"टीबी हारेगा, देश जीतेगा" जब हम सब एकजुट होकर टीबी उन्मूलन के लिए कार्य करेंगे!

[English] टीबी (ट्यूबरक्लोसिस या तपेदिक) रोग से बचाव मुमकिन है, दशकों से देश भर में पक्की जांच और पक्का इलाज सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में नि:शुल्क उपलब्ध है, पर इसके बावजूद टीबी जन स्वास्थ्य के लिए एक विकराल चुनौती बना हुआ है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम रिपोर्ट देखें तो भारत में 2015 में, 28 लाख नए टीबी रोगी रिपोर्ट हुए (2014 में 22 लाख थे), 4.8 लाख टीबी मृत्यु हुईं (2014 में 2.2 लाख मृत्यु हुईं थीं), और 79,000 दवा प्रतिरोधक टीबी (मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टीबी या MDR-TB) के रोगी रिपोर्ट हुए (2015 में 11% वृद्धि). "टीबी उन्मूलन संभव है पर अभी 'लड़ाई' जटिल और लम्बी प्रतीत होती है" कहना है शोभा शुक्ला का जो सीएनएस (सिटीजन न्यूज़ सर्विस) का संपादन कर रही हैं और टीबी उन्मूलन आन्दोलन से दशकों से जुड़ीं हुई हैं.

टीबी और अन्य स्वास्थ्य और सतत विकास के बीच मजबूत कड़ी

वैज्ञानिक शोध ने टीबी और अन्य रोगों और सतत विकास से जुड़े मुद्दों के बीच मजबूत कड़ी स्थापित कर दी है: उदहारण के लिए टीबी और एचआईवी, टीबी और मधुमेह (डायबिटीज), टीबी और तम्बाकू सेवन, टीबी और गरीबी, टीबी और कुपोषण, टीबी और कमज़ोर स्वास्थ्य प्रणाली, आदि. इसलिए यह तथ्य अविवादित है कि जब तक सतत विकास की बात न हो तब तक टीबी उन्मूलन मुश्किल है. इसी आशय से, भारत समेत 190 देशों ने 2015 संयुक्त राष्ट्र महासभा में 2030 तक सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals/ SDGs) को पूरा करने का वादा किया है जिनमें से एक है टीबी उन्मूलन.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2014 की एंड-टीबी स्ट्रेटेजी (WHO टीबी उन्मूलन नीति) को भी सरकारों ने पारित किया है जो 2030 तक टीबी उन्मूलन पर केन्द्रित नीति है. मार्च 2017 में भारत सरकार ने 2025 तक टीबी उन्मूलन के सपने को पूरा करने का आश्वासन दिया है.

राजनैतिक मनोबल तो टीबी उन्मूलन के प्रति है पर टीबी उन्मूलन के लिए जिस तेज़ी से टीबी दरों में गिरावट आनी चाहिए, उतनी तीव्रता से टीबी दर कम नहीं हो रहे हैं. ज़ाहिर है कि न सिर्फ स्वास्थ्य प्रणाली बल्कि अन्य मंत्रालयों-विभागों-विकास कार्यक्रमों और अन्य वर्गों को एकजुट हो कर बेहतर समन्वयन के साथ लगना होगा जिससे कि टीबी दरों में गिरावट उतनी तेज़ी से हर साल रिपोर्ट हो जितनी भारत में 2025 तक टीबी उन्मूलन के लिए चाहिए (दस गुना अधिक टीबी गिरावट दर चाहिए).

सांसदों और फिल्म-सितारों के बीच प्रतीकात्मक क्रिकेट और टीबी उन्मूलन पर जोर

टीबी उन्मूलन के लिए जरुरी है कि अंतर-वर्गीय, अंतर-क्षेत्रीय और अंतर-विभागीय समन्वयन निपुण बने और कार्यसधाकता के साथ टीबी उन्मूलन की ओर मजबूती से प्रगति हो. इसी आशय से, विश्व स्वास्थ्य दिवस पर (7 अप्रैल 2017), एक विशेष टीबी उन्मूलन 'समिट' और अगले दिन प्रतीकात्मक क्रिकेट मैच, हिमाचल प्रदेश के धरमसला में आयोजित किया जा रहा है. इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट टीबी एंड लंग डिजीज ('द यूनियन') के निदेशक होसे लुईस कास्त्रो और भारत सरकार के केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नद्दा भी इस संगोष्ठी को संबोधित करेंगे.

प्रतीकात्मक क्रिकेट मैच में एक ओर है विभिन्न सांसदों की टीम तो दूसरी ओर है फिल्म-सितारों की टीम.
यह क्रिकेट मैच इस लिए अनोखा है क्योंकि हर टीम का एक ही सन्देश है: टीबी उन्मूलन.

