भूख, बदहाली के बजाए तलवार, त्रिशूल क्यों? मल्लिका साराभाई का आडवाणी को खुला पत्र
प्रिय श्री आडवाणी,
मुझसे पूछा गया है कि क्या प्रधानमंत्री पद के दावेदार आप जैसे बड़े नेता के विरुद्ध चुनाव लड़ना मेरे लिए एक कठिन अनुभव रहा | इस पर कोई लेख लिखने की बजाए मैंने आपको पत्र लिखना बेहतर समझा | जब आप इस पत्र को पडेंगें तब तक चुनाव नतीजे आ चुके होंगे | आप या तो जीतेंगे या हारेंगे | दोनों ही स्थितियों में मैं जो कहना चाहती हूँ वह प्रासंगिक बना रहेगा |
मैं स्वतंत्रता के बाद पैदा हुई भारतीय हूँ | मुझे भारतीयता के मूल्यों का सम्मान करना और उनकी रक्षा करना सिखाया गया है | मुझे सिखाया गया है कि हमारा संविधान एक ऐसा दस्तावेज है जो सभी भरतीयों को- चाहे वे किसी भी धर्म, संस्कृति या भाषाई समूह के हों- समान अधिकार देता है | मुझे हमारे देश के विविधवर्णी, इन्द्रधनुषी स्वरुप पर गर्व है | हमारा देश सलाद की तरह अलग-अलग संस्कृतियों का मिश्रण है | वह सूप की तरह नहीं है जिसमें सभी सब्जियां अपनी अलग पहचान खोकर एकसार हो जाती हैं |
हमारे देश के लोगों की भूख, प्यास और बदहाली की बजाए आप तलवारों और त्रिशूलों की बातें करते हैं | दलितों को सरेआम मार दिया जाता है, हजारों महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार होता है परन्तु आप के एजेंडें में मस्जिदें ढहाना और मंदिर बनाना ही है | हिन्दू दर्शन के वसुधैव कुटुम्बकम के अनुरूप आचरण करने की बजाए आप हमारे परिवार को अलग-अलग धार्मिक शिविरों में बाँटते हैं और चाहते हैं कि इस परिवार के कुछ सदस्य या तो देश छोड़कर चले जाएं या फिर गुलामों की तरह जिएं |
अपने धर्म और देश पर गर्व करने वाले एक नागरिक की हैसियत से मैं आपके व्यवहार और विचारों से स्तब्ध हूँ | भारतीय के रूप में मेरी पहचान को आप सिर्फ एक कसौटी पर कसते हैं-मैं हिन्दू हूँ या नहीं | आपके गुंडे और भगवा वस्त्रधारी आतंकवादी दस्ते लाठियों और बंदूकों से सारी दुनिया को डराना चाहते हैं और खुद को कानून से परे समझते हैं | सबसे बड़ी बात यह हैं कि आप अपनी रथयात्रा को-जिससे इस देश में आतंकवाद की शुरुआत हुई और लाखों निर्दोषों का खून बहा - अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं |
क्या आप यह आश्वासन दे सकते हैं कि आप जिस आतंकवाद विरोधी कानून की वकालत कर रहे हैं उसका इस्तेमाल अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने के लिए नहीं किया जायेगा ?
आपकी पार्टी स्विस बैंकों में जमा काले धन को वापिस लाने की बात कर रही है | मैं आपसे जानना चाहती हूँ कि जिन नोटों के बंडलों को लेते हुए आपकी पार्टी के अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण टेप पर पकड़े गए थे वे नोट क्या स्विस बैंक से आये थे और या फिर आपकी पार्टी की नीतियों के अनुरूप वे स्वदेशी काला धन स्वीकार कर रहे थे |
नहीं आडवाणी जी | मैं आपसे डरती नहीं हूँ | मैं चाहे यह चुनाव हार जाऊँ परंतु मैं निस्सहायों और कमजोरों के लिए काम करती रहूंगी | मैं यह सुनिश्चित करुँगी कि उनकी आवाज कुचली न जाए |
आपकी
मल्लिका