विकास द्विवेदी, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
यूनीसेफ का आंकड़ा है कि उत्तर प्रदेश में ८५% महिलाएं मासिक चक्र के समय पुराना अथवा गंदा कपड़ा इस्तेमाल करती हैं जिसके कारण उन्हें विभिन्न प्रकार की बीमारियों/संक्रमण का सामना करना पड़ता है। टाइम्स ऑफ इंडिया समाचार पत्र की एक खबर के अनुसार उत्तर-प्रदेश सरकार २०१७ तक १००% माहवारी स्वच्छता को हासिल करेगी।
इसी खबर के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार सुरक्षित मासिक स्राव को सुनिश्चित करने के लिए चलायी जा रही “किशोरी सुरक्षा योजना” के तहत सरकारी और अर्ध सरकारी स्कूलों में छात्राओं को १०-१० सैनिटरी पैड हर माह मुफ्त में बांटेगी। लेकिन यहां प्रश्न यह उठता है कि उन बच्चियों/किशोरियों का क्या होगा जो गैर-सरकारी स्कूल में पढ़ने जातीं हैं या फिर पढ़ती ही नहीं हैं?
इस बारे में युवा रितेश कुमार त्रिपाठी जी का मानना है कि केवल सरकारी सरकारी स्कूलों में सैनिटरी पैड बाँट देने से २०१७ तक १००% माहवारी स्वच्छता नहीं हासिल हो पाएगी। इस समस्या के पूर्ण निदान के लिए हमें गैर-सरकारी संस्थाओं को भी टारगेट करना होगा और ब्लॉक स्तर व ग्राम पंचायत स्तर की संस्थाओं को भी शामिल करना होगा। उनका कहना है कि गाँव स्तर पर एक जागरूकता अभियान भी चलाया जाय और स्कूलों, संस्थाओं, आशा बहुओं को विषेश रूप से प्रशिक्षण दिया जाय कि इसका सही इस्तेमाल कैसे किया जाय और इसका इस्तेमाल न करने से महिलाओं को कौन-कौन सी बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं। इन्हीं के माध्यम से स्कूलों में गाँव की महिलाओं को माहवारी स्वच्छता के बारे में जागरूक किया जाय और सैनिटरी पैड का वितरण किया जाय। ग्राम पंचायत की जो महिलाएं हैं उनमें से सरकार एनआरएचएम के माध्यम से लगभग हर गाँव में आशा बहुओं की नियुक्ति की जाये तथा उनको इस कार्य के लिए प्रशिक्षित करना भी आवश्यक है ताकि वो मासिक धर्म स्वच्छता की आवश्यकता और उसके स्वास्थ्य सम्बन्धी फायदों के बारे में उचित जानकारी दे सकें. ।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के स्त्री रोग विभाग की प्रोफेसर डा. अमिता पांडे ने बताया कि मासिक चक्र के दौरान अस्वच्छता रखने से भविष्य में प्रजनन सम्बन्धी खतरा बढ़ता है और जननांग के संक्रमण, बांझपन, मासिक धर्म से संबन्धित समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। सैनिटरी पैड बनाने वाली बड़ी बड़ी कंपनियाँ अपने विज्ञापन में सिर्फ सैनिटरी पैड को आरामदायक बताती हैं जबकि सैनिटरी पैड का इस्तेमाल न करने से महिलाओं को विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ हो जाती हैं।
यह वास्तव में बहुत ही शर्म की बात है कि U.P. में ८५% महिलाएं सैनिटरी पैड का इस्तेमाल नहीं करती हैं। मुझे लगता है कि इसका सबसे बड़ा कारण लोगों में जागरूकता की कमी है। सरकार को बिना विलंब किए यह सुविधा सभी महिलाओं को उपलब्ध करानी चाहिए कि वे माहवारी के दौरान सैनिटरी पैड अथवा स्वच्छ कपड़े का इस्तेमाल करें। मेरा मानना है कि जिसको भी माहवारी स्वच्छता के बारे में जानकारी हो, चाहे वह महिला हो या पुरुष, वे लोग अपने जाननेवालों को और अपने पड़ोसियों को भी इसके बारे में बताएं कि माहवारी अस्वच्छता से बचना नितांत आवश्यक एवं सबके ही हित में है।
विकास द्विवेदी,सिटिज़न न्यूज़ सर्विस -सीएनएस
२५ अगस्त, २०१५
Photo credit: CNS: citizen-news.org |
इसी खबर के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार सुरक्षित मासिक स्राव को सुनिश्चित करने के लिए चलायी जा रही “किशोरी सुरक्षा योजना” के तहत सरकारी और अर्ध सरकारी स्कूलों में छात्राओं को १०-१० सैनिटरी पैड हर माह मुफ्त में बांटेगी। लेकिन यहां प्रश्न यह उठता है कि उन बच्चियों/किशोरियों का क्या होगा जो गैर-सरकारी स्कूल में पढ़ने जातीं हैं या फिर पढ़ती ही नहीं हैं?
