[English] 24 मार्च 2014 को प्रकाशित नए शोध पत्र के अनुसार तंबाकू सेवन से टूबेर्कुलोसिस (टीबी, तपेदिक या क्षय रोग) होने का खतरा दो-गुना हो जाता है। जिन लोगों ने टीबी का इलाज पूरा कर लिया है और पूर्णत: ठीक हो गए हैं यदि वे तंबाकू सेवन करेंगे तो टीबी रोग दोबारा होने का खतरा दोगुना होता है। यह शोध अब तक का सबसे ठोस चिकित्सकीय वैज्ञानिक प्रमाण है कि तंबाकू सेवन और टीबी में सीधा और खतरनाक संबंध है। यह शोध पत्र “इंटरनेशनल जर्नल ऑफ टूबेर्कुलोसिस एंड लंग डीजीस” के अप्रैल 2014 अंक में प्रकाशित हुआ है जो आज विश्व टीबी दिवस पर ऑनलाइन हुआ।
शोधकर्ता डॉ चुँग यह-डेंग ने कहा कि यह शोध अब तक का सबसे ठोस प्रमाण है कि कैसे तंबाकू सेवन टीबी रोग को प्रभावित करता है। आखिर क्यों कोई व्यक्ति जिसने टीबी का लंबा इलाज पूरा किया हो अपने आप को तंबाकू सेवन कर के दोबारा टीबी होने का खतरा दोगुना करेगा? इसीलिए यह आवश्यक है कि राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम और टीबी कार्यक्रम तंबाकू सेवन से नुकसान के बारे में टीबी रोगियों में जागरूकता बढ़ाएँ और नशा उन्मूलन कार्यक्रमों को प्रभावकारी करें।
इस शोध में 5567 टीबी रोगियों ने भाग लिया जिनकी टीबी की जांच मानक के अनुरूप लैब में हुई थी और जिन्होने टीबी का इलाज सफलतापूर्वक पूरा किया। इनमें से 1.5% को टीबी दोबारा हो गयी और जो लोग तंबाकू सेवन करते थे उनमें टीबी दोबारा होने का खतरा दोगुना था।
इंटरनेशनल यूनियन अगेन्स्ट टूबेर्कुलोसिस एंड लंग डीजीस के निदेशक होसे लुईस कैस्तरो का कहना है कि टीबी नियंत्रण कार्यक्रम और अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रमों में समन्वय की आवश्यकता है जैसे कि तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम, मधुमेह नियंत्रण कार्यक्रम,शहरों में झोपड़ी-झुग्गी में रह रहे लोगों को निवास आदि दिलवाने के सामाजिक उत्थान कार्यक्रम, आदि।
केजीएमयू के पुलमोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ सूर्य कान्त ने बताया कि इसलिए आवश्यक है कि तंबाकू नशा उन्मूलन सेवाएँ और तंबाकू नियंत्रण जागरूकता कार्यक्रम प्रभावकारी ढंग से चलाये जाएँ। अनियंत्रित मधुमेह होने से टीबी होने का खतरा 2-3 गुना बढ़ जाता है। अत: जरूरी है कि टीबी और मधुमेह नियंत्रण कार्यक्रमों में तारतम्य बैठना जिससे कि वांछित जन स्वास्थ्य लाभ मिल सके।
स्वास्थ्य को वोट अभियान के समन्वयक राहुल द्विवेदी ने कहा कि तंबाकू नशा उन्मूलन सेवाओं को मौजूदा स्वास्थ्य प्रणाली में ही शामिल करना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कार प्राप्त सर्जन प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने कहा कि हर स्वास्थ्य कर्मी को तंबाकू नशा उन्मूलन को अपने रोजाना के चिकित्सकीय कार्य में शामिल करना चाहिए और हर रोगी और उसके संबंधियों को जागरूक करना चाहिए।
सिटीजन न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
मार्च २०१४
शोधकर्ता डॉ चुँग यह-डेंग ने कहा कि यह शोध अब तक का सबसे ठोस प्रमाण है कि कैसे तंबाकू सेवन टीबी रोग को प्रभावित करता है। आखिर क्यों कोई व्यक्ति जिसने टीबी का लंबा इलाज पूरा किया हो अपने आप को तंबाकू सेवन कर के दोबारा टीबी होने का खतरा दोगुना करेगा? इसीलिए यह आवश्यक है कि राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम और टीबी कार्यक्रम तंबाकू सेवन से नुकसान के बारे में टीबी रोगियों में जागरूकता बढ़ाएँ और नशा उन्मूलन कार्यक्रमों को प्रभावकारी करें।
इस शोध में 5567 टीबी रोगियों ने भाग लिया जिनकी टीबी की जांच मानक के अनुरूप लैब में हुई थी और जिन्होने टीबी का इलाज सफलतापूर्वक पूरा किया। इनमें से 1.5% को टीबी दोबारा हो गयी और जो लोग तंबाकू सेवन करते थे उनमें टीबी दोबारा होने का खतरा दोगुना था।
इंटरनेशनल यूनियन अगेन्स्ट टूबेर्कुलोसिस एंड लंग डीजीस के निदेशक होसे लुईस कैस्तरो का कहना है कि टीबी नियंत्रण कार्यक्रम और अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रमों में समन्वय की आवश्यकता है जैसे कि तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम, मधुमेह नियंत्रण कार्यक्रम,शहरों में झोपड़ी-झुग्गी में रह रहे लोगों को निवास आदि दिलवाने के सामाजिक उत्थान कार्यक्रम, आदि।
केजीएमयू के पुलमोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ सूर्य कान्त ने बताया कि इसलिए आवश्यक है कि तंबाकू नशा उन्मूलन सेवाएँ और तंबाकू नियंत्रण जागरूकता कार्यक्रम प्रभावकारी ढंग से चलाये जाएँ। अनियंत्रित मधुमेह होने से टीबी होने का खतरा 2-3 गुना बढ़ जाता है। अत: जरूरी है कि टीबी और मधुमेह नियंत्रण कार्यक्रमों में तारतम्य बैठना जिससे कि वांछित जन स्वास्थ्य लाभ मिल सके।
स्वास्थ्य को वोट अभियान के समन्वयक राहुल द्विवेदी ने कहा कि तंबाकू नशा उन्मूलन सेवाओं को मौजूदा स्वास्थ्य प्रणाली में ही शामिल करना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कार प्राप्त सर्जन प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने कहा कि हर स्वास्थ्य कर्मी को तंबाकू नशा उन्मूलन को अपने रोजाना के चिकित्सकीय कार्य में शामिल करना चाहिए और हर रोगी और उसके संबंधियों को जागरूक करना चाहिए।
सिटीजन न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
मार्च २०१४