गुजरात मुख्यमंत्री माननीय श्री भूपेंद्रभाई पटेल ने कल देश के एचआईवी चिकित्सकीय विशेषज्ञों के 16वें राष्ट्रीय अधिवेशन (ASICON 2025) का उद्घाटन किया था।
इस ASICON 2025 अधिवेशन के आयोजन में, चिकित्सकीय और आयुर्विज्ञान सहयोगियों में शामिल हैं: इंटरनेशल एड्स सोसाइटी (आईएएस), भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) और राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम, गुजरात मेडिकल कौंसिल, इन्फेक्शियस डिजीस सोसाइटी ऑफ़ गुजरात, संयुक्त राष्ट्र का संयुक्त एड्स कार्यक्रम (UNAIDS), दक्षिण अफ्रीका का एड्स शोध संस्थान, आदि। गुजरात पर्यटन और केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय का भारतीय सम्मेलन संवर्धन ब्यूरो भी इस अधिवेशन को समर्थन दे रहा है।
एचआईवी और हेपेटाइटिस
जर्मनी के बोन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ जुर्गेन रॉकस्ट्रोह, जिन्हें गुजरात मुख्यमंत्री के हाथों एड्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया का विशेष पुरस्कार मिला, ने बताया कि विश्व में 290 मिलियन (29 करोड़) लोगों को हेपेटाइटिस बी वायरस है, 58 मिलियन (5.8 करोड़) लोगों को हेपेटाइटिस सी वायरस है, और 40 मिलियन (4 करोड़) को एचआईवी। कुछ लोग, एक से अधिक वायरस से भी संक्रमित हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग हेपेटाइटिस बी वायरस के टीकाकरण के योग्य पात्र हैं उनका टीकाकरण हमें प्राथमिकता पर करना चाहिए। यदि हम ऐसी एंटीरेट्रोवायरल दवाओं का उपयोग करें जो हेपेटाइटिस बी वायरस और एचआईवी वायरस दोनों पर कारगर हैं, तो शोध के अनुसार, लिवर-से जुड़े मृत्यु दर में गिरावट आती है।
एचआईवी और दवा प्रतिरोधकता
चेन्नई स्थित वीएचएस इन्फेक्शियस डिज़ीज़ मेडिकल सेंटर के निदेशक डॉ एन कुमारासामी ने कहा कि दवाओं के दुरुपयोग के कारण रोग-उत्पन्न करने वाले रोगाणु दवा प्रतिरोधक हो जाते हैं और रोग के इलाज के लिए, नई दवाओं की ज़रूरत पड़ती है – पर नई दवाएं सीमित हैं, अक्सर अत्यंत महंगी हैं और इलाज भी मुश्किल हो जाता है। उन्होंने ASICON 2025 में एक वैश्विक शोध के आरंभिक नतीजे भी प्रस्तुत किए जिसमें एक नई एंटीरेट्रोवायरल दवा, दोलूतेग्राविर, से भी दवा प्रतिरोधक एचआईवी की पुष्टि हुई है।
मुंबई-स्थित यूनी लैब्स की माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ प्राप्ति गिलाडा ने कहा कि न सिर्फ़ एचआईवी दवाओं बल्कि अनेक दवाओं के दुरुपयोग के कारण, दवा प्रतिरोधकता एक बड़ी जन स्वास्थ्य चुनौती बन गया है। जो लोग एचआईवी के साथ जीवित हैं, उन्हें अन्य दवा प्रतिरोधक रोग होने पर (जैसे कि यौन रोग, या अन्य संक्रमण) इलाज अत्यंत जटिल हो जाता है। जिन रोगों का पहले सामान्य दवाओं से इलाज मुमकिन था अब दवा प्रतिरोधकता के कारण इलाज न सिर्फ जटिल हो जाता है बल्कि रोग के लाइलाज होना का खतरा भी रहता है। डॉ प्राप्ति गिलाडा ने कहा कि हर रोग की जल्दी और सही जांच, सही इलाज और पर्याप्त संक्रमण नियंत्रण के प्रावधान रखना ज़रूरी है।
मोटापे से बचें
