स्वास्थ्य व्यवस्था पर तम्बाकू जनित जानलेवा बीमारियों के भार से बच सकता है भारत

प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त
[English] भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था पर अनावश्यक भार तम्बाकू जनित रोगों का है जिनसे बचाव मुमकिन है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक द्वारा पुरुस्कृत प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने बताया कि "वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि तम्बाकू से ह्रदय रोग, पक्षाघात, तमाम प्रकार के कैंसर, मधुमेह, टीबी, आदि होने का खतरा अनेक गुना बढ़ जाता है. शोध के आधार पर यह जानते हुए भी कि प्रभावकारी तम्बाकू नियंत्रण कैसे हो हम क्यों नहीं तम्बाकू जनित जानलेवा बीमारियों और मृत्यों को रोकने में सफल हो रहे हैं?". प्रो० रमा कान्त, २०१२ में अखिल भारतीय सर्जन्स संगठन के अध्यक्ष थे और किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सर्जरी विभाग के पूर्व अध्यक्ष.

विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस २०१६: मासिक धर्म पर चप्पी तोड़ो !

वर्ष २०१४ से २८ मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में फली मासिक धर्म सम्बन्धी गलत अवधारना को दूर करना और महिलाओं तथा किशोरियों को महावारी प्रबंधन सम्बन्धी सही जानकारी देना है।  यूपी स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्रदेश में २८ लाख किशोरियां मासिक धर्म के कारण स्कूल जाने में नागा करती हैं। मासिक धर्म सम्बन्धी अस्वच्छता से अनेक संक्रमण, सूजन, मासिक धर्म सम्बन्धी ऐठन, और योनिक रिसाव आदि स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ भी आती हैं। मासिक धर्म, एक किशोरी या महिला के लिए प्राकृतिक रूप से स्वस्थ होने का संकेत है, न कि शर्मसार या डरने या घबड़ाने वाली कोई घटना। एक सर्वे के अनुसार ८५% किशोरियां पुराने कपड़ों को ही मासिक धर्म के दौरान इस्तेमाल करती हैं।

किशोरियों में माहवारी संबन्धित स्वच्छता व् प्रबन्धन

विश्वपति वर्मा , सिटीज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
उत्तर प्रदेश में माहवारी संबन्धित समस्याओं से किशोरियों को निजात दिलाने के लिये चलाई जा रही तमाम प्रकार की योजनाएँ सिर्फ कागजों तक सीमित होती दिखाई दे रही हैं। शासन द्वारा सरकारी एवं परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाली किशोरियों को माहवारी के विषय से जुडी गलत धारणाओं व मिथकों को दूर करने एवं उन्हें व्यक्तिगत स्वच्छता के प्रति जागरूक किये जाने के उद्देश्य से चलाई जा रही किशोरी सुरक्षा योजना के सम्बन्ध में जब खंड शिक्षाधिकारी सल्टौआ अखिलेश सिंह से बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि इस तरह की योजनायें शिक्षा विभाग के सहयोग से चलायी जा रही हैं।

किशोरी सुरक्षा योजना

सुभाषिनी  चौरसिया, सिटीजन न्यूज सर्विस - सीएनएस
किशोरावस्था बाल्यावस्था और प्रौढ़ावस्था के बीच की अवस्था है| इस अवस्था के दौरान किशोरों और किशोरियों (10-19) में बहुत से शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं| जिसके बाद वे प्रौढ़ावस्था में प्रवेश करते हैं| खासकर किशोरियों में इस अवस्था के दौरान मासिक धर्म की शुरुआत हो जाती है| लेकिन समाज में इस विषय से जुड़ी गलत अवधारणाओं और मिथकों के कारण किशोरियों को इस विषय में सही जानकारी नहीं दी जाती है| जिससे उन्हें बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और कभी-कभी तो किशोरियां गलत साधनों से इस विषय में जानकारी प्राप्त कर लेती हैं जो उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और उनमें प्रजनन सम्बन्धी बीमारियाँ एवं संक्रमण हो सकता है |

किशोरी सुरक्षा योजना ‎के उचित अनुपालन से आएगा बदलाव

बृहस्पति कुमार पाण्डेय, सिटीज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
प्रदेश में 10-19 वर्ष की किशोरियों की संख्या कुल जनंसख्या का लगभग 11 प्रतिशत है, ‎‎एन.एफ.एच.एस.-3 के सर्वे के अनुसार इन ‎में 40 प्रतिशत स्कूल जाने वाली किशोरियां सातवीं ‎के बाद माहवारी की वजह से स्कूल जाना छोड़ देती हैं। इसका एक कारण ‎किशोरियों में अपनी ‎माहवारी को लेकर एक विशेष तरह की  भ्रान्ति या भय का होना भी है। ‎जो किशोरियां स्कूल जाती भी हैं वे माहवारी के दौरान एक ही कपड़े को बार-बार ‎‎धोकर अपने इस्तेमाल में लाती हैं जिसके चलते  उन्हें ‎स्वास्थ्य समस्याओं के साथ प्रजनन तंत्र के संक्रमण ‎से भी जूझना पड़ता है। ऐसे में इन किशोरियों के परिवार के सदस्यों व ‎अध्यापकों द्वारा इन्हें ‎सही मार्गदर्शन व देखभाल न मिलने से इनका स्वास्थ्य का स्तर दिनों दिन गिरता जाता ‎है।

मासिक धर्म के प्रति समाज का नजरिया

सुभाषिनी  चौरसिया, सिटीजन न्यूज सर्विस - सीएनएस
मासिक धर्म की प्रक्रिया हमारे भारतीय समाज का एक ऐसा संवेदनशील मुद्दा है जिसके साथ  बहुत सी गलत धारणाएं जुड़ी हुई हैं. मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अशुद्ध माना जाता है.  उनका स्नान करना, मंदिर जाना और किसी भी धार्मिक कार्य में भाग लेना वर्जित हो जाता है. इन सब कारणों से मासिक धर्म के दिनों में उनकी साधारण दिनचर्या भी बाधित हो जाती है.  इसके चलते लडकियों की पढाई में भी विघ्न पड़ता है. कक्षा में उनकी उपस्थिति कम हो जाती है|