बच्चे जो कुपोषित या अल्पपोषित और जन्म से शुरूआती छः माह तक सिर्फ माँ का दूध नहीं पीते हैं, उनमें रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होती है जिससे कारण उनमें निमोनिया के होने का खतरा बढ़ जाता है. अतः बच्चों को निमोनिया से बचाने में उचित पोषण और माँ के दूध का महत्वपूर्ण योगदान है. सम्पूर्ण विश्व में बच्चों में निमोनिया से होने वाली कुल मौतों में से ४४% मौतें कुपोषण के कारण होती हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पूरे विश्व में प्रतिवर्ष पांच वर्ष से कम आयु के १८ लाख बच्चों की मृत्यु निमोनिया से होती हैं. यह संख्या बच्चों में अन्य बीमारियों से होने वाली मृत्यु से कहीं अधिक है. निमोनिया एक प्रकार का तीव्र श्वास सम्बन्धी संक्रमण है जो फेफड़ों की वायुकोष्टिकाओं को प्रभावित करता है. जब कोई स्वस्थ मनुष्य साँस लेता है तो यें वायुकोष्टिकाएं हवा से भर जाती हैं. परन्तु निमोनिया से पीड़ित व्यक्ति में ये कोष्टिकाएं मवाद और तरल पदार्थ से भर जाती हैं जिसके कारण श्वास लेने की प्रक्रिया कठिन और दुःखदायी हो जाती है तथा शरीर में ऑक्सीजन सीमित मात्रा में पहुँच पाती है.
बहराइच जिला अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ के. के. वर्मा के अनुसार "बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए सम्पूर्ण पोषण बहुत आवश्यक है. इससे बच्चों के शरीर को पूर्ण रूप से सभी प्रकार के विटामिन मिलते रहते हैं फलस्वरूप बच्चों का निमोनिया से बचाव होता रहता है. पूर्ण पोषण के लिए बच्चों को दाल, चावल और रोटी दें, बाहर का 'रेडीमेड बेबी फ़ूड' जहां तक संभव हो नहीं देना चाहिए. बाहरी ' रेडीमेड बेबी फ़ूड' बच्चे के स्वास्थ्य के लिए एक ख़राब पोषण है"
बहराइच जिला अस्पताल के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. पी. के मिश्र का मानना है कि "शिशु के लिए जीवन के पहले छः माह तक माँ का दूध सबसे उचित पोषण है और जब बच्चा छः माह से अधिक का हो जाए तो दलिया वगैरा दिया जा सकता है. बोतल का दूध बिल्कुल ही नहीं पिलायें यह बच्चों के लिए सही पोषण नहीं है. महिलाओं में जानकारी की कमी है अतः आवश्यक है कि उन्हें जानकारी दी जाए यदि वे जानकार होंगी तो अच्छे पोषण कि विधि अपने-आप अपना लेंगी".
लखनऊ में एक निजी चिकित्सालय चलाने वाली बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कुमुद अनूप जी के अनुसार "हाथ कि स्वच्छता बहुत महत्वपूर्ण है, जिससे निमोनिया तथा अन्य अनेक बीमारियों से बच्चों को बचाया जा सकता है. अतः, उचित पोषण और स्वच्छता न केवल बच्चे को निमोनिया तथा अन्य रोगों से बचाने में सहायक है बल्कि बच्चे के शारीरिक विकास और रोगप्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने में कारगर है. दाल, चावल, रोटी और सब्जी सबसे अच्छा और सस्ता पौष्टिक आहार है जो किसी भी प्रकार से हानिकारक नहीं है".
डॉ वर्मा के अनुसार भी बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए सफाई बहुत महत्वपूर्ण है. अतः बच्चे को ठीक प्रकार से हाथ को धोने के बाद ही स्पर्श करना चाहिए. बच्चों को कपड़े धुले व साफ़-सुथरे पहनाने चाहिए. बेहतर होगा कि कई कपड़ों का प्रयोग पहनाने के लिए करें यदि एक-दो कपड़े ही हैं तो हर बार कपड़े धुल कर ही पहनायें.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बच्चों को निमोनिया से बचाने में पर्याप्त मात्रा में पोषण बहुत ही अहम भूमिका निभाता है. बच्चों को आरम्भ के छः महीने तक समुचित मात्रा में पोषण देने के लिए माँ का दूध पर्याप्त है. यह बच्चों के लिए एक प्राकृतिक सुरक्षा है जो कि बच्चों को न केवल पूर्ण पोषण प्रदान करता है बल्कि उनमे रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास भी करता है.
अतः बच्चों को समुचित पोषण और उचित वातावरण प्रदान करके हम उसे न केवल निमोनिया वरन अन्य कई प्रकार के भ्रामक बीमारियों से बचा सकते हैं. बच्चों को उचित पोषण देने के लिए उसके जीवन के पहले छः माह तक केवल माँ का दूध पर्याप्त है तथा ६ से २४ माह तक के लिए माँ के दूध के साथ-२ दाल, चावल, रोटी, सब्जी, दलिया और अन्य पूरक आहार दिया जा सकता है. लोगों में जानकारी का अभाव है. समाज में बहुत बड़ी जागरूकता की जरूरत है. तभी समाज में लोग विभिन्न प्रकार के स्वास्थवर्धक विधियों को अपनाकर, बच्चों को निमोनिया तथा अन्य बीमारियों से बचाने में सफल हो पायेंगें.
