विश्वपति वर्मा , सिटीज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
उत्तर प्रदेश में माहवारी संबन्धित समस्याओं से किशोरियों को निजात दिलाने के लिये चलाई जा रही तमाम प्रकार की योजनाएँ सिर्फ कागजों तक सीमित होती दिखाई दे रही हैं। शासन द्वारा सरकारी एवं परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाली किशोरियों को माहवारी के विषय से जुडी गलत धारणाओं व मिथकों को दूर करने एवं उन्हें व्यक्तिगत स्वच्छता के प्रति जागरूक किये जाने के उद्देश्य से चलाई जा रही किशोरी सुरक्षा योजना के सम्बन्ध में जब खंड शिक्षाधिकारी सल्टौआ अखिलेश सिंह से बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि इस तरह की योजनायें शिक्षा विभाग के सहयोग से चलायी जा रही हैं।
यह पूछने पर कि ब्लाक के कितने विद्यालयों में इस योजना का संचालन हो रहा है तो बताने में असमर्थता जतायी इससे यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा विभाग इस योजना के प्रति सिथिल और लापरवाह है। इस संबंध में जब भानपुर के किसान इंटर कालेज के प्रधानाचार्य श्री भीम दयाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सत्र 2014 -15 में ऐसी जानकारी देने कुछ लोग स्कूल आये थे और बच्चियों में नैपकिन भी बाँटे गये थे लेकिन तब से आज तक इस योजना के तहत कोई भी स्कूल में नहीं आया।
उन्होंने बताया कि जब ऐसी योजना को स्कूल के माध्यम से लाया जाता है जहाँ बच्चियों को स्वास्थ्य और विकास के बारे में जानकारी दी जाती है तब बच्चियाँ इस बात पर काफी गौर करती हैं, और योजना को सफल बनाने मे सहयोग करती हैं। इस योजना की जानकारी के बारे में जब पूर्व माध्यमिक विद्यालय अमरौली शुमाली के प्रधानाध्यापक मोहम्मद तारीक से बात हुई तो उन्होंने बताया कि फरवरी महीने में बिभाग द्वारा नैपकिन स्कूल में भिजवाया गया था जिसे स्कूल की सहायक-अध्यापिका अरुनिमा चौधरी के सहयोग से बच्चियों में बाँटा गया था लेकिन उसके पहले और बाद में इस योजना के तहत कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई गई इससे यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा बिभाग इस योजना के प्रति गंभीर नहीं है।
किशोरी सुरक्षा योजना के क्रियान्वयन हेतु सरकारी और परिषदीय विधालय ही सही जगह थे जिसके तहत विद्यालय में ही कक्षा 6 से 12 तक की किशोरियों को निःशुल्क सेनेटरी नैपकिन्स का वितरण किया जाना था और किशोरी सुरक्षा योजना के अन्तर्गत आशाओं का दायित्व था कि वह निर्धारित दिवस पर विद्यालय में आकर सेनेटरी नैपकिन्स वितरित करने में सहयोग करें साथ ही किशोरियों को माहवारी प्रबन्धन के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान कर जागरूकता फैलायें और उनकी भ्रान्तियों को दूर करें। साथ ही शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी विद्यालयों में उक्त अवस्था की किशोरियों का चिंहीकरण कार्य शुरू कर हर महीने नैपकिन बाँटने का काम किया जाना था।लेकिन इस संबंध में शुरुआती दौर में ही केवल नैपकिन दिया गया और दूबारा किसी विधालय में इस योजना का संचालन नहीं हुआ और ना ही इस योजना को लेकर कोई मानिटरिंग की व्यवस्था की गई जिससे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किशोरी सुरक्षा योजना संचालित किये जाने के निर्देश अब बेमतलब साबित हो रहे हैं।
अगर सरकार को किशोरियों के स्वास्थ्य एवं सम्मान के लिए सुरक्षित माहवारी एवं व्यक्तिगत साफ-सफाई को ध्यान में रखना है तो सरकारी विद्यालयों और परिषदीय विद्यालयों में जाने वाली किशोरियों (कक्षा 6 से 12 तक) को निःशुल्क सेनेटरी नैपकिन्स का वितरण हर महीने निर्धारित समय पर किया जाये और योजना के उद्देश्य से किशोरियों में माहवारी सम्बन्धी प्रचलित भ्रान्तियों को दूर कर उन्हें सही जानकारी उपलब्ध करायी जाये तथा उनका आत्मविश्वास बढाया जाये जिससे उनकी सामाजिक गतिविधियों में कोई अवरोध उत्पन्न न हो, सेनेटरी नैपकिन्स अथवा साफ-सुथरे कपड़े के उपयोग की आदत को बढावा दिया जाये जिससे वे उनके महत्व का अनुभव करें तथा भविष्य में खरीद कर भी इस्तेमाल करें।
किशोरियों में प्रजनन सम्बन्धी बीमारियों एवं संक्रमण में कमी लाने के लिये इतनी ही व्यवस्था काफी नहीं है इसके लिये शिक्षा विभाग को जिलापंचायत राज बिभाग व बाल विकास के साथ ग्राम स्तर पर सेनेटरी नैपकिन्स का नि:शुल्क वितरण कर बच्चियों को सही मार्ग दर्शन देने की आवश्यकता है तभी उत्तर प्रदेश सरकार 2017 में 100% माहवारी स्वच्छता के लक्ष्य को पूरा कर सकती है।
विश्वपति वर्मा , सिटीज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
