'हेलमेट निर्माताओं को 'मार्लबोरो' लिखने पर मनाही'
भारतीय कानून के अनुसार जो ब्रांड विश्व में सर्वप्रसिद्ध हैं, उनके नाम से देश में व्यापार नहीं किया जाना चाहिए, भले ही वोह कंपनी भारत में व्यापार नहीं करती हो। लूथरा एवं लूथरा की वकील गायत्री रॉय ने कहा कि ऐसे मामले में कोर्ट ने विश्व-स्थापित ब्रांड के ही पक्ष में निर्णय दिया है - जैसे कि व्हिर्ल्पूल, डनहिल (सिगरेट) और वोल्वो आदि।
अक्सर ब्रांड की नक़ल नहीं की जाती है पर उस छवि की जो वो दिखाने का प्रयास कर रहा हो। जैसे कि भारत में हेलमेट निर्माताओं ने 'मार्लबोरो' जो विश्व में सबसे बड़ी तम्बाकू कंपनी की सिगरेट है, उसकी नक़ल हेलमेट पर उतरनी शुरू कर दी थी - परन्तु गौर से देखने पर पता चला कि 'मार्लबोरो' नहीं, 'मर्ल्बोर्न' या 'मेलबर्न' आदि लिखा हुआ है जो फार्मूला कार दौड़ या कार रेस के मशहूर 'स्टार' माइकेल शुमेकर के हेलमेट की नक़ल है जिसपर मार्लबोरो लिखा हुआ था - जो तम्बाकू कंपनी द्वारा प्रायोजित था। माइकेल शुमेकर 'फेरारी' कार चलते थे और उनकी यह छवि विश्वभर में लोकप्रिय हुई। न्यू यार्क टाईम्स में प्रकाशित ख़बर के अनुसार, भारत में हेलमेट निर्माताओं को 'मार्लबोरो' आदि लिखने से मना किया गया क्योंकि भारत में तम्बाकू विज्ञापन पर रोक लगी हुई है।