उत्तर प्रदेश सरकार ने जन स्वास्थ्य के विपरीत जाकर सिगरेट और सिगार पर वैट (VAT) कर को 50% से 25% करने का निर्णय लिया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार तंबाकू कर में वृद्धि तम्बाकू का सेवन रोकने एवं उसका सेवन कर रहे लोगों को छोड़ने में मदद करने का एक प्रभावशाली तरीका था। यह तंबाकू से हो रहे अधिकांश गैर संक्रामक रोग जैसे हृदय रोग और स्ट्रोक, कैंसर, और अन्य तंबाकू जनित बीमारियों के दर को कम करने में मददगार साबित होगा। यह सी- ब्लॉक, इन्दिरा नगर स्थित डेबल कॉलेज में आयोजित ‘स्वस्थ्य को वोट’ कार्यक्रम का केंद्रीय संदेश था। डेबल कॉलेज की प्रधानाचार्या सुश्री बैनर्जी ने स्वास्थ्य को वोट अभियान को समर्थन दिया।
उप्र सरकार द्वारा सिगरेट और सिगार पर कर को आधा करने से जन स्वास्थ्य की दिशा में हुई प्रगति पीछे फिसल सकती है। इसी सरकार ने जुलाई 2012 में तंबाकू उत्पादों पर वैट 17.5% से 50% कर दिया था परंतु अब तंबाकू लॉबी के दबाव में आकार वैट को सरकार द्वारा आधा कर दिया गया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, तंबाकू की कीमत में 70% कि वृद्धि सभी धूम्रपान से संबंधित मौतों को एक चौथाई तक रोक सकता है। कर में बढ़ोत्तरी सरकार के लिए राजस्व में व्रद्धि का सीधा स्त्रोत है अथवा यह तंबाकू नियंत्रण और अन्य महत्वपूर्ण स्वास्थ्य और सामाजिक कार्यक्रमों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। हम सभी तम्बाकू और शराब उत्पादों पर कर को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार से अपील करते हैं, जन स्वास्थ्य को प्राथमिकता, बच्चों और युवाओं द्वारा तंबाकू सेवन शुरू करने की संख्या में कटौती, हृदय रोग, पक्षघात और कैंसर की दरों में कमी, और विकास के लिए इस्तेमाल करने हेतु अधिक राजस्व एकत्र किए जाने कि भी मांग करते हैं।
मौखिक स्वास्थ्य कि उपेक्षा न करें
डॉ शिवानी शर्मा, ‘वन स्टॉप स्माइल शॉप’ की प्रमुख दंत सर्जन हैं जो तंबाकू के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं। डॉ शिवानी शर्मा कहती हैं कि चबाने वाली तंबाकू अपघर्षक के रूप में कार्य करती है जो दाँत के एनैमल में अतिसंवेदनशीलता पैदा करती है। लंबी अवधि से मुंह में रखा तंबाकू पेरिडोनटल ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है। यह समय के साथ हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकता है। लगातार जलन मसूड़ों की चोट का कारण हो सकते हैं एवं बाद में गर्म और ठंडे के प्रति अतिसंवेदनशीलता भी पैदा कर सकता है।
डेंटल सर्जन डॉ. शिवानी शर्मा आगे जानकारी देते हुए बताती हैं कि तंबाकू की लंबी अवधि के उपयोग से दांत पीले हो जाते हैं एवं यह बुरी सांस का भी कारण बनता है।
उप्र सरकार द्वारा सिगरेट और सिगार पर कर को आधा करने से जन स्वास्थ्य की दिशा में हुई प्रगति पीछे फिसल सकती है। इसी सरकार ने जुलाई 2012 में तंबाकू उत्पादों पर वैट 17.5% से 50% कर दिया था परंतु अब तंबाकू लॉबी के दबाव में आकार वैट को सरकार द्वारा आधा कर दिया गया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, तंबाकू की कीमत में 70% कि वृद्धि सभी धूम्रपान से संबंधित मौतों को एक चौथाई तक रोक सकता है। कर में बढ़ोत्तरी सरकार के लिए राजस्व में व्रद्धि का सीधा स्त्रोत है अथवा यह तंबाकू नियंत्रण और अन्य महत्वपूर्ण स्वास्थ्य और सामाजिक कार्यक्रमों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। हम सभी तम्बाकू और शराब उत्पादों पर कर को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार से अपील करते हैं, जन स्वास्थ्य को प्राथमिकता, बच्चों और युवाओं द्वारा तंबाकू सेवन शुरू करने की संख्या में कटौती, हृदय रोग, पक्षघात और कैंसर की दरों में कमी, और विकास के लिए इस्तेमाल करने हेतु अधिक राजस्व एकत्र किए जाने कि भी मांग करते हैं।
मौखिक स्वास्थ्य कि उपेक्षा न करें
डॉ शिवानी शर्मा, ‘वन स्टॉप स्माइल शॉप’ की प्रमुख दंत सर्जन हैं जो तंबाकू के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं। डॉ शिवानी शर्मा कहती हैं कि चबाने वाली तंबाकू अपघर्षक के रूप में कार्य करती है जो दाँत के एनैमल में अतिसंवेदनशीलता पैदा करती है। लंबी अवधि से मुंह में रखा तंबाकू पेरिडोनटल ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है। यह समय के साथ हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकता है। लगातार जलन मसूड़ों की चोट का कारण हो सकते हैं एवं बाद में गर्म और ठंडे के प्रति अतिसंवेदनशीलता भी पैदा कर सकता है।
डेंटल सर्जन डॉ. शिवानी शर्मा आगे जानकारी देते हुए बताती हैं कि तंबाकू की लंबी अवधि के उपयोग से दांत पीले हो जाते हैं एवं यह बुरी सांस का भी कारण बनता है।
सिटीज़न न्यूज़ सर्विस - सी एन एस