' क्योंकि उसके मुनाफ़े की क्षति होती है। यह कहना है डॉ तारा सिंह बाम का जो सुप्रसिद्ध तम्बाकू नियंत्रण विशेषज्ञ हैं और इंटरनैशनल यूनियन अगेन्स्ट टुबर्क्युलोसिस एंड लंग डिज़ीज़ (द यूनियन) के एशिया पैसिफ़िक निदेशक हैं।
वैज्ञानिक शोधों से यह प्रमाणित होता है कि सभी तम्बाकू उत्पादों पर चित्रमय स्वास्थ्य चेतावनी, बच्चों और युवाओं को तम्बाकू का सेवन शुरू करने से रोकने और मौजूदा तम्बाकू व्यसनियों को यह घातक लत छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने में बहुत प्रभावी हैं। यह न केवल जन स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय के लिए अच्छी खबर है, बल्कि तम्बाकू उद्योग के लिए एक और गंभीर झटका है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार अपने हर दो उपयोगकर्ताओं में से एक को मारने वाला उत्पाद बेच रहा है।
इसीलिए डॉ तारा सिंह बाम का मानना है कि "तम्बाकू सेवन को कम करने के केवल दो ही तरीके हैं: युवाओं को तम्बाकू का सेवन शुरू करने से रोकना, और मौजूदा उपयोगकर्ताओं को तम्बाकू छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना"। डॉ बाम, जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल टोबैको कंट्रोल के २०२२ साउथ एशिया टोबैको कंट्रोल लीडरशिप कोर्स में एक वरिष्ठ फैकल्टी के रूप में बोल रहे थे।
एक ऐसी वस्तु का उत्पादन करने के बावजूद जो अनेक जानलेवा बीमारियों को पैदा करती है और असामयिक मृत्यु का कारण बनती है, यह सवाल उठना चाहिए कि तम्बाकू उद्योग को आज के युग में कैसे कानूनी मान्यता प्राप्त है? यह वास्तव में चिंता का विषय है। इस हत्यारे उद्योग के काले कारनामों को उजागर करना और इसके द्वारा मानव जीवन और पृथ्वी को पहुँचाए गए नुकसान के लिए इसे कानूनी और आर्थिक रूप से उत्तरदायी ठहराना बहुत आवश्यक है। तम्बाकू उद्योग लगातार सरकारों को तम्बाकू उपयोग कम करने हेतु विज्ञान और साक्ष्य-आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को लागू करने से रोकने की कोशिश कर रहा है। वह महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों- जैसे कि तम्बाकू उत्पादों पर सचित्र स्वास्थ्य चेतावनी या इन उत्पादों की सादा पैकेजिंग- को लागू करने के किसी भी प्रयास को नाकामयाब करने के लिए सभी प्रकार के हथकंडे अपना रहा है, जिसमें सरकारों पर कोर्ट में मुकदमा चलाने से लेकर उन्हें डराने-धमकाने की कोशिशें भी शामिल हैं।
एक ऐसी वस्तु का उत्पादन करने के बावजूद जो अनेक जानलेवा बीमारियों को पैदा करती है और असामयिक मृत्यु का कारण बनती है, यह सवाल उठना चाहिए कि तम्बाकू उद्योग को आज के युग में कैसे कानूनी मान्यता प्राप्त है? यह वास्तव में चिंता का विषय है। इस हत्यारे उद्योग के काले कारनामों को उजागर करना और इसके द्वारा मानव जीवन और पृथ्वी को पहुँचाए गए नुकसान के लिए इसे कानूनी और आर्थिक रूप से उत्तरदायी ठहराना बहुत आवश्यक है। तम्बाकू उद्योग लगातार सरकारों को तम्बाकू उपयोग कम करने हेतु विज्ञान और साक्ष्य-आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को लागू करने से रोकने की कोशिश कर रहा है। वह महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों- जैसे कि तम्बाकू उत्पादों पर सचित्र स्वास्थ्य चेतावनी या इन उत्पादों की सादा पैकेजिंग- को लागू करने के किसी भी प्रयास को नाकामयाब करने के लिए सभी प्रकार के हथकंडे अपना रहा है, जिसमें सरकारों पर कोर्ट में मुकदमा चलाने से लेकर उन्हें डराने-धमकाने की कोशिशें भी शामिल हैं।
हमें यह याद रखना चाहिए कि तम्बाकू के सेवन से दुनिया भर में हर साल ८१ लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है। इन मौतों में से प्रत्येक को टाला जा सकता है, और तम्बाकू से संबंधित प्रत्येक जानलेवा बीमारी को रोका जा सकता है अगर #endTobacco एक वास्तविकता बन जाती।
