यह जन स्वास्थ्य के लिए हितकारी कदम है कि भारत सरकार ने तम्बाकू उत्पादनों पर चित्रमय चेतावनी को ८५% लागू न करने की संसदीय समिति की सलाह को दरकिनार कर, १ अप्रैल २०१६ से हर तम्बाकू उत्पाद पर ८५% चेतावनी लागू करने का निर्णय लिया है. सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम २००३ के सेक्शन ७ को लागू करने के लिए "ह्रदय-शान" की मार्गनिर्देशिका के अनुसार, हर तम्बाकू उत्पाद पर न केवल चित्रमय चेतावनी का आकार ८५% होगा बल्कि चित्रमय चेतावनी ३.५सेमी चौड़ाई और ४सेमी लम्बाई से छोटी भी नहीं हो सकती - जिसका तात्पर्य यह है कि तम्बाकू छोटे पैक में नहीं बिक सकेगी.
स्वास्थ्य को वोट अभियान के निदेशक राहुल द्विवेदी ने कहा कि "यह दोनों ही जन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी कदम हैं."
डबल्यूएचओ अंतर्राष्ट्रीय पुरूस्कार प्राप्त सर्जन प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त का कहना है कि भारत जैसे देशों में जहां शिक्षा स्तर अभी कम है, वहाँ लिखित चेतावनी की तुलना में चित्रमय चेतावनी अधिक प्रभावकारी हैं। ऑस्ट्रेलिया और आयरलैंड जैसे देशों ने सभी तंबाकू उत्पादनों की सादा डिब्बाबंदी अनिवार्य कर दी है। प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि जन स्वास्थ्य को लाभान्वित करने के लिए चित्रमय चेतावनी से अब सादा डिब्बाबंदी की ओर बढ़ने की आवश्यकता है। प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने बताया कि सादा डिब्बाबंदी से तंबाकू उत्पादनों का आकर्षण और लुभावनापन कम होता है, चित्रमय चेतावनी अधिक दिखती है, और डिब्बे पर भ्रामक संदेश पर भी अंकुश लगता है। भारत में तंबाकू नियंत्रण सशक्त करने से न केवल तंबाकू सेवन में कमी आएगी बल्कि गैर संक्रामक रोगों के दर में भी गिरावट आएगी।
सिटीजन न्यूज़ सर्विस (सीएनएस)
१ अप्रैल २०१६
स्वास्थ्य को वोट अभियान के निदेशक राहुल द्विवेदी ने कहा कि "यह दोनों ही जन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी कदम हैं."
डबल्यूएचओ अंतर्राष्ट्रीय पुरूस्कार प्राप्त सर्जन प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त का कहना है कि भारत जैसे देशों में जहां शिक्षा स्तर अभी कम है, वहाँ लिखित चेतावनी की तुलना में चित्रमय चेतावनी अधिक प्रभावकारी हैं। ऑस्ट्रेलिया और आयरलैंड जैसे देशों ने सभी तंबाकू उत्पादनों की सादा डिब्बाबंदी अनिवार्य कर दी है। प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि जन स्वास्थ्य को लाभान्वित करने के लिए चित्रमय चेतावनी से अब सादा डिब्बाबंदी की ओर बढ़ने की आवश्यकता है। प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने बताया कि सादा डिब्बाबंदी से तंबाकू उत्पादनों का आकर्षण और लुभावनापन कम होता है, चित्रमय चेतावनी अधिक दिखती है, और डिब्बे पर भ्रामक संदेश पर भी अंकुश लगता है। भारत में तंबाकू नियंत्रण सशक्त करने से न केवल तंबाकू सेवन में कमी आएगी बल्कि गैर संक्रामक रोगों के दर में भी गिरावट आएगी।
सिटीजन न्यूज़ सर्विस (सीएनएस)
१ अप्रैल २०१६