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घटिया और नकली दवाएं दे रहीं हैं जन स्वास्थ्य को बड़ी चुनौती
[English] 2017 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसके अनुसार विकासशील देशों में कम-से-कम 10% दवाएं, घटिया या नक़ली थीं। इस रिपोर्ट ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा था कि ये आंकड़े बहुत कम रिपोर्ट हो सके हैं जब कि संभवत: यह समस्या इससे कहीं अधिक बड़ी है।
बिना दवाओं के दुरुपयोग को बंद किए कैसे होगी स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा?
"रोगाणुरोधी प्रतिरोध तो अदृश्य हो सकता है, पर मैं अदृश्य नहीं हूँ" कहना है फ़ेलिक्स का जिन्होंने इसके कारण अपने 3 माह के बेटे को खो दिया। रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस) का मूल कारण है दवाओं का दुरुपयोग। दवाओं का दुरुपयोग सिर्फ मानव स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं है बल्कि पशुपालन और पशु स्वास्थ्य, कृषि और पर्यावरण तक में है।
दवा प्रतिरोधकता रोकने के लिए पारित राजनीतिक घोषणापत्र क्या जमीनी हकीकत बनेगा?
इस सप्ताह स्वास्थ्य-संबंधी बड़ा समाचार यह है कि ७९वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में दुनिया के सभी देशों ने, बढ़ती दवा प्रतिरोधकता को रोकने के आशय से, सर्व-सम्मति से एक मजबूत राजनीतिक घोषणापत्र जारी किया। देखना यह है कि क्या सरकारें इस राजनीतिक घोषणापत्र को जमीनी हकीकत में परिवर्तित करेंगी? आख़िर दवाओं का दुरुपयोग तो बंद होना ही चाहिए पर फ़िलहाल हकीकत ठीक इसके विपरीत है। वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा पर मंडराती दस सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है दवा प्रतिरोधकता।
दवाओं के दुरुपयोग से साधारण संक्रमण हो रहे लाइलाज
जो दवाएँ हमें रोग या पीड़ा से बचाती हैं और अक्सर जीवनरक्षक होती हैं, यदि हम उनका दुरुपयोग करेंगे तो वह रोग उत्पन्न करने वाले कीटाणु पर असर नहीं करेंगी और रोग लाइलाज तक हो सकता है। यदि दवाएँ बेअसर हो जायेंगी तो ऐसे में, रोग के उपचार के लिए नयी दवा चाहिए होगी, और यदि नई दवा नहीं है तो रोग लाइलाज हो सकता है। अनेक ऐसे गंभीर और साधारण संक्रमण हैं जिनका इलाज मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि दवाओं का दुरुपयोग हो रहा है।
जो दवाएँ रोग से हमें बचाती हैं क्या हम उन्हें बचा पायेंगे?
कोविड-19 महामारी के दौरान यह हम सबको स्पष्ट हो गया है कि ऐसा रोग, जिसका इलाज संभव न हो, उसका स्वास्थ्य, अर्थ-व्यवस्था और विकास पर कितना वीभत्स प्रभाव पड़ सकता है। दवाएँ हमें रोग या पीड़ा से बचाती हैं और अक्सर जीवनरक्षक होती हैं परंतु उनके अनावश्यक और अनुचित दुरुपयोग से, रोग उत्पन्न करने वाला कीटाणु, प्रतिरोधकता विकसित कर लेता है और दवाओं को बेअसर कर देता है। दवा प्रतिरोधकता की स्थिति उत्पन्न होने पर रोग का इलाज अधिक जटिल या असंभव तक हो सकता है। साधारण से रोग जिनका पक्का इलाज मुमकिन है वह तक लाइलाज हो सकते हैं।
एकीकृत स्वास्थ्य के बिना स्वास्थ्य सुरक्षा कैसी?
[English] इंडोनेशिया में ६-७ जून २०२२ को जी-२० (G20) देशों के स्वास्थ्य कार्य समूह की दूसरी बैठक होगी। इस बैठक से पूर्व, एशिया-पैसिफ़िक देशों के अनेक शहरों के स्थानीय नेतृत्व ने (जिनमें महापौर, सांसद, आदि शामिल थे), एकीकृत स्वास्थ्य (One Health) प्रणाली की माँग की है जो मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और पर्यावरण के अंतर-सम्बंध को समझते हुए, साझेदारी में क्रियान्वित हो। अनेक स्थानीय प्रशासन के प्रमुखों ने स्थानीय स्तर पर एकीकृत स्वास्थ्य व्यवस्था की ओर कुछ काम करना आरम्भ भी कर दिया है। क्या जी-२० देशों के प्रमुख, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर एकीकृत स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूती से आगे बढ़ाएँगे?