इस बारे में युवा रितेश कुमार त्रिपाठी जी का मानना है कि केवल सरकारी सरकारी स्कूलों में सैनिटरी पैड बाँट देने से २०१७ तक १००% माहवारी स्वच्छता नहीं हासिल हो पाएगी। इस समस्या के पूर्ण निदान के लिए हमें गैर-सरकारी संस्थाओं को भी टारगेट करना होगा और ब्लॉक स्तर व ग्राम पंचायत स्तर की संस्थाओं को भी शामिल करना होगा। उनका कहना है कि गाँव स्तर पर एक जागरूकता अभियान भी चलाया जाय और स्कूलों, संस्थाओं, आशा बहुओं को विषेश रूप से प्रशिक्षण दिया जाय कि इसका सही इस्तेमाल कैसे किया जाय और इसका इस्तेमाल न करने से महिलाओं को कौन-कौन सी बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं। इन्हीं के माध्यम से स्कूलों में गाँव की महिलाओं को माहवारी स्वच्छता के बारे में जागरूक किया जाय और सैनिटरी पैड का वितरण किया जाय। ग्राम पंचायत की जो महिलाएं हैं उनमें से सरकार एनआरएचएम के माध्यम से लगभग हर गाँव में आशा बहुओं की नियुक्ति की जाये तथा उनको इस कार्य के लिए प्रशिक्षित करना भी आवश्यक है ताकि वो मासिक धर्म स्वच्छता की आवश्यकता और उसके स्वास्थ्य सम्बन्धी फायदों के बारे में उचित जानकारी दे सकें. ।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के स्त्री रोग विभाग की प्रोफेसर डा. अमिता पांडे ने बताया कि मासिक चक्र के दौरान अस्वच्छता रखने से भविष्य में प्रजनन सम्बन्धी खतरा बढ़ता है और जननांग के संक्रमण, बांझपन, मासिक धर्म से संबन्धित समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। सैनिटरी पैड बनाने वाली बड़ी बड़ी कंपनियाँ अपने विज्ञापन में सिर्फ सैनिटरी पैड को आरामदायक बताती हैं जबकि सैनिटरी पैड का इस्तेमाल न करने से महिलाओं को विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ हो जाती हैं।
यह वास्तव में बहुत ही शर्म की बात है कि U.P. में ८५% महिलाएं सैनिटरी पैड का इस्तेमाल नहीं करती हैं। मुझे लगता है कि इसका सबसे बड़ा कारण लोगों में जागरूकता की कमी है। सरकार को बिना विलंब किए यह सुविधा सभी महिलाओं को उपलब्ध करानी चाहिए कि वे माहवारी के दौरान सैनिटरी पैड अथवा स्वच्छ कपड़े का इस्तेमाल करें। मेरा मानना है कि जिसको भी माहवारी स्वच्छता के बारे में जानकारी हो, चाहे वह महिला हो या पुरुष, वे लोग अपने जाननेवालों को और अपने पड़ोसियों को भी इसके बारे में बताएं कि माहवारी अस्वच्छता से बचना नितांत आवश्यक एवं सबके ही हित में है।
विकास द्विवेदी,सिटिज़न न्यूज़ सर्विस -सीएनएस
२५ अगस्त, २०१५