महत्वाकांक्षा बन गयी है जानलेवा


बच्चों में दिनोंदिन तनाव बढ़ने से आत्महत्याओं की घटनाओं में निरन्तर वृद्धि हो रही है और इसके लिए बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावक और अध्यापकगण भी कम दोषी नहीं है। अभिभावकों और अध्यापकों को बच्चों की क्षमताओं का आंकलन करके उनकी रुचि के अनुसार प्रेरित करना चाहिए। बच्चों पर अपनी इच्छाओं को थोपना नहीं चाहिए क्योंकि बच्चों का मन थोपी हुई बातों को करने में नहीं लगता हैं लेकिन आज के समय में 'नम्बर वन' बनने की होड़ ने सभी बच्चों को तनावग्रस्त कर रखा है। हर माता-पिता चाहते है कि उनका बच्चा नामी-गिरामी स्कूल में शिक्षा ग्रहण करके डाक्टर, इंजीनियर और आई.ए.एस. बने और वे नम्बर वन की दौड़ में अपने बच्चे को दौड़ाकर 'डिप्रेशन' में डालने का काम करते है।

यूनीसेफ और मीडिया नेस्ट के संयुक्त तत्वावधान में आज यहां यू०पी० प्रेस क्लब में ‘चिल्ड्रन आर’ में "महत्वाकांक्षा बन गयी है जानलेवा"  विपय पर बोलते हुए 'आल इज वेल' फोरम से जुडे 'चाइल्ड लाइन' संस्था के निदेशक डा० अंशुमालि शर्मा ने कहा कि बच्चों का 'डिपरेशन में जाने का मुख्य कारण है "तनाव" और उनको यह तनाव देते है उनके माता-पिता, अभिभावक और अध्यापक। उन्होंने बताया कि डिप्रेशन ;अवसादद्ध के मुख्यत: चार लक्षण होते हे:- बच्चा नजर मिला कर आपसे बात न कर रहा हो, बच्चा अधिकतर अकेले बैठने की कोशिश में हो, छोटी-छोटी बातों में झुझला जाएं और कभी-कभी हिंसक हो जाएं। माता-पिता और अध्यापकों को बच्चों पर किसी तरह का दबाव नहीं डालना चाहिए। डिप्रेशन से बचने के लिए बच्चों को परीक्षा को हौव्वा नही समझना चाहिए, कम से कम छह घन्टे नींद ले, इम्तिहान के दिनों में हल्का-फुल्का भोजल करें, अभिभावक बच्चों पर दबाव न बनाकर उनकी समस्याओं को सुनकर उनका निदान करें और संवादहीनता न होने दें।

डा०  अंशुमालि शर्मा ने बताया कि 'आल इज वेल' फोरम ने सैकडों बच्चों को आत्महत्या से रोकने का काम किया है। उनका कहना है कि कोई भी बच्चा अपनी समस्याओं को फोरम के नि:शुल्क फोन नम्बर १०९८ अथवा ९४१५१८९२०० अथवा ९४१५४०८५९० पर चौबीसो घन्टे बातचीत करके सुलझा सकता है। 

डा० विनोद चन्द्रा ने बताया कि उनका फोरम बच्चों को स्वास्थ्य, आश्रय, परामार्श, परिवार वापसी आदि की सेवा प्रदान करता है। उनका मानना है कि अभिभावक, अध्यापक और छात्रों में संवादशून्यता  है और उसको दूर करने के लिए काउसिंलिंग की जरुरत है।

इस अवसर पर मीडिया नेस्ट की महामंत्री और वरिष्ठ पत्रकार कुलसुम तल्हा ने कहा कि "पहले हम भारतीय है बाद में पत्रकार"।  हम मीडिया के लोग बच्चों की समस्याओं को उजागर करके उसका समाधान निकालने में अहम भुमिका निभाते है। उन्होंने कहा कि ‘चिल्ड्रन आर’ अपनी तरह का एक निराला कार्यक्रम है जिसको यूनीसेफ के सहयोग से एक विख्यात पत्रकार संगठन मीडिया नेस्ट आयोजित करता है जिसमें बच्चों और महिलाओं के उत्थान के लिये काम किया जाता है। इस कार्यक्रम में बच्चों और महिलाओं की समस्याओं को उठाया जाता है और उसके समाधान के उपाय खोजे जाते है।