एचआईवी नियंत्रण के लिए आया पैसा बैंक में बंद है या प्रभावी ढंग से व्यय हो रहा है?

जिन लोगों को एचआईवी से संक्रमित होने का खतरा अधिक है, उनकी गिनती क्यों सही नहीं? जिन देशों में एड्स सबसे अधिक चुनौती बना हुआ है उन्ही देशों में जिन लोगों को एचआईवी से संक्रमित होने का खतरा अधिक है उनकी गिनती सही नहीं होती है और सरकारी अनुमान काफी कम होते हैं. दूसरी चौकाने वाली बात यह है कि इन देशों में जहाँ एड्स चुनौती बना हुआ है और जहाँ एचआईवी संक्रमण होने वाले समुदाओं का अनुमान काफी कम किया जाता है ऐसे देशों में अक्सर कितने लोगों को एचआईवी सम्बंधित सेवा मिल रही है इसका प्रतिशत काफी बढ़चढ़ कर रिपोर्ट किया जाता है.

दक्षिण अफ्रीका के डरबन शहर में संपन्न हुए २१वें अंतर्राष्ट्रीय एड्स अधिवेशन में प्रख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता मेग डेविस ने यह बात अपने शोध के आधार पर कही. मेग डेविस ने बताया कि एचआईवी का खतरा समलैंगिक और हिजरे समुदाय में अनेक गुना है (आम जन की तुलना में). उन्होंने कहा कि जिन देशों में समलैंगिकता को गैरकानूनी नहीं माना जाता है वहाँ पर समलैंगिक लोगों की संख्या का अनुमान अधिक पाया गया और जिन देशों में समलैंगिकता को गैर कानूनी माना जाता है और जुर्माने या जेल की सजा होती है वहाँ पर समलैंगिक लोगों की संख्या का अनुमान काफी कम रिपोर्ट हुआ. जिन देशों में समलैंगिकता की सजा मृत्यु दंड है वहां पर ये अनुमान और भी अधिक कम या नगण्य रिपोर्ट हुआ.

मेग डेविस ने शोध के आधार पर २० ऐसे देशों का अध्ययन किया जहाँ एचआईवी सबसे विकराल चुनौती बना हुआ है. इनमें से जिन देशों में समलैंगिक व्यव्हार को गैर कानूनी माना जाता है वहां ऐसे समुदाय में एचआईवी सेवाएँ पहुचने का प्रतिशत दर काफी बढ़ा चढ़ा कर रिपोर्ट किया गया था. उदहारण के तौर पर मेग डेविस ने बताया कि अल्जेरिया देश में ५९ समलैंगिक लोगों का एचआईवी परीक्षण किया गया और इनमें से ५७ रिपोर्ट लेने आये, और अल्जेरिया देश ने समलैंगिक लोगों तक सेवा पहुचने का दर ९६.६% रिपोर्ट कर दिया. हंगरी देश ने १००% रिपोर्ट किया जिसका आधार पूरे देश में सिर्फ ३८८ लोगों का परीक्षण करना था.

मेग डेविस ने बताया कि दुनिया के २० देश जहाँ एचआईवी दर सबसे अधिक है ऐसे देशों में ग्लोबल फण्ड टू फाइट एड्स, टीबी एंड मलेरिया (ग्लोबल फण्ड) द्वारा दिए गए अनुदान का उन्होंने अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि अधिकाँश ऐसे देशों में अनुदान बैंक में बंद रहा और एक माह से ले कर ६-९ माह तक पैसा बैंक में ही रहा. कुछ देशों में ६१ माह तक पैसा बैंक में रहा और एड्स कार्यक्रम पर व्यय नहीं हो पाया. पैसा बैंक में बंद होने के अनेक कारण रहे पर एड्स कार्यक्रम को अनुदान मिलने के बाद भी अभाव झेलना पड़ा. मेग डेविस ने अपील की कि जनता को एड्स अनुदान के बारे में जागरूक होना चाहिए और ये सुनिश्चित करना चाहिए कि प्राप्त अनुदान बैंक में नहीं कार्यक्रम में सुनियोजित ढंग से व्यय हो और एड्स नियंत्रण प्रभावकारी हो.

सीएनएस (सिटीजन न्यूज़ सर्विस)
17 जुलाई २०१६