मुंबई-स्थित यूनिसन मेडिकेयर एंड रिसर्च सेंटर की संक्रामक रोग विशेषज्ञ और ASICON 2025 की सह-आयोजन सचिव डॉ तृप्ति गिलाडा ने बताया कि मोटापे से बचे रहने में अनेक स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। एचआईवी के साथ जीवित लोगों को विशेष ध्यान रखना होता है क्योंकि कुछ एंटीरेट्रोवायरल दवाओं के कारण भी वजन बढ़ सकता है।
भारत और एचआईवी
सरकारी राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के अनुसार, भारत में एड्स नियंत्रण की ओर सराहनीय प्रगति हुई है। 2010 आंकड़ों की तुलना में, 2023 तक भारत में एड्स दर लगभग आधा हो गई थी (44.23% गिरावट) – जो एड्स दर में वैश्विक स्तर पर आई गिरावट (39%) से भी अधिक थी। इसी तरह, 2010 के आकड़ों की तुलना में, एड्स संबंधित मृत्यु दर में भी 2023 तक 79.26% गिरावट आई, जो 2010-2023 के दौरान वैश्विक एड्स मृत्यु दर में आई गिरावट (51%) से अधिक थी। भारत में 25.44 लाख लोग एचआईवी के साथ जीवित हैं। भारत की व्यस्क आबादी में एचआईवी दर 0.20% है जो वैश्विक दर से कम है (0.70%)।
गुजरात और एचआईवी
सरकारी राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के अनुसार, गुजरात प्रदेश में व्यस्क आबादी में एचआईवी दर 0.19% थी। 2023 में गुजरात में 1,20,312 लोग एचआईवी के साथ जीवित थे और 800 लोग एड्स संबंधित कारणों से मृत हुए। 2023 में गुजरात में 2671 नए लोग एचआईवी पॉजिटिव चिह्नित हुए थे। 2010 की तुलना में, 2023 तक गुजरात में एचआईवी दर में 56.86% गिरावट आई थी (जो देश के 2010-2023 के दौरान एचआईवी दर गिरावट (44.23%) से अधिक थी)।
इस ASICON 2025 अधिवेशन के आयोजन में, चिकित्सकीय और आयुर्विज्ञान सहयोगियों में शामिल हैं: इंटरनेशल एड्स सोसाइटी (आईएएस), भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) और राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम, गुजरात मेडिकल कौंसिल, इन्फेक्शियस डिजीस सोसाइटी ऑफ़ गुजरात, संयुक्त राष्ट्र का संयुक्त एड्स कार्यक्रम (UNAIDS), दक्षिण अफ्रीका का एड्स शोध संस्थान, आदि। गुजरात पर्यटन और केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय का भारतीय सम्मेलन संवर्धन ब्यूरो भी इस अधिवेशन को समर्थन दे रहा है।
एचआईवी और हेपेटाइटिस
जर्मनी के बोन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ जुर्गेन रॉकस्ट्रोह, जिन्हें गुजरात मुख्यमंत्री के हाथों एड्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया का विशेष पुरस्कार मिला, ने बताया कि विश्व में 290 मिलियन (29 करोड़) लोगों को हेपेटाइटिस बी वायरस है, 58 मिलियन (5.8 करोड़) लोगों को हेपेटाइटिस सी वायरस है, और 40 मिलियन (4 करोड़) को एचआईवी। कुछ लोग, एक से अधिक वायरस से भी संक्रमित हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग हेपेटाइटिस बी वायरस के टीकाकरण के योग्य पात्र हैं उनका टीकाकरण हमें प्राथमिकता पर करना चाहिए। यदि हम ऐसी एंटीरेट्रोवायरल दवाओं का उपयोग करें जो हेपेटाइटिस बी वायरस और एचआईवी वायरस दोनों पर कारगर हैं, तो शोध के अनुसार, लिवर-से जुड़े मृत्यु दर में गिरावट आती है।
