स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उत्पाद बनाने के सबसे बड़े वैश्विक उद्योग हैं अमरीकी

[English] सितंबर 22 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में, अमरीका ने दुनिया के अधिकांश देशों की आपसी सहमति से तैयार किया हुआ राजनीतिक घोषणापत्र को पारित करने से रोक दिया। सरकारों ने इस राजनीतिक घोषणापत्र के मसौदे को अनेक महीने के विमर्श के बाद सर्वसम्मति से तैयार किया था जिससे कि ग़ैर-संक्रामक रोगों के कारण होने वाले रोग और असामयिक मृत्यु दर पर रोक लग सके। अमरीका के इस नकारात्मक हस्तक्षेप के बाद यह संभव है कि जल्दी ही यह राजनीतिक घोषणापत्र का मसौदा, संयुक्त राष्ट्र में वोट के लिए जाये।
अमरीका के रॉबर्ट कैनेडी जूनियर (जो यूँ तो अमरीकी सरकार में स्वास्थ्य पर कार्यरत हैं परंतु वैज्ञानिक रूप से प्रभावकारी वैक्सीन तक के धुर-विरोधी रहे हैं) ने कहा कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाद्य उत्पाद पर कर (टैक्स) बढ़ाने का अमरीका समर्थन नहीं करेगा।
उन्होंने कहा कि अमरीका, सुरक्षित गर्भपात के संवैधानिक और अंतर्राष्ट्रीय अधिकार को नहीं मानता है। स्वास्थ्य कार्यक्रमों को जेंडर संवेदनशील बनाने का भी उन्होंने खंडन किया।
यह भी संज्ञान में लेने की ज़रूरत है कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाद्य उत्पाद पर कर बढ़ाना एक वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित जन-हितैषी कदम है। उदाहरण के तौर पर तंबाकू उत्पाद पर कर बढ़ाने से सरकारों के अधिक राजस्व मिलता है, तंबाकू उत्पाद बच्चों और युवाओं और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से दूर होते हैं, और जन स्वास्थ्य भी लाभान्वित होता है। स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उत्पाद पर कर बढ़ाना एक विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा समर्थित कदम है।
परंतु अमरीका को जनहित से मतलब होता तो यह कैसे मुमकिन होता कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उत्पाद बनाने के दुनिया के सबसे बड़े उद्योग अमरीकी हैं – जैसे कि दुनिया की सबसे बड़ी तंबाकू उद्योग फ़िलिप मॉरिस, पेप्सी कोला और कोका कोला, मैकडोनाल्ड, केएफसी, आदि।
संयुक्त राष्ट्र में स्वास्थ्य के लिए हितकारी राजनीतिक घोषणापत्र को, अमरीकी सरकार ने दुनिया की अधिकांश सरकारों की सर्वसम्मति के विरोध में जा कर, पारित नहीं होने दिया – और सिर्फ़ उन अमरीकी उद्योग का हित सर्वोपरि रखा जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उत्पाद बनाते हैं।
मैं स्वयं संयुक्त राष्ट्र महासभा की ग़ैर-संक्रामक रोगों पर उच्च-स्तरीय बैठक 2018, टीबी पर उच्च-स्तरीय बैठक 2018, एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस पर उच्च-स्तरीय बैठक 2024, सतत विकास लक्ष्य पारित करने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा 2015, आदि में शामिल रही हूँ। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित, संयुक्त राष्ट्र राजनीतिक फोरम 2025 में मैं, सतत विकास लक्ष्य-3 पर लीड-डिस्कसेंट (प्रमुख चर्चकर्ता) रही हूँ। संयुक्त राष्ट्र महासभाओं में ग़ैर-संक्रामक रोगों पर उच्च-स्तरीय बैठक 2014, 2018 और 2023 में भी आयोजित हो चुकी हैं। अनेक महीनों या साल भर तक के सरकारी बैठकों के बाद राजनीतिक घोषणापत्र के मसौदे पर्याप्त चर्चा और संशोधन के बाद सर्वसम्मति से पारित होते आए हैं।
नवंबर 2025 में अनेक क़ानूनी रूप से बाध्य संधियों पर वैशिक बैठकें होने को हैं: इनमें से प्रमुख हैं: 30वीं संयुक्त राष्ट्र क्लाइमेट कांफ्रेंस (यूएनएफसीसीसी), वैश्विक तंबाकू नियंत्रण संधि (फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल या एफसीटीसी), आदि।
अमरीका ने आज तक वैश्विक तंबाकू नियंत्रण संधि तक को पारित नहीं किया है। अमरीकी तम्बाकू उद्योग ने अधिकांश दुनिया में जानलेवा तंबाकू उत्पाद बेच कर, बच्चों और युवाओं को तंबाकू के नशे की ओर गुमराह कर के सिर्फ़ मुनाफा कमाया है।
अमरीका, यही मॉडल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाद्य उत्पाद के लिए अपनाता है – अमरीकी कंपनी मुनाफ़ा कमाती हैं जबकि अधिकांश दुनिया के लोग ग़ैर-संक्रामक रोगों का जानलेवा क़हर झेलते हैं।
अमरीका से सारे देशों को सवाल पूछना चाहिए कि आख़िर वह कब तक उद्योग के मुनाफे को सर्वोपरि रखेगा और वैश्विक जन-स्वास्थ्य को दरकिनार करता रहेगा?
