अनिल मिश्र के अनशन से प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद चालूसोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) के उन्नाव जिलाध्यक्ष अनिल मिश्रा के 8 जनवरी, 2015 से गांधी प्रतिमा, हजरतगंज, लखनऊ में अनशन पर बैठने से प्रदेश सरकार ने अंततः धान खरीद के जो केन्द्र बंद कर रखे थे उन्हें खोलने का निर्णय लिया है। अनिल मिश्रा ने सीएनएस को बताया कि: "किंतु हमें इस बात पर रोष है कि पूर्व में घोषित समर्थन मूल्य रु. 1360 (ए ग्रेड धान के लिए रु. 1400) प्रति कुंतल में 2 प्रतिशत, यानी रु. 27.20 की कमी कर दी गई है चूंकि फसल के खेत में खड़े रहने के दौरान वर्षा के कारण उसकी गुणवत्ता प्रभावित हुई है।"
मगसेसे पुरुस्कार से सम्मानित वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ संदीप पाण्डेय ने कहा: "किसान, जो हम सबको भोजन उपलब्ध करा कर जिंदा रखने का महत्वपूर्ण काम करता है और जो कर्ज के बोझ से दबा पड़ा है, को हर तरह से परेशान करने की सरकार की नीति पर हम अपनी कठोर आपत्ति दर्ज कराना चाहेंगे। हम उन अधिकारियों से पूछना चाहेंगे जो दूसरों के लिए कठोर नीतियां तय करते हैं कि अपने काम की गुणवत्ता की कमी पर कभी उनके वेतन में भी कटौती क्यों नहीं होनी चाहिए? यदि खाद्य एवं रसद विभाग के अधिकारी धान खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारण्टी नहीं दे सकते तो इन्हें किस बात की तनख्वाह मिलनी चाहिए?"
डॉ पाण्डेय ने कहा कि क्रय केन्द्रों पर अनाज न खरीद कर सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भी खत्म करने की साजिश के प्रति हम जनता को अगाह करना चाहेंगे। सरकार का यह निर्णय किसान के साथ-साथ गरीब विरोधी भी होगा।
सोशलिस्ट पार्टी के उत्तर प्रदेश राज्य संरक्षक गिरीश कुमार पांडे ने कहा कि "भू-अधिग्रहण कानून में पिछली सरकार ने तब्दीली लाकर उसे ‘उचित मुआवजे का अधिकार व भू अधिग्रहण, पुनर्वास व पुनर्स्थापन में पारदर्शिता‘ का रूप देकर कुछ हद तक जन पक्षीय बनाया था। इन प्रावधानों को 31 दिसम्बर, 2014 को एक अध्यादेश के माध्यम से नरेन्द्र मादी सरकार ने कमजोर कर दिया है। नरेन्द्र मोदी हमें अंग्रेजों के जमाने में ले जाना चाहते हैं जहां सरकार जब चाहे जहां चाहे मनमाने ढंग से जमीन हड़प लेगी। नरेन्द्र मोदी सरकार के इस किसान विरोधी कदम का हम सख्त विरोध करते हैं और उन्हें चेतावनी देते हैं कि किसानों के हितों के साथ खिलवाड़ उन्हें मंहगा पड़ेगा। हमने आज इस अध्यादेश की प्रति को जलाने का फैसला किया है।"
सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
9 जनवरी 2015
मगसेसे पुरुस्कार से सम्मानित वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ संदीप पाण्डेय ने कहा: "किसान, जो हम सबको भोजन उपलब्ध करा कर जिंदा रखने का महत्वपूर्ण काम करता है और जो कर्ज के बोझ से दबा पड़ा है, को हर तरह से परेशान करने की सरकार की नीति पर हम अपनी कठोर आपत्ति दर्ज कराना चाहेंगे। हम उन अधिकारियों से पूछना चाहेंगे जो दूसरों के लिए कठोर नीतियां तय करते हैं कि अपने काम की गुणवत्ता की कमी पर कभी उनके वेतन में भी कटौती क्यों नहीं होनी चाहिए? यदि खाद्य एवं रसद विभाग के अधिकारी धान खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारण्टी नहीं दे सकते तो इन्हें किस बात की तनख्वाह मिलनी चाहिए?"
डॉ पाण्डेय ने कहा कि क्रय केन्द्रों पर अनाज न खरीद कर सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भी खत्म करने की साजिश के प्रति हम जनता को अगाह करना चाहेंगे। सरकार का यह निर्णय किसान के साथ-साथ गरीब विरोधी भी होगा।
सोशलिस्ट पार्टी के उत्तर प्रदेश राज्य संरक्षक गिरीश कुमार पांडे ने कहा कि "भू-अधिग्रहण कानून में पिछली सरकार ने तब्दीली लाकर उसे ‘उचित मुआवजे का अधिकार व भू अधिग्रहण, पुनर्वास व पुनर्स्थापन में पारदर्शिता‘ का रूप देकर कुछ हद तक जन पक्षीय बनाया था। इन प्रावधानों को 31 दिसम्बर, 2014 को एक अध्यादेश के माध्यम से नरेन्द्र मादी सरकार ने कमजोर कर दिया है। नरेन्द्र मोदी हमें अंग्रेजों के जमाने में ले जाना चाहते हैं जहां सरकार जब चाहे जहां चाहे मनमाने ढंग से जमीन हड़प लेगी। नरेन्द्र मोदी सरकार के इस किसान विरोधी कदम का हम सख्त विरोध करते हैं और उन्हें चेतावनी देते हैं कि किसानों के हितों के साथ खिलवाड़ उन्हें मंहगा पड़ेगा। हमने आज इस अध्यादेश की प्रति को जलाने का फैसला किया है।"
सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
9 जनवरी 2015