एचआईवी और दवा प्रतिरोधकता
चेन्नई स्थित वीएचएस इन्फेक्शियस डिज़ीज़ मेडिकल सेंटर के निदेशक डॉ एन कुमारासामी ने कहा कि दवाओं के दुरुपयोग के कारण रोग-उत्पन्न करने वाले रोगाणु दवा प्रतिरोधक हो जाते हैं और रोग के इलाज के लिए, नई दवाओं की ज़रूरत पड़ती है – पर नई दवाएं सीमित हैं, अक्सर अत्यंत महंगी हैं और इलाज भी मुश्किल हो जाता है। उन्होंने ASICON 2025 में एक वैश्विक शोध के आरंभिक नतीजे भी प्रस्तुत किए जिसमें एक नई एंटीरेट्रोवायरल दवा, दोलूतेग्राविर, से भी दवा प्रतिरोधक एचआईवी की पुष्टि हुई है।
मुंबई-स्थित यूनी लैब्स की माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ प्राप्ति गिलाडा ने कहा कि न सिर्फ़ एचआईवी दवाओं बल्कि अनेक दवाओं के दुरुपयोग के कारण, दवा प्रतिरोधकता एक बड़ी जन स्वास्थ्य चुनौती बन गया है। जो लोग एचआईवी के साथ जीवित हैं, उन्हें अन्य दवा प्रतिरोधक रोग होने पर (जैसे कि यौन रोग, या अन्य संक्रमण) इलाज अत्यंत जटिल हो जाता है। जिन रोगों का पहले सामान्य दवाओं से इलाज मुमकिन था अब दवा प्रतिरोधकता के कारण इलाज न सिर्फ जटिल हो जाता है बल्कि रोग के लाइलाज होना का खतरा भी रहता है। डॉ प्राप्ति गिलाडा ने कहा कि हर रोग की जल्दी और सही जांच, सही इलाज और पर्याप्त संक्रमण नियंत्रण के प्रावधान रखना ज़रूरी है।
मोटापे से बचें
मुंबई-स्थित यूनिसन मेडिकेयर एंड रिसर्च सेंटर की संक्रामक रोग विशेषज्ञ और ASICON 2025 की सह-आयोजन सचिव डॉ तृप्ति गिलाडा ने बताया कि मोटापे से बचे रहने में अनेक स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। एचआईवी के साथ जीवित लोगों को विशेष ध्यान रखना होता है क्योंकि कुछ एंटीरेट्रोवायरल दवाओं के कारण भी वजन बढ़ सकता है।
भारत और एचआईवी
सरकारी राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के अनुसार, भारत में एड्स नियंत्रण की ओर सराहनीय प्रगति हुई है। 2010 आंकड़ों की तुलना में, 2023 तक भारत में एड्स दर लगभग आधा हो गई थी (44.23% गिरावट) – जो एड्स दर में वैश्विक स्तर पर आई गिरावट (39%) से भी अधिक थी। इसी तरह, 2010 के आकड़ों की तुलना में, एड्स संबंधित मृत्यु दर में भी 2023 तक 79.26% गिरावट आई, जो 2010-2023 के दौरान वैश्विक एड्स मृत्यु दर में आई गिरावट (51%) से अधिक थी। भारत में 25.44 लाख लोग एचआईवी के साथ जीवित हैं। भारत की व्यस्क आबादी में एचआईवी दर 0.20% है जो वैश्विक दर से कम है (0.70%)।
गुजरात और एचआईवी
सरकारी राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के अनुसार, गुजरात प्रदेश में व्यस्क आबादी में एचआईवी दर 0.19% थी। 2023 में गुजरात में 1,20,312 लोग एचआईवी के साथ जीवित थे और 800 लोग एड्स संबंधित कारणों से मृत हुए। 2023 में गुजरात में 2671 नए लोग एचआईवी पॉजिटिव चिह्नित हुए थे। 2010 की तुलना में, 2023 तक गुजरात में एचआईवी दर में 56.86% गिरावट आई थी (जो देश के 2010-2023 के दौरान एचआईवी दर गिरावट (44.23%) से अधिक थी)।