सरकारी अधिकारियों/ जन-प्रतिनिधियों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़े

[English] इलाहबाद हाई कोर्ट ने १८ अगस्त २०१५ को सरकारी स्कूल की खस्ता हालत पर ध्यान देते हुए उत्तर प्रदेश मुख्य सचिव को आदेश दिया कि वे यह सुनिश्चित करें कि सरकारी अधिकारियों/ सरकार से वेतन प्राप्त करने वाले लोग और जो जन प्रतिनिधि हैं या न्यायलय से जुड़े हैं उनके बच्चों को अनिवार्य रूप से सरकारी स्कूल ही जाना पड़े. तब ही वे सरकारी स्कूल की गुणात्मकता बढ़ाने के बारे में संगीन होंगे.

मग्सेसे पुरुस्कार से सम्मानित वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ संदीप पाण्डेय ने कहा कि डॉ राम मनोहर लोहिया ने गरीब और अमीर के बच्चों के इकठ्ठे पढ़ाने की बात कही थी. सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) पिछले २ साल से इसी मांग को लेकर आन्दोलन कर रही है. उत्तर प्रदेश सरकार से हमारी यह मांग है कि जो लोग सरकार से ठेके लेते हैं उन सब के बच्चे भी सरकारी स्कूल में ही पढ़े होने चाहिए. इसी तरह जो भी चुनाव लड़ना चाहता है वो सरकारी स्कूल से ही पढ़ा हुआ हो और उसके बच्चे भी सरकारी स्कूल में ही पढ़ रहे हों, यह भी अनिवार्य हो. हमारी यह भी मांग है कि जो लोग सरकारी स्कूल में पढ़े हों सिर्फ उनको ही सरकारी नौकरी के लिए नियुक्त करना चाहिए.

सिटीजन न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
१८ अगस्त २०१५