वरिष्ठ जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ तारा सिंह बाम, आनंद चाँद और भरत शाह द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक शोध, "नेपाल में सिगरेट पैकेजिंग पर चित्रात्मक स्वास्थ्य चेतावनियों की प्रभावशीलता का साक्ष्य" एक और ठोस सबूत प्रदान करता है कि कैसे चित्रात्मक/ ग्राफिक स्वास्थ्य चेतावनियाँ घातक तम्बाकू से जीवन को बचाने में मदद करती हैं। अध्ययन में भाग लेने वाले ८०% प्रतिभागियों का मानना था कि चित्रमय स्वास्थ्य चेतावनी तम्बाकू उपयोगकर्ताओं को तम्बाकू की लत छोड़ने के लिए प्रेरित करने में बहुत प्रभावी थीं। ८७% प्रतिभागियों ने कहा कि ये चेतावनियाँ युवाओं को तम्बाकू उपयोग शुरू न करने के लिए प्रोत्साहित करने में प्रभावी थीं, और ८९% का मानना था कि इन चेतावनियों ने पूर्व धूम्रपान करने वालों को तम्बाकू के उपयोग से दूर रहने के लिए और इस घातक व्यसन की चपेट में दोबारा न आने के लिए प्रोत्साहित किया था।लगभग सभी अध्ययन उत्तरदाता (९४%) इस बात से सहमत थे कि ये चेतावनियां तम्बाकू उपयोग के खतरों के बारे में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने में बहुत प्रभावी हैं। यहां तक कि ९३% तंबाकू के खुदरा विक्रेताओं ने भी सचित्र स्वास्थ्य चेतावनियों का समर्थन किया।
धूम्रपान करने वाले प्रतिभागियों में से आधे से अधिक (५८%) ने कहा कि इन चेतावनियों के असर से उनका इरादा धूम्रपान छोड़ने का था। साथ ही, इन चेतावनियों के कारण उन्होंने अपने धूम्रपान सेवन में ५५% की कटौती की - प्रति दिन औसतन ग्यारह सिगरेट पीने के बजाय वे पाँच सिगरेट पर आ गए थे। तम्बाकू सेवन कम हो तब भी प्राण घातक होता है इसलिए श्रेयस्कर यही है कि तम्बाकू मुक्त दुनिया जल्दी ही मुमकिन हो सके और तम्बाकू उद्योग को सभी सरकारें जवाबदेह ठहराये।
डॉ तारा सिंह बाम ने बताया कि इस अध्ययन के साक्ष्य ने नेपाल में नीतिगत बदलावों को लागू करने में गति प्रदान की, जिनमें चित्रात्मक स्वास्थ्य चेतावनियों के आकार का विस्तार ९०% तक बढ़ाना और खुली सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए अधिसूचना जारी करना शामिल था।
पिछले दो दशकों में नेपाल द्वारा जन-समर्थक तम्बाकू नियंत्रण कानूनों को लागू करने की मुहिम के प्रयासों को पटरी से उतारने, और उन्हें पराजित या कमजोर करने के लिए तम्बाकू उद्योग ने छल और कपट के अपने सभी हथकंडे आजमाए हैं।
ज्ञात हो कि नेपाल ने २००३ में वैश्विक तम्बाकू संधि (जिसे औपचारिक रूप से डब्ल्यूएचओ फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल कहा जाता है) पर हस्ताक्षर किए थे और २००६ में इसका पुष्टिकरण किया था। परंतु तम्बाकू उद्योग के द्वारा पक्ष जुटाव (लौबिंग), राजनैतिक पार्टियों को चंदा देने और तम्बाकू विज्ञापन, प्रचार और प्रायोजन के चलते २००९ तक नेपाल सरकार की ओर से कोई तम्बाकू नियंत्रण नीति निर्धारित नहीं की गयी और तम्बाकू उद्योग स्वास्थ्य नीति को अवरुद्ध करने के लिए अपना शिकंजा कसता रहा।
अंततः २०१० में एक व्यापक तम्बाकू नियंत्रण विधेयक पेश किया गया जिसमें ५०% चित्रात्मक स्वास्थ्य चेतावनी शामिल थी, लेकिन तम्बाकू उद्योग ने स्वास्थ्य और कानून मंत्रालयों को प्रभावित करने की कोशिश की और विधेयक के मौसौदे में चेतावनियों के आकार को ५०% से ३०% तक कम करने में कामयाब रहा। परंतु जन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के अथक प्रयासों के कारण, और प्रधानमंत्री द्वारा अंतिम क्षण के हस्तक्षेप के बाद नेपाल की संसद ने २०११ के तम्बाकू नियंत्रण विधेयक को ७५% आकार की सचित्र स्वास्थ्य चेतावनियों के साथ पारित किया। नए क़ानून के पारित होने के दूसरे दिन ही तम्बाकू उद्योग और उसके सहयोगी दलों ने चित्रात्मक स्वास्थ्य चेतावनियों के खिलाफ सरकार पर बारह अदालती मुक़दमें दायर कर दिए। अंतत: २०१४ में नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा चित्रात्मक स्वास्थ्य चेतावनियों को लागू करने का रास्ता साफ किया जा सका।
२०१५ में नेपाल ९०% आकार की सबसे बड़ी सचित्र स्वास्थ्य चेतावनी नीति लागू करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। वर्तमान में तिमोर लेस्ते में ९२.५% आकार की विश्व के सबसे बड़ी सचित्र स्वास्थ्य चेतावनी लागू है।
तम्बाकू उद्योग ने नेपाल सरकार की ९०% आकार की चित्रमय स्वास्थ्य चेतावनी को लागू करने की कोशिश को नाकामयाब करने के लिए एक बार फिर से नेपाल सरकार के विरुद्ध मुकदमा दायर किया और सरकार पर अधिक दबाव डालने के लिए अमरीका के चैंबर ऑफ कॉमर्स को भी लामबंद किया।
तब से अब तक, तम्बाकू उद्योग द्वारा मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों पर दबाव डाल कर सचित्र स्वास्थ्य चेतावनियों के आकार को कम करने के कई प्रयास किए गए हैं। लेकिन अब तक, जन स्वास्थ्य कार्यकर्ता, तम्बाकू उद्योग को मात दे रहे हैं। न केवल विश्व में दूसरे सबसे बड़े आकार की चित्रमय स्वास्थ्य चेतावनी नेपाल में तम्बाकू नियंत्रण नीति का एक हिस्सा बनी हैं, बल्कि एक अधिक प्रभावशाली तम्बाकू नियंत्रण विधेयक का मौसौदा नेपाल में लंबित है जो "प्लेन पैकेजिंग" की सिफारिश करता है।
क्या है प्लेन पैकिजिंग?