राहुल कुमार द्विवेदी - सी.एन.एस.
(लेखक सी.एन.एस. www.citizen-news.org ऑनलाइन पोर्टल के लिये लिखते हैं)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पूरे विश्व में प्रतिवर्ष पांच वर्ष से कम आयु के १८ लाख बच्चों की मृत्यु निमोनिया से होती हैं. यह संख्या बच्चों में अन्य बीमारियों से होने वाली मृत्यु से कहीं अधिक है. निमोनिया एक प्रकार का तीव्र श्वास सम्बन्धी संक्रमण है जो फेफड़ों की वायुकोष्टिकाओं को प्रभावित करता है. जब कोई स्वस्थ मनुष्य साँस लेता है तो यें वायुकोष्टिकाएं हवा से भर जाती हैं. परन्तु निमोनिया से पीड़ित व्यक्ति में ये कोष्टिकाएं मवाद और तरल पदार्थ से भर जाती हैं जिसके कारण श्वास लेने की प्रक्रिया कठिन और दुःखदायी हो जाती है तथा शरीर में ऑक्सीजन सीमित मात्रा में पहुँच पाती है.
बहराइच जिला अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ के. के. वर्मा के अनुसार "बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए सम्पूर्ण पोषण बहुत आवश्यक है. इससे बच्चों के शरीर को पूर्ण रूप से सभी प्रकार के विटामिन मिलते रहते हैं फलस्वरूप बच्चों का निमोनिया से बचाव होता रहता है. पूर्ण पोषण के लिए बच्चों को दाल, चावल और रोटी दें, बाहर का 'रेडीमेड बेबी फ़ूड' जहां तक संभव हो नहीं देना चाहिए. बाहरी ' रेडीमेड बेबी फ़ूड' बच्चे के स्वास्थ्य के लिए एक ख़राब पोषण है"
बहराइच जिला अस्पताल के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. पी. के मिश्र का मानना है कि "शिशु के लिए जीवन के पहले छः माह तक माँ का दूध सबसे उचित पोषण है और जब बच्चा छः माह से अधिक का हो जाए तो दलिया वगैरा दिया जा सकता है. बोतल का दूध बिल्कुल ही नहीं पिलायें यह बच्चों के लिए सही पोषण नहीं है. महिलाओं में जानकारी की कमी है अतः आवश्यक है कि उन्हें जानकारी दी जाए यदि वे जानकार होंगी तो अच्छे पोषण कि विधि अपने-आप अपना लेंगी".
लखनऊ में एक निजी चिकित्सालय चलाने वाली बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कुमुद अनूप जी के अनुसार "हाथ कि स्वच्छता बहुत महत्वपूर्ण है, जिससे निमोनिया तथा अन्य अनेक बीमारियों से बच्चों को बचाया जा सकता है. अतः, उचित पोषण और स्वच्छता न केवल बच्चे को निमोनिया तथा अन्य रोगों से बचाने में सहायक है बल्कि बच्चे के शारीरिक विकास और रोगप्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने में कारगर है. दाल, चावल, रोटी और सब्जी सबसे अच्छा और सस्ता पौष्टिक आहार है जो किसी भी प्रकार से हानिकारक नहीं है".
डॉ वर्मा के अनुसार भी बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए सफाई बहुत महत्वपूर्ण है. अतः बच्चे को ठीक प्रकार से हाथ को धोने के बाद ही स्पर्श करना चाहिए. बच्चों को कपड़े धुले व साफ़-सुथरे पहनाने चाहिए. बेहतर होगा कि कई कपड़ों का प्रयोग पहनाने के लिए करें यदि एक-दो कपड़े ही हैं तो हर बार कपड़े धुल कर ही पहनायें.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बच्चों को निमोनिया से बचाने में पर्याप्त मात्रा में पोषण बहुत ही अहम भूमिका निभाता है. बच्चों को आरम्भ के छः महीने तक समुचित मात्रा में पोषण देने के लिए माँ का दूध पर्याप्त है. यह बच्चों के लिए एक प्राकृतिक सुरक्षा है जो कि बच्चों को न केवल पूर्ण पोषण प्रदान करता है बल्कि उनमे रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास भी करता है.
अतः बच्चों को समुचित पोषण और उचित वातावरण प्रदान करके हम उसे न केवल निमोनिया वरन अन्य कई प्रकार के भ्रामक बीमारियों से बचा सकते हैं. बच्चों को उचित पोषण देने के लिए उसके जीवन के पहले छः माह तक केवल माँ का दूध पर्याप्त है तथा ६ से २४ माह तक के लिए माँ के दूध के साथ-२ दाल, चावल, रोटी, सब्जी, दलिया और अन्य पूरक आहार दिया जा सकता है. लोगों में जानकारी का अभाव है. समाज में बहुत बड़ी जागरूकता की जरूरत है. तभी समाज में लोग विभिन्न प्रकार के स्वास्थवर्धक विधियों को अपनाकर, बच्चों को निमोनिया तथा अन्य बीमारियों से बचाने में सफल हो पायेंगें.
राहुल कुमार द्विवेदी - सी.एन.एस.
(लेखक सी.एन.एस. www.citizen-news.org ऑनलाइन पोर्टल के लिये लिखते हैं)