बिना एकीकृत स्वास्थ्य (वन हेल्थ) के महामारियाँ चुनौती देती रहेंगी
[English] कोविड महामारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अर्थ-व्यवस्था और विकास के सभी संकेतकों के लिए सबकी-स्वास्थ्य-सुरक्षा कितनी ज़रूरी है। वैज्ञानिक रूप से तो यह पहले से ही ज्ञात था कि एकीकृत स्वास्थ्य (One Health) कितना अहम है। मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, कृषि और पर्यावरण में सम्बंध भी गहरा रहा है जिसका एक प्रमाण है बढ़ती हुई दवा प्रतिरोधकता। मानव स्वास्थ्य, पशु पालन, कृषि में ग़ैर-ज़िम्मेदारी और अनुचित ढंग से इस्तेमाल हो रही दवाएँ (ख़ासकर कि एंटी-बायआटिक, एंटी-वाइरल, एंटी-फ़ंगल और एंटी-पैरासिटिक दवाएँ) पर्यावरण में भी ज़हर घोल रही हैं जिसके कारणवश रोग उत्पन्न करने वाले कीटाणु रोग-प्रतिरोधक हो जाते हैं और सामान्य रोग भी लाइलाज हो सकते हैं।
दवाएँ कारगर नहीं रहीं और रोग लाइलाज हो गए तो कैसे होगी स्वास्थ्य सुरक्षा?
[English] १२ दिसंबर को सबके लिए स्वास्थ्य सेवा दिवस (यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे) मनाया जा रहा है। पर बढ़ती हुई दवा प्रतिरोधकता के कारण रोग लाइलाज हो रहे हैं या उनके उपचार के लिए कारगर दवाएँ सीमित रह गयी हैं, महँगी हो रही हैं, और इलाज के नतीजे भी संतोषजनक नहीं रहते और अक्सर मृत्यु का ख़तरा बढ़ जाता है। ऐसे में, जब तक दवाओं का ग़ैर-ज़िम्मेदाराना और अनुचित इस्तेमाल पूर्णत: बंद नहीं होगा तब तक कैसे हम सबके लिए स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं?
दवा प्रतिरोधकता, खाद्य सुरक्षा, पशुपालन, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य में क्या है सम्बन्ध?
जिस ग़ैर-ज़िम्मेदारी और अनुचित तरीक़े से इंसान दवा का उपयोग कर रहा है उसके कारण रोग उत्पन्न करने वाले कीटाणु पर दवाएँ कारगर ही नहीं रहतीं - दवा प्रतिरोधकता (Antimicrobial Resistance/ रोगाणुरोध प्रतिरोधकता) उत्पन्न हो जाती है। दवा प्रतिरोधकता के कारण इलाज अन्य दवा से होता है (यदि अन्य दवा का विकल्प है तो), इलाज लम्बा-महंगा हो जाता है और अक्सर परिणाम भी असंतोषजनक रहते हैं, और मृत्यु तक होने का ख़तरा अत्याधिक बढ़ जाता है। यदि ऐसा रोग जिससे बचाव और जिसका पक्का इलाज मुमकिन है, वह लाइलाज हो जाए, तो इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा क्योंकि दवा प्रतिरोधकता का ज़िम्मेदार तो मूलतः इंसान ही है। वैज्ञानिक उपलब्धि में हमें जीवनरक्षक दवाएँ दी तो हैं पर ग़ैर-ज़िम्मेदाराना और अनुचित ढंग से यदि हम उपयोग करेंगे तो इन दवाओं को खो देंगे और रोग लाइलाज तक हो सकते हैं।
यदि दवाएँ कारगर नहीं रहीं तो साधारण रोग भी हो जाएँगे घातक
दवाओं के अनावश्यक उपयोग या दुरुपयोग के कारण, जो कीटाणु रोग जनते हैं, वह दवा प्रतिरोधकता उत्पन्न कर लेते हैं, और नतीजतन ये दवाएँ उन कीटाणुओं पर कारगर नहीं रहतीं। साधारण से रोग जिनका पक्का इलाज मुमकिन है वह तक लाइलाज हो सकते हैं।
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