प्रो0 डॉ0 रमा कान्त ने कहा कि “बच्चों एवं युवाओं में तम्बाकू नियंत्रण करना व्यापक तम्बाकू नियंत्रण योजना का एक अहम भाग है। भारत में तम्बाकू से हर वर्ष 10 लाख से अधिक लोग मृत्यु को प्राप्त होते हैं। बच्चों और युवाओं को तम्बाकू कम्पनियों के प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष भ्रामक प्रचार से दूर रहना चाहिए और उससे प्रभावित नहीं होना चाहिए। उनको तम्बाकू सेवन की असली तस्वीर जो जानलेवा बीमारियों से जुड़ी है उससे परिचित होना चाहिए जिससे कि वें ज़िन्दगी चुनें, तम्बाकू नहीं”।
प्रो0 डॉ0 रमा कान्त, जिनको 1997 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का राष्ट्रीय अनुशंसा पुरूस्कार भी 1997 में मिल चुका है, ने कहा कि “लगभग आधी तम्बाकू जनित मृत्यु 35-69 वर्ष के दौरान होती है। धूम्रपान से अधिकांश मरने वाले लोगों ने तम्बाकू सेवन युवावस्था में आरम्भ किया था। 30-40 साल के लोग जो तम्बाकू सेवन करते हैं, उनको हृदय रोग होने का पॉंच गुणा अधिक खतरा रहता है। तम्बाकू जनित हृदय रोग एवं कैंसर तम्बाकू व्यसनियों की मौत का सबसे बड़ा कारण है”।
प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने कहा कि “तम्बाकू व्यसनियों को नशा मुक्ति के लिये विशेषज्ञों से मदद लेनी चाहिए. शोध के अनुसार अक्सर तम्बाकू सेवन करने वाले लोग तम्बाकू-जनित रोगों, विकृतियों और मृत्यु से अनभिज्ञ होते हैं. जो तम्बाकू व्यसनी इन खतरों को संजीदगी से समझते हैं, उनकी नशा-मुक्त होने की सम्भावना अधिक होती है.”
स्वास्थ्य को वोट के अन्य सत्र में सीएनएस के बाबी रमाकांत ने कहा कि “तंबाकू एवं स्वास्थ्य नीतियों को असरदायक प्रभावकारी तरीके से लागू करने में तंबाकू उद्योग सबसे बड़ा अड़ंगा है और हस्तक्षेप करता आया है। सरकार को तंबाकू उद्योग के दबाव को दरकिनार कर जन स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए”। राहुल द्विवेदी ने भी स्वास्थ्य को वोट के सत्र का संचालन किया। डीपीएस प्रधानाचार्या रश्मि भार्गव, अध्यापक ईश्वर सिंह कोरंगा, आदि भी स्वास्थ्य को वोट सत्र में शामिल थे।
सिटीज़न न्यूज़ सर्विस - सी एन एस