2025 के प्रारंभ में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शपथ लेते ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च आयुर्विज्ञान और स्वास्थ्य संस्था) से हाथ खींच लिया, अमरीकी सरकार द्वारा पोषित विश्व के अनेक देशों के स्वास्थ्य कार्यकमों पर आर्थिक रोक लगा दी, रोग नियंत्रण और रोग बचाव के लिए अमरीकी वैश्विक संस्था सीडीसी को विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ कार्य करने से प्रतिबंधित किया, और अनेक ऐसे कदम उठाये जिनका नकारात्मक प्रभाव वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा और जेंडर समानता पर पड़ा।
उदाहरण के लिए एक नीति यह है: जो भी देश अमरीका से आर्थिक सहायता लेगा वह न तो अमरीकी धनराशि से और न ही किसी अन्य स्रोत से आए अनुदान से, सुरक्षित गर्भपात की सेवाएं प्रदान नहीं कर सकता है।
उन्होंने कहा कि अमरीका, सुरक्षित गर्भपात के संवैधानिक और अंतर्राष्ट्रीय अधिकार को नहीं मानता है। स्वास्थ्य कार्यक्रमों को जेंडर संवेदनशील बनाने का भी उन्होंने खंडन किया।
सर्वप्रथम तो संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य अधिकार पर विशेष दूत डॉ त्लेलांग मोफ़ोकेंग ने शी एंड राइट्स सत्र में स्पष्ट रूप से कहा है कि सुरक्षित गर्भपात, जेंडर समानता और स्वास्थ्य अधिकार, मौलिक मानवाधिकार हैं।
यह भी संज्ञान में लेने की ज़रूरत है कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाद्य उत्पाद पर कर बढ़ाना एक वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित जन-हितैषी कदम है। उदाहरण के तौर पर तंबाकू उत्पाद पर कर बढ़ाने से सरकारों के अधिक राजस्व मिलता है, तंबाकू उत्पाद बच्चों और युवाओं और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से दूर होते हैं, और जन स्वास्थ्य भी लाभान्वित होता है। स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उत्पाद पर कर बढ़ाना एक विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा समर्थित कदम है।
परंतु अमरीका को जनहित से मतलब होता तो यह कैसे मुमकिन होता कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उत्पाद बनाने के दुनिया के सबसे बड़े उद्योग अमरीकी हैं – जैसे कि दुनिया की सबसे बड़ी तंबाकू उद्योग फ़िलिप मॉरिस, पेप्सी कोला और कोका कोला, मैकडोनाल्ड, केएफसी, आदि।
संयुक्त राष्ट्र में स्वास्थ्य के लिए हितकारी राजनीतिक घोषणापत्र को, अमरीकी सरकार ने दुनिया की अधिकांश सरकारों की सर्वसम्मति के विरोध में जा कर, पारित नहीं होने दिया – और सिर्फ़ उन अमरीकी उद्योग का हित सर्वोपरि रखा जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उत्पाद बनाते हैं।
मैं स्वयं संयुक्त राष्ट्र महासभा की ग़ैर-संक्रामक रोगों पर उच्च-स्तरीय बैठक 2018, टीबी पर उच्च-स्तरीय बैठक 2018, एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस पर उच्च-स्तरीय बैठक 2024, सतत विकास लक्ष्य पारित करने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा 2015, आदि में शामिल रही हूँ। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित, संयुक्त राष्ट्र राजनीतिक फोरम 2025 में मैं, सतत विकास लक्ष्य-3 पर लीड-डिस्कसेंट (प्रमुख चर्चकर्ता) रही हूँ। संयुक्त राष्ट्र महासभाओं में ग़ैर-संक्रामक रोगों पर उच्च-स्तरीय बैठक 2014, 2018 और 2023 में भी आयोजित हो चुकी हैं। अनेक महीनों या साल भर तक के सरकारी बैठकों के बाद राजनीतिक घोषणापत्र के मसौदे पर्याप्त चर्चा और संशोधन के बाद सर्वसम्मति से पारित होते आए हैं।