विश्व स्वास्थ्य संगठन और वैश्विक तम्बाकू संधि के अनुसार, प्लेन अथवा सादा पैकेजिंग का अर्थ है 'लोगो', रंगों, ब्रांड छवियों, या मानक रंग और फ़ॉन्ट शैली में प्रदर्शित ब्रांड नाम और उत्पाद नामों के अलावा पैकेजिंग पर प्रचार जानकारी के उपयोग को सीमित या प्रतिबंधित करना। इसका तात्पर्य सरकार द्वारा निर्धारित काले और सफेद, या दो अन्य विपरीत रंगों के उपयोग से भी है। ब्रांड नाम, उत्पाद का नाम और/या निर्माता का नाम, संपर्क विवरण और पैकेजिंग में उत्पाद की मात्रा के अलावा कुछ भी नहीं, स्वास्थ्य चेतावनियों, टैक्स स्टाम्प और अन्य अनिवार्य सरकारी जानकारी और मानक अनुकूल आकार के अलावा किसी भी 'लोगो' या चिन्ह के बग़ैर। सिगरेट या अन्य तम्बाकू उत्पादों के पैकेज के अंदर या उनके साथ संलग्न या किसी एक सिगरेट पर किसी भी प्रकार के विज्ञापन या प्रचार की अनुमति नहीं है। वर्तमान में नेपाल में सादा पैकेजिंग एक मसौदा नीति के तहत अनुमोदन के लिए लंबित है।
नेपाल में प्रति वर्ष तम्बाकू से २४,८०० लोगों की मृत्यु होती है। इनमें से ३५०० से अधिक लोगों की जान सेकेंड हैंड धुएं के सम्पर्क में आने के कारण जाती है। प्रतिदिन १५-६९ वर्ष की आयु के दो-तिहाई व्यक्ति सेकेंडhand धुएं के संपर्क में आते हैं। जब तक विज्ञान और साक्ष्य-आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को सख्ती से लागू नहीं किया जाता, तब तक घातक तम्बाकू अपना असर दिखाना जारी रखेगा और मानव जीवन दाँव पर लगा रहेगा।
डॉ तारा सिंह बाम ने ठीक ही कहा है कि "अगर हम सरकारों को जवाबदेह ठहरा सकें तो इस बात की अधिक संभावना है कि सरकारें तम्बाकू उद्योग को जवाबदेह ठहराने के लिए प्रतिबद्ध हों। हम सरकारी नियमों और विनियमों में सुधार करके तम्बाकू उद्योग को जवाबदेह ठहरा सकते हैं।"
तम्बाकू से जनित हर रोग से बचाव मुमकिन है। तम्बाकू से होने वाली हर मृत्यु असामयिक है। यदि तम्बाकू सेवन से विश्व में ८१ लाख से अधिक लोग हर साल मृत होते रहेंगे तो सतत विकास का लक्ष्य २०३० तक कैसे पूरे होंगे?
10 मार्च 2022
दैनिक स्वतंत्र प्रभात, लखनऊ, उत्तर प्रदेश (११ मार्च २०२२) |
प्रकाशित:
- सीएनएस
- दैनिक स्वतंत्र प्रभात, लखनऊ, उत्तर प्रदेश (११ मार्च २०२२)
- दैनिक गुरूज्योति पत्रिका, रानीवाड़ा, जलौर, राजस्थान (११ मार्च २०२२)
- स्पेशल कवरेज न्यूज़, दिल्ली
- दैनिक अग्नि आलोक, इंदौर, मध्य प्रदेश
- सरोकार न्यूज़, पन्ना, मध्य प्रदेश
- न्यूज़ सर्कल, दिल्ली
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