भारतीय एड्स कार्यक्रम - दवा-आपूर्ति प्रणाली अनियमित

दवा-प्रतिरोधकता होने का खतरा एवं दवाएं जरुरतमंदों की पहुँच से बाहर

[English] दिल्ली नेटवर्क ऑफ़ पोसिटिव पीपल (एच.आई.वी. के साथ जीवित लोगों का समूह) ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संस्थान एवं स्वास्थ्य मंत्रालय से अपील की है कि वें एड्स दवाओं की आपूर्ति प्रणाली की अनियमतता को बिना विलम्ब दुरुस्त करें क्योंकि दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश के एच.आई.वी. के साथ जीवित लोगों को, जिनको इन दवाओं की आवश्यकता है, यह दवाएं मिल नहीं रही हैं.

एच.आई.वी. के साथ जीवित लोगों के स्थानीय समूहों के अनुसार, फरवरी और मई २०११ के मध्य उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और गोरखपुर जिलों में एवं बिहार के गया, भागलपुर, दरभंगा, मुज़फरपुर, एवं पटना जिलों में एड्स दवाओं की आपूर्ति प्रणाली में अनेक बार व्यवधान आया है. एच.आई.वी. के साथ जीवित लोगों के स्थानीय समूहों के अनुसार, सैकड़ों लोगों पर दवाएं न मिलने के कारण कुप्रभाव पड़ा है.

उत्तर प्रदेश के एच.आई.वी. के साथ जीवित लोगों के समूह के नरेश यादव का कहना है कि "इलाहाबाद में पहले जबरन एड्स दवा का वितरण राशन की तरह होने लगा और एच.आई.वी. के साथ जीवित लोगों को सिर्फ ५ दिन की दवा दी जाती थी पर अब तो दवा उपलब्ध ही नहीं है. अन्य ए.आर.टी. केन्द्रों की स्थिति भी इसी तरह की है."

दिल्ली नेटवर्क ऑफ़ पोसिटिव पीपल के विकास आहूजा के अनुसार "पिछले महीने तपेदिक या टी.बी. की दवा दिल्ली में उपलब्ध नहीं थीं. अब एच.आई.वी. के साथ जीवित लोगों के समूह के अनुसार कई प्रदेशों में एड्स दवा आपूर्ति प्रणाली में अनियमतता सामने आ रही है." "इससे अनेक एच.आई.वी. के साथ जीवित लोगों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है. यदि एड्स एवं टी.बी. की दवाएं नियमित रूप से उपलब्ध नहीं होंगी तो लोगों को दवा प्रतिरोधकता हो जाएगी, जिसके वजह से यह दवा उनपर कारगर नहीं रहेगी" कहना है विकास आहूजा का.

दिसंबर २०१० में एच.आई.वी. के साथ जीवित लोगों ने सूचित किया था कि उनको एकदम से बिना पूर्व जानकारी के 'नेविरापीन' दवा की बजाय 'एफाविरेंज़' दवा दी जाने लगी थी क्योंकि सरकारी दवा-भंडार में 'एफाविरेंज़' अधिक मात्र में थी और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संस्थान को 'एक्सपायरी' या दवा कारगर तिथि - मार्च २०११ - के पहले यह 'एफाविरेंज़' दवा समाप्त करनी थी.

आखिर क्या कारण है कि जीवन रक्षक और जीवन अवधि बढ़ने वाली दवाओं की आपूर्ति प्रणाली नियमित ढंग से नहीं चल पा रही है और उसमे आये दिन व्यवधान आता रहता है?

अक्सर इसका कारण अपर्याप्त एवं असंतोषजनक परियोजना, स्थानीय जरूरतों को इमानदारी से न आंकना, कमजोर दवा वितरण प्रणाली और भ्रष्टाचार होता है.

एच.आई.वी. के साथ जीवित लोगों के समूह ने स्वास्थ्य मंत्रालय एवं राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संस्थान से अति-शीघ्र ही जीवन रक्षक दवाओं के आपूर्ति प्रणाली प्रबंधन को दुरुस्त करने का आह्वान किया है जो टी.बी. एवं एड्स जैसे स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिये अतिआवश्यक है.

दिल्ली के एच.आई.वी. के साथ जीवित लोग उत्तर प्रदेश एवं बिहार के एच.आई.वी. के साथ जीवित लोगों के प्रति अतिचिन्तित हैं और इसीलिए राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संस्थान के कार्यालय के बाहर धरने पर हैं. इनकी मांग है कि २४ घंटे के अन्दर एड्स दवाओं का वितरण पुन: सामान्य ढंग से चालू हो और दवा आपूर्ति की अनियमतता की जांच हो.


सी.एन.एस .