अस्पताल में टीबी होने पर मरीज ने डाक्टर को कोर्ट में घसीटा

अस्पताल में टीबी होने पर मरीज ने डाक्टर को कोर्ट में घसीटा

चंडीगढ़ में एक मरीज का गल ब्लाद्देर या पिट्ठी की थैली का आपरेशन हुआ। आपरेशन के बाद उस मरीज को टीबी ह गयी। मरीज ने कोर्ट में दावा किया कि डाक्टर या शल्य चिकित्सक या सर्जन की लापरवाही की वजह से उसको टीबी हुई। कोर्ट ने १ लाख का हर्जाना डाक्टर पर ठोक दिया।

स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के भीतर संक्रामक रोगों के फैलने पर चिंतन पहले भी हुआ है पर ऐसा शायद पहली बार हुआ हो कि डाक्टर को कोर्ट में न केवल घसीटा गया बल्कि कोर्ट ने एक लाख का दवा भी डाक्टर पर ठोक दिया क्योकि अस्पताल में एक मरीज को संभवत टीबी संक्रमित हो गया।

ये निश्चित तौर पर नही कहा जा सकता कि टीबी अस्पताल में हुआ या कही और, पर सम्भावना नि:संदेह काफी है कि भारत के अस्पताल में मरीज को टीबी हो जाये।

भारत में दुनिया के / टीबी मरीज हैं, और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में संक्रमण के नियंत्रण पर समयोचित जोर नही है
अब विवाद का विषय ये नही है कि मरीज को टीबी कैसे हुई पर संभावनाओं पर अवश्य विचार किया जाना चाहिऐ जो मानिये कोर्ट ने किया:
डाक्टर या सर्जन पर संदेह लाजमी है कि आपरेशन के दौरान लापरवाही से टीबी हो गयी। ये लापरवाही किसी भी स्वास्थ्य कर्मी की हो सकती है पर सर्जन टीम का नेता होता है इसलिए इल्जाम उसपर लगाया गया।

संभवत ये भी सोचने का समय है कि:

* एक मरीज से मिल
ने वाले कितने रिश्तेदार तीमारदार आते हैं, अस्पताल को अक्सर पुलिस तक का सहारा लेना पड़ता है क्योकि भीड़ न्यांतरण में नही आती। अब शायद हम इस बात को गंभीरता से ले कि मरीज को देखने सिर्फ समय पर जाया जाये और उचित संकमरण नियंत्रण के निर्देश को सावधानी से सुना जाये।

* न केवल हमारे देश की पर विश्व में अस्पताल में संकमरण की रोक्धाम के सुझाव बहुत सीमित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के टीबी विभाग के निदेशक का कहना है कि अस्पताल की खिड़की खोल दी जाये - इतना पर्याप्त है अस्पताल में टीबी संकमरण को नियंत्रित करने के लिए।

ये गंभीर बात इसलिए भी है क्योकि:
* अब दोस्तो क्या करें? यदि OPD या दिखाने आने वाले मरीजों को आपस में एक दुसरे से कोई संकमरण हो जाये तो कहा तक डाक्टर को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है?
* टीबी विशेशाग्य क्या करे यदि उनको दिखाने आने वाले मरीजों को आपस में संकमरण हो जाये? ये और गंभीर प्रशन है क्योकि भारत में और विश्व में ४१ राष्ट्रों से ऐसी टीबी रिपोर्ट की गयी है जिसका इलाज संभव है ही नही क्योकि सारी ट
ीबी की दवाएं ऐसी टीबी पर कारगार नही हैं।
* वह मरीज क्या करें जिनकी स्वयम की पर्तिरोधक छ्मता कम है, उदाहरण के तौर पर वह लोग जो एच.इ.व। के साथ जीवित हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि अस्पताल की खिड़की खोल दी जाएँ। क्या इतना करना पर्याप्त है?


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