सीएनएस फोटो लाइब्ररी/2015 |
उन्होने कहा कि "यह किसान को और कर्ज़ तथा गरीबी की तरफ धकेलने की साजिश है। दूसरी तरफ सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भी खत्म करने की साजिश है। यदि सरकार किसान से अनाज नहीं खरेदगी तो लोगों को राशन व्यवस्था में अन्न क्या देगी? हम केंद्र और राज्य सरकार की मिली-जुली साजिश का कड़ा विरोध करते हैं। हम अधिकारियों से पूछना चाहेंगे कि यदि उन्हे निर्धारित वेतन से कम वेतन दिया जाएगा तो क्या वे स्वीकार करेंगे? या अकार्यकुशलता के कारण उनके वेतन की कटौती होगी तो क्या वे स्वीकार करेंगे?"
किसानों से कहा जा रहा है कि उनके उत्पादन की गुणवकता ठीक न होने के कारण अनाज की मात्रा कम कर भुगतान में कटौती की जा रही है। खरीद भी सरकारी केन्द्रों पर करने के बजाय निजी मिलों पर हो रही है।
मगसेसे पुरुस्कार से सम्मानित सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ संदीप पाण्डेय ने कहा: "उधर केंद्र सरकार ने भू-अधिग्रहण कानून को एक अध्यादेश जारी कर कमजोर कर दिया है। अब किसानों की जमीन अधिगृहीत करने से पहले 70% भू-स्वामियों की सहमति जरूरी नहीं है। न ही जन-सुनवाई की आवश्यकता है। इस तरह भू-अधिग्रहण की वजह से उत्पन्न होने वाले सामाजिक प्रभाव का अध्यन्न जरूरी नहीं रह गया है।"
डॉ पाण्डेय ने कहा कि "यह सारे किसान-विरोधी कदम हैं। केंद्र सरकार और राज्य सरकार की मिलीभगत से बदहाल किसान की स्थिति और बदतर होगी। हम दोनों सरकारों की नीतियों का विरोध करते हैं, और चेतावनी देते हैं कि वें अपना किसान-विरोधी रवैया छोड़ें। जो सबको खिला कर जिंदा रहता है यदि उसी की स्थिति बदहाल रहेगी तो समाज कैसे खुशहाल रहेगा?"
सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
8 जनवरी 2015