उत्तर प्रदेश में माहवारी संबन्धित समस्याओं से किशोरियों को निजात दिलाने के लिये चलाई जा रही तमाम प्रकार की योजनाएँ सिर्फ कागजों तक सीमित होती दिखाई दे रही हैं। शासन द्वारा सरकारी एवं परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाली किशोरियों को माहवारी के विषय से जुडी गलत धारणाओं व मिथकों को दूर करने एवं उन्हें व्यक्तिगत स्वच्छता के प्रति जागरूक किये जाने के उद्देश्य से चलाई जा रही किशोरी सुरक्षा योजना के सम्बन्ध में जब खंड शिक्षाधिकारी सल्टौआ अखिलेश सिंह से बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि इस तरह की योजनायें शिक्षा विभाग के सहयोग से चलायी जा रही हैं।
यह पूछने पर कि ब्लाक के कितने विद्यालयों में इस योजना का संचालन हो रहा है तो बताने में असमर्थता जतायी इससे यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा विभाग इस योजना के प्रति सिथिल और लापरवाह है। इस संबंध में जब भानपुर के किसान इंटर कालेज के प्रधानाचार्य श्री भीम दयाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सत्र 2014 -15 में ऐसी जानकारी देने कुछ लोग स्कूल आये थे और बच्चियों में नैपकिन भी बाँटे गये थे लेकिन तब से आज तक इस योजना के तहत कोई भी स्कूल में नहीं आया।
उन्होंने बताया कि जब ऐसी योजना को स्कूल के माध्यम से लाया जाता है जहाँ बच्चियों को स्वास्थ्य और विकास के बारे में जानकारी दी जाती है तब बच्चियाँ इस बात पर काफी गौर करती हैं, और योजना को सफल बनाने मे सहयोग करती हैं। इस योजना की जानकारी के बारे में जब पूर्व माध्यमिक विद्यालय अमरौली शुमाली के प्रधानाध्यापक मोहम्मद तारीक से बात हुई तो उन्होंने बताया कि फरवरी महीने में बिभाग द्वारा नैपकिन स्कूल में भिजवाया गया था जिसे स्कूल की सहायक-अध्यापिका अरुनिमा चौधरी के सहयोग से बच्चियों में बाँटा गया था लेकिन उसके पहले और बाद में इस योजना के तहत कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई गई इससे यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा बिभाग इस योजना के प्रति गंभीर नहीं है।
किशोरी सुरक्षा योजना के क्रियान्वयन हेतु सरकारी और परिषदीय विधालय ही सही जगह थे जिसके तहत विद्यालय में ही कक्षा 6 से 12 तक की किशोरियों को निःशुल्क सेनेटरी नैपकिन्स का वितरण किया जाना था और किशोरी सुरक्षा योजना के अन्तर्गत आशाओं का दायित्व था कि वह निर्धारित दिवस पर विद्यालय में आकर सेनेटरी नैपकिन्स वितरित करने में सहयोग करें साथ ही किशोरियों को माहवारी प्रबन्धन के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान कर जागरूकता फैलायें और उनकी भ्रान्तियों को दूर करें। साथ ही शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी विद्यालयों में उक्त अवस्था की किशोरियों का चिंहीकरण कार्य शुरू कर हर महीने नैपकिन बाँटने का काम किया जाना था।लेकिन इस संबंध में शुरुआती दौर में ही केवल नैपकिन दिया गया और दूबारा किसी विधालय में इस योजना का संचालन नहीं हुआ और ना ही इस योजना को लेकर कोई मानिटरिंग की व्यवस्था की गई जिससे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किशोरी सुरक्षा योजना संचालित किये जाने के निर्देश अब बेमतलब साबित हो रहे हैं।
अगर सरकार को किशोरियों के स्वास्थ्य एवं सम्मान के लिए सुरक्षित माहवारी एवं व्यक्तिगत साफ-सफाई को ध्यान में रखना है तो सरकारी विद्यालयों और परिषदीय विद्यालयों में जाने वाली किशोरियों (कक्षा 6 से 12 तक) को निःशुल्क सेनेटरी नैपकिन्स का वितरण हर महीने निर्धारित समय पर किया जाये और योजना के उद्देश्य से किशोरियों में माहवारी सम्बन्धी प्रचलित भ्रान्तियों को दूर कर उन्हें सही जानकारी उपलब्ध करायी जाये तथा उनका आत्मविश्वास बढाया जाये जिससे उनकी सामाजिक गतिविधियों में कोई अवरोध उत्पन्न न हो, सेनेटरी नैपकिन्स अथवा साफ-सुथरे कपड़े के उपयोग की आदत को बढावा दिया जाये जिससे वे उनके महत्व का अनुभव करें तथा भविष्य में खरीद कर भी इस्तेमाल करें।
किशोरियों में प्रजनन सम्बन्धी बीमारियों एवं संक्रमण में कमी लाने के लिये इतनी ही व्यवस्था काफी नहीं है इसके लिये शिक्षा विभाग को जिलापंचायत राज बिभाग व बाल विकास के साथ ग्राम स्तर पर सेनेटरी नैपकिन्स का नि:शुल्क वितरण कर बच्चियों को सही मार्ग दर्शन देने की आवश्यकता है तभी उत्तर प्रदेश सरकार 2017 में 100% माहवारी स्वच्छता के लक्ष्य को पूरा कर सकती है।
विश्वपति वर्मा , सिटीज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
२७ मई २०१६