सांसदों की टीम का नेत्रित्व कर रहे हैं सांसद अनुराग ठाकुर और फिल्म-सितारों की टीम के लीडर हैं फिल्म सुपर-स्टार बॉबी देओल. क्रिकेट खेलने वालों में अन्य सितारें-सांसद शामिल हैं जैसे कि मनोज तिवारी, दीपिंदर हूडा, शाहनवाज़ हुसैन, मोहम्मद अजहरुद्दीन, गौरव गोगोई, सुनील शेट्टी, जिमी शेरगिल, सोनू सूद, आफताब शिवदासानी, महेश मांजरेकर, आदि.

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2017 पर आयोजित टीबी उन्मूलन 'समिट' को संबोधित करेंगे: भारत सरकार के केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नद्दा,  केन्द्रीय आवास और शहरी गरीब उपशमन मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पीके धूमल, पंजाब के राज्यपाल वीपी बडनोरे, अमरीकी सरकार के अन्तराष्ट्रीय विकास एजेंसी (USAID) भारत प्रमुख मार्क ए वाइट, विश्व स्वास्थ्य संगठन भारत कार्यालय की प्रमुख हेंक बेकेदम, और इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट टीबी एंड लंग डिजीज (द यूनियन) के निदेशक होसे लुईस कास्त्रो.

यदि इन मंत्रालयों और उनके कार्यक्रमों में टीबी उन्मूलन के लिए आवश्यक समन्वयन कुशलतापूर्वक से लागू हो जाए तो नि:संदेह टीबी दरों में गिरावट तेज़ी से आ सकती है. अन्य मंत्रालयों को टीबी उन्मूलन अभियान में शामिल करने के लिए यह एक बेहतर उदाहरण भी प्रस्तुत करेगा. स्वास्थ्य मंत्रालय, आवास और शहरी गरीब उपशमन मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय आदि के देश में महत्वपूर्ण विकास कार्यक्रम संचालित हैं जिनमें टीबी सम्बंधित भाग को, बेहतर अंतर-मंत्रालय और अन्तर-विभागीय समन्वयन के साथ, शामिल किया जा सकता है. फिल्म-सितारों की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका है जिससे कि न केवल टीबी से जुड़े शोषण और भेदभाव दूर होगा बल्कि टीबी सम्बंधित जानकारी भी प्रभावकारी ढंग से बड़ी संख्या में जनता तक पहुंचेगी. फिल्म सुपर स्टार अमिताभ बच्चन ने उनको हुई टीबी को सार्वजनिक कर टीबी उन्मूलन आन्दोलन को मजबूत ही किया है.

निजी और सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली में कैसे हो तालमेल?

टीबी की जांच और पक्का इलाज दोनों ही सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली में दशकों से नि:शुल्क हैं पर आंकड़ें बताते हैं कि काफी संख्या में टीबी रोगी अपना इलाज निजी स्वास्थ्य प्रणाली में करवाते हैं. निजी और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में तालमेल जरुरी है जिससे कि यह सुनिश्चित हो सके कि हर टीबी रोगी को, बिना विलम्ब पक्की जांच और बिना विलम्ब पक्का और उचित इलाज, प्राप्त हो रहा हो. जब तक हर टीबी रोगी को प्रभावकारी इलाज नहीं मिलेगा और संक्रमण नियंत्रण पर आवश्यक ध्यान नहीं दिया जाएगा टीबी दरों में गिरावट कैसे आएगी?

विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार 2015 में, निजी स्वास्थ्य प्रणाली के चिकित्सकों ने सरकार को टीबी रिपोर्ट की और इसका दर बढ़ कर 14.4 रोगी प्रति लाख हो गया (2013 में यह दर 3 रोगी प्रति लाख था). भारत सरकार ने मई 2012 में निजी स्वास्थ्य प्रणाली में हो रहे टीबी जांच और इलाज की सरकार को नियमानुसार रिपोर्ट करने का आदेश जारी किया था.

टीबी उन्मूलन समिट में निजी और सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली में तालमेल सुधारने पर भी संवाद होगा.

बाबी रमाकांत, सीएनएस (सिटीजन न्यूज़ सर्विस)
5 अप्रैल 2017
(बाबी रमाकांत, विश्व स्वास्थ्य संगठन महानिदेशक के WNTD पुरुस्कार 2008 से सम्मानित, सीएनएस के स्वास्थ्य संपादक और नीति निदेशक हैं. ट्विटर: @bobbyramakant )

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