नवंबर 2025 में अनेक क़ानूनी रूप से बाध्य संधियों पर वैशिक बैठकें होने को हैं: इनमें से प्रमुख हैं: 30वीं संयुक्त राष्ट्र क्लाइमेट कांफ्रेंस (यूएनएफसीसीसी), वैश्विक तंबाकू नियंत्रण संधि (फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल या एफसीटीसी), आदि।
अमरीका ने आज तक वैश्विक तंबाकू नियंत्रण संधि तक को पारित नहीं किया है। अमरीकी तम्बाकू उद्योग ने अधिकांश दुनिया में जानलेवा तंबाकू उत्पाद बेच कर, बच्चों और युवाओं को तंबाकू के नशे की ओर गुमराह कर के सिर्फ़ मुनाफा कमाया है।
अमरीका, यही मॉडल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाद्य उत्पाद के लिए अपनाता है – अमरीकी कंपनी मुनाफ़ा कमाती हैं जबकि अधिकांश दुनिया के लोग ग़ैर-संक्रामक रोगों का जानलेवा क़हर झेलते हैं।
अमरीका से सारे देशों को सवाल पूछना चाहिए कि आख़िर वह कब तक उद्योग के मुनाफे को सर्वोपरि रखेगा और वैश्विक जन-स्वास्थ्य को दरकिनार करता रहेगा?
2025 के प्रारंभ में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शपथ लेते ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च आयुर्विज्ञान और स्वास्थ्य संस्था) से हाथ खींच लिया, अमरीकी सरकार द्वारा पोषित विश्व के अनेक देशों के स्वास्थ्य कार्यकमों पर आर्थिक रोक लगा दी, रोग नियंत्रण और रोग बचाव के लिए अमरीकी वैश्विक संस्था सीडीसी को विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ कार्य करने से प्रतिबंधित किया, और अनेक ऐसे कदम उठाये जिनका नकारात्मक प्रभाव वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा और जेंडर समानता पर पड़ा।
उदाहरण के लिए एक नीति यह है: जो भी देश अमरीका से आर्थिक सहायता लेगा वह न तो अमरीकी धनराशि से और न ही किसी अन्य स्रोत से आए अनुदान से, सुरक्षित गर्भपात की सेवाएं प्रदान नहीं कर सकता है।
प्रजनन स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है कि क़ानूनी रूप से सुरक्षित गर्भपात की सेवा सभी ज़रूरतमंद महिलाओं को मिले। प्रत्येक 10 में से 6 बिना नियोजन के हुए गर्भधारण, गर्भपात की ओर जाते हैं और इनमें से लगभग आधे (45%) असुरक्षित गर्भपात होते हैं।
1995 में पारित हुए बीजिंग घोषणापत्र में सुरक्षित गर्भपात का वायदा भी शामिल है। बीजिंग घोषणापत्र में यह भी संकल्प है कि सभी को यौनिक और प्रजनन सेवाएं मिलेंगी जिससे कि गर्भपात जैसी स्थिति ही न आए, और यदि आए तो सुरक्षित और कानूनी गर्भपात सेवा सब इच्छुक महिलाओं को मिले।
ग़ैर-संक्रामक रोग, जैसे कि, हृदय रोग और पक्षाघात, हर प्रकार के कैंसर, डायबिटीज या मधुमेह, दीर्घकालिक श्वास-संबंधी रोग, आदि शामिल हैं। दुनिया में 70% से अधिक लोग ग़ैर-संक्रामक रोगों के कारण मृत होते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि अधिकांश ग़ैर-संक्रामक रोगों से बचाव मुमकिन है, और सही जांच-इलाज समय से मिले तो उपचार भी उपलब्ध है और सबको मिलना भी चाहिए जिससे कि असामयिक मृत्यु दर पर अंकुश लग सके।
ग़ैर-संक्रामक रोगों और संक्रामक रोगों में जानलेवा जुड़ाव भी है: उदाहरण के तौर पर, जिन लोगों को मधुमेह या डायबिटीज है और टीबी हो जाये, तो जांच-इलाज सब अनेक-गुना मुश्किल हो जाता है।
सरकारों को चाहिए कि वह अमरीका की तानाशाही दरकिनार कर के, ग़ैर-संक्रामक रोगों और मानसिक स्वास्थ्य पर राजनीतिक घोषणापत्र को संयुक्त राष्ट्र महासभा से पारित करवायें। एक देश बनाम दुनिया – यह कैसे संभव है कि एक देश मुनाफ़े के लिए सभी देशों को ग़ैर-संक्रामक रोगों के कहर में झोंक दे?
