एक महीने के बाद भी तम्बाकू उत्पादनों पर चित्रमय चेतावनी नियमानुसार नहीं
३१ मई २००९ से भारत में तम्बाकू उत्पादनों पर चित्रमय चेतावनी छापनी कानूनन जरूरी हो गई थीं. एक महीने के बाद भी लखनऊ शहर में तम्बाकू उत्पादनों पर चित्रमय चेतावनी, सरकारी निर्देश के अनुसार, या तो नहीं छप रहीं हैं या फिर किसी-न-किसी बिन्दु पर खरी नहीं उतर रही हैं.
लखनऊ के ५० तम्बाकू विक्रय दुकानों में आज नागरिकों ने जनता जांच के तहत यह मुआएना किया कि क्या तम्बाकू उत्पादनों पर चित्रमय चेतावनी छप रही हैं, क्या तम्बाकू पैकेट का ४०% सामने के भाग में यह चेतावनी छप रही हैं, क्या चेतावनी उसी भाषा में हैं जिस भाषा में तम्बाकू पैकेट पर अन्य अक्षर छपे हैं, क्या चेतावनी को पढ़ने की दिशा वही है जो छपे हुए ब्रांड की है इत्यादि.
सरकारी निर्देश के अनुसार, तम्बाकू उत्पादनों के पैकेट के सामने के ४०% भाग में चित्रमय चेतावनी छपी होनी चाहिए, जो उसी भाषा में हों जिस भाषा में तम्बाकू पैकेट पर अन्य अक्षर छपे हुए हैं, और उसी दिशा में पढ़ी जा रही हों जिस दिशा में अन्य अक्षर पढ़े जा रहे हैं.
तम्बाकू चित्रमय चेतावनियों पर जागरूकता के लिए एक हिन्दी भाषा में 'फैक्टशीट कार्ड' भी वितरित की गई जो २९ मई २००९ को छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सर्जरी विभाग के अध्यक्ष एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के महा-निदेशक द्वारा २००५ में पुरुस्कृत प्रोफ़ेसर डॉ रमा कान्त ने उत्तर प्रदेश प्रेस क्लब में जारी की थी.
इस जनता जांच में जो निष्कर्ष निकल कर आए, वोह यह हैं कि:
- चित्रमय चेतावनी को लागु होने के एक महीने बाद भी कई ऐसे तम्बाकू उत्पादन लखनऊ में बिक रहे हैं जिनपर कोई भी चित्रमय चेतावनी नहीं है – इसमें अनेकों सिगरेट ब्रांड हैं (दोनों – देसी और विदेसी ब्रांड)
- पूरी जनता जांच में सिर्फ़ एक सिगरेट ऐसी निकल कर आई जो भारत सरकार के सभी मानकों को पूरा करते हुए चित्रमय चेतावनी छाप रही थी
- अधिकाँश गुटखा और बीड़ी पैकेट पर चित्रमय चेतावनी छप रही है परन्तु वोह भारत सरकार के मानकों के अनुसार नहीं है – जैसे कि तम्बाकू पैकेट के ४०% सामने के हिस्से में सफ़ेद रंग तो है पर चेतावनी बहुत छोटी छपी है, या फिर वोह उस दिशा में नहीं पढ़ी जाती है जिस दिशा में तम्बाकू ब्रांड पढ़ा जा रहा है, आदि
- जिन तम्बाकू पैकेट पर चित्रमय चेतावनी हैं, वोह पैकेट के सामने सिर्फ़ १०-३० प्रतिशत ही जगह ले रही है
“तम्बाकू से भारत में प्रतिवर्ष ९ लाख से अधिक लोग मृत्यु का शिकार होते हैं, और हर दिन २,५०० लोग मात्र भारत में ही तम्बाकू जनित कारणों से मरते हैं. इसके अनुपात को रोकने के लिए आवश्यक है कि व्यापक तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रमों को प्रभावकारी ढंग से सक्रिय किया जाए. तम्बाकू पैकेट पर चित्रमय चेतावनी छापना, तम्बाकू नियंत्रण का एक प्रभावकारी तरीका है जो कई देशों में जन-स्वास्थ्य हितैषी नतीजे दे रहा है” कहना है प्रोफ़ेसर डॉ रमा कान्त का, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक के अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कार प्राप्त वरिष्ठ शल्य-चिकित्सक हैं।
इस जनता जांच एवं मूल्यांकन में अनेकों सामाजिक संगठनों के लोग शामिल थे जिनमें इंडियन सोसाइटी अगेंस्ट स्मोकिंग, आशा परिवार, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (उत्तर प्रदेश), अभिनाव भारत फाउंडेशन आदि प्रमुख हैं।
प्रोफ़ेसर डॉ रमा कान्त (विभागाध्यक्ष, सर्जरी विभाग, छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय), डॉ संदीप पाण्डेय (जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय), राहुल कुमार द्विवेदी (अभिनव भारत फाउंडेशन), रितेश आर्य (इंडियन सोसाइटी अगेंस्ट स्मोकिंग), चुन्नी लाल (आशा परिवार), बाबी रमाकांत (विश्व स्वास्थ्य संगठन पुरुस्कार २००८)
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