विश्व दमा दिवस पर विशेष: ४ मई २०१०

अस्थमा या दमा नियंत्रण ज्यादातर देशों में असफल

दमा नियंत्रण ज्यादातर देशों में असफल है।

विश्व के लगभग ३० करोड़ लोग अस्थमा या दमा की समस्या से ग्रसित हैं! अस्थमा या दमा की बीमारी व्यक्तिगत, पारिवारिक, तथा सामुदायिक तीनो स्तरों पर लोगों को प्रभावित करती है।

विश्व स्तर पर अस्थमा या दमा की समस्या पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक तमाम बाधाओं और चुनौतियों के बावजूद, अस्थमा या दमा नियंत्रण के विभिन्न कार्यक्रम तेज़ी से फ़ैल रहें हैं।

अस्थमा या दमा को यदि काबू में रखा जाए, और चंद बातों पर विशेष ध्यान दिया जाए, तो नि: संदेह इसका नियंत्रण सम्भव है।

अपर्याप्त और अध-कचरे अस्थमा या दमा नियंत्रण कार्यक्रमों की वजह से लोगों की जीवन शैली भी कुंठित होती दिखाई देती है।

उदाहरण के लिए विश्व में कई छेत्रों में हर चार में से एक अस्थमा या दमा से ग्रसित बच्चा स्कूल नही जा पाता है।

इस बार के विश्व अस्थमा या दमा दिवस का विषय है "आप अस्थमा या दमा पर नियंत्रण पा सकते हैं"।

इस विचार द्वारा यह बात साफ तौर पर जाहिर होती है कि अस्थमा या दमा की सही जांच, इलाज, और नियंत्रण की विधियाँ मौजूद हैं, परन्तु आवश्यकता है जागरूकता जिससे कि प्रभावकारी अस्थमा या दमा नियंत्रण के कार्यक्रम सफल हो सके।

अस्थमा नियंत्रण और प्रबंधन की विश्व स्तर पर निति २००७ के मुताबिक अस्थमा या दमा नियंत्रण का मतलब है कि:

- अस्थमा या दमा का कोई लक्षण न हो और व्यक्ति को अस्थमा या दमा के कारण रात में न टहलना पड़े

- अस्थमा राहत दवा या 'इन्हैलर' का उपयोग न करना पड़े (या न्यूनतम आवश्यकता हो)

- व्यक्ति सामान्य शारीरिक काम कर सकता हो।

- व्यक्ति को अस्थमा या दमा के दौरे बिल्कुल न पड़े या बहुत ही कम पड़े

कुछ लोग जो की अस्थमा से ग्रसित हैं उन लोगों ने कभी भी पर्याप्त अस्थमा की जांच नही करवाई है, इस वजह से उनमें अस्थमा के उपचार और उचित नियंत्रण होने की सम्भावना कम हो जाती है। अस्थमा या दमा के पर्याप्त और सही समय पर जांच न हो पाने की कई सारी वजह हैं। जैसे कि मरीजों में इसके बारे में पर्याप्त जानकारी न होना, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा सही समय पर इसकी पहचान न कर पाना और चिकित्सा व्यवस्था तक लोगों की व्यापक पहुँच न हो पाना इत्यादि।

विश्व के कई सारे देशों जैसे कि मध्य पूर्वी एशिया (गल्फ देशों में), मध्य अमरीका, दक्षिण एशिया, उत्तर पश्चिम और पूर्वी अफ्रीका इत्यादि में दमा के लिए आवश्यक दवाओं की उपलब्धता न होने के कारण स्थिति और भी अधिक गंभीर बन जाती है।

विश्व के कई देशों में जो लोग अस्थमा या दमा से ग्रसित है, उनमें वातावरण में व्याप्त प्रदुषण के कारण अस्थमा या दमा अधिक बिगड़ सकता है।

यदि हम अस्थमा नियंत्रण को प्रभावी बनाना चाहतें हैं तो हम सभी को इसकी प्रभावकारी नियंत्रण के लिए व्यापक नीतियाँ बनानी होगी और उस पर अमल भी करना होगा।