जब 194 में से 183 देश, कानूनी-रूप से बाध्य वैश्विक तंबाकू नियंत्रण संधि को पारित कर लागू कर सकते हैं, तो अमरीका क्यों नहीं? अमरीकी तम्बाकू उद्योग को जानलेवा उत्पाद बनाने और भ्रामक रूप से बच्चों और युवाओं को लतेड़ी बनाने के लिए कब ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा? ज़िम्मेदारी तो अन्य अमरीकी (और अन्य देशों के) उद्योग जो हानिकारक खाद्य उत्पाद बनाते हैं, की भी तय करनी ज़रूरी है।
1995 में पारित हुए बीजिंग घोषणापत्र में सुरक्षित गर्भपात का वायदा भी शामिल है। बीजिंग घोषणापत्र में यह भी संकल्प है कि सभी को यौनिक और प्रजनन सेवाएं मिलेंगी जिससे कि गर्भपात जैसी स्थिति ही न आए, और यदि आए तो सुरक्षित और कानूनी गर्भपात सेवा सब इच्छुक महिलाओं को मिले।
ग़ैर-संक्रामक रोग, जैसे कि, हृदय रोग और पक्षाघात, हर प्रकार के कैंसर, डायबिटीज या मधुमेह, दीर्घकालिक श्वास-संबंधी रोग, आदि शामिल हैं। दुनिया में 70% से अधिक लोग ग़ैर-संक्रामक रोगों के कारण मृत होते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि अधिकांश ग़ैर-संक्रामक रोगों से बचाव मुमकिन है, और सही जांच-इलाज समय से मिले तो उपचार भी उपलब्ध है और सबको मिलना भी चाहिए जिससे कि असामयिक मृत्यु दर पर अंकुश लग सके।
ग़ैर-संक्रामक रोगों और संक्रामक रोगों में जानलेवा जुड़ाव भी है: उदाहरण के तौर पर, जिन लोगों को मधुमेह या डायबिटीज है और टीबी हो जाये, तो जांच-इलाज सब अनेक-गुना मुश्किल हो जाता है।
सरकारों को चाहिए कि वह अमरीका की तानाशाही दरकिनार कर के, ग़ैर-संक्रामक रोगों और मानसिक स्वास्थ्य पर राजनीतिक घोषणापत्र को संयुक्त राष्ट्र महासभा से पारित करवायें। एक देश बनाम दुनिया – यह कैसे संभव है कि एक देश मुनाफ़े के लिए सभी देशों को ग़ैर-संक्रामक रोगों के कहर में झोंक दे?
जब 194 में से 183 देश, कानूनी-रूप से बाध्य वैश्विक तंबाकू नियंत्रण संधि को पारित कर लागू कर सकते हैं, तो अमरीका क्यों नहीं? अमरीकी तम्बाकू उद्योग को जानलेवा उत्पाद बनाने और भ्रामक रूप से बच्चों और युवाओं को लतेड़ी बनाने के लिए कब ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा? ज़िम्मेदारी तो अन्य अमरीकी (और अन्य देशों के) उद्योग जो हानिकारक खाद्य उत्पाद बनाते हैं, की भी तय करनी ज़रूरी है।
प्रकाशित:
- सीएनएस
- रूबरू न्यूज़, श्योपुर, मध्य प्रदेश
- बेरार टाइम्स, गोंदिया, महाराष्ट्र
- लाइव आर्यावर्त, जमशेदपुर, झारखंड
- द लीजेंड न्यूज़, मथुरा, उत्तर प्रदेश