गोरखपुर एनवायरन्मेन्टल एक्शन ग्रुप से पिछले 15 वर्षो से जुड़कर स्थायी कृषि के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी कैम्पियरगंज के सरपतहा गांव की 50 वर्षीय महिला किसान श्रीमती रामरती को लघु उद्दम एवं स्थायी कृषि के क्षेत्र में किये गये इनके विशेष योगदान पर Confederation of Indian Industry(CII) ने राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार "सी0आई0आई0 आदर्श महिला अवार्ड २०११" से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। यह पुरस्कार आगामी 8-9 अप्रैल 2011 को दिल्ली में आयोजित सी0आई0आई0 के राष्ट्रीय सम्मेलन में दिया जायेगा। पुरस्कार राशि के रूप में इनको एक लाख रूपया मिलेगा। सी0आई0आई0 1895 से सामाजिक मुद्दों पर काम कर रही है। 2005 से सी0आई0आई0 सम्पूर्ण भारत में महिला सशक्तीकरण पर काम करने वाली ग्रामीण महिलाओं को राष्ट्रीय स्तर पर तीन क्षेत्रों-- शिक्षा एवं साक्षरता, स्वास्थ्य और लद्यु उद्दम-- में विशेष योगदान हेतु यह पुरस्कार देती आ रही हैं। इस पुरस्कार के लिए पूरे भारत वर्ष से हजारों की संख्या में आवेदन आये थे, लेकिन श्रीमती रामरती द्वारा ग्रामीण स्तर पर अपने सीमित संसाधनों में स्थायी कृषि एवं लघु उद्दम के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयास बाकी के सभी आवेदको के प्रयासो से ज्यादा बेहतर पाये गए। रामरती यह पुरस्कार पाने वाली उ0प्र0 की पहली महिला किसान है।
रामरती के 11 सदस्यी परिवार में इनके पति, तीन बेटे, दो बहुएं एवं 5 नाती है। रामरती के जीवन पर दृष्टिपात करे तो स्पष्ट होता है कि इनका जीवन काफी मुश्किलों से भरा था. खेती करना तो दूर बीज डालने भर का भी पैसा नही हुआ करता था। अपनी आजीविका चलाने के लिए दूसरे के खेतों में मजदूरी करती थी। लगभग 15 वर्ष पूर्व जी0ई0ए0जी0 द्वारा सरपतहा गांव में गठित 'स्वयं सहायता समूह' के माध्यम से इनका जुड़ाव इस संस्था से हुआ। खेती से इनका लगाव हमेशा से रहा है. लिहाजा अपनी खेती के प्रति रूचि के चलते जल्दी ही ये चयनित किसान के रूप में संस्था द्वारा चुन ली गयी। जी0ई0ए0जी0 द्वारा समय-समय पर प्राप्त तकनीकी सहयोग एवं प्रेरणा और अपने स्वयं के ज्ञान व कौशल को जोड़ते हुए बहुत कम समय में इन्होंने अपने आप को एक सफल किसान के रूप में स्थापित कर दिया। घर/परिवार, एवं खेत खलिहान के बेहतर सामंजस्य, और समय एवं स्थान के बेहतर प्रबन्धन ने उन्हें छोटे से खेत के टुकडे में भी बेहतर आजीविका के साधन उपलब्ध कराये। वे एक ही खेत में एक साथ कई फसलें उगाने का कौशल जानती है। पढ़ी लिखी नहीं हैं लेकिन नामचीन कृषि वैज्ञानिकों को खेती किसानी के अपने ज्ञान से हत प्रभ कर दिया है।
वे संसाधन की मार, मौसम की अनियमितता, लोगों के कटाक्ष से बेपरवाह आगे बढ़ती गयी। अपनी एक एकड़ जमीन में अपनी पूरी दुनिया सजा ली। आज इनके पास सब कुछ है-- पक्का घर, खेती में काम आने वाले औजार, सिंचाई का पम्प सेट। प्रगतिशील किसानों में उनकी गिनती होती है। रामरती का खेत जैव विविधता का पार्क लगता है। ये साल में 32 से अधिक फसलें उगाती है। रामरती के पास कुल एक एकड़ की खेती है जो पूर्ण रूप से जैविक है। वे अपने चार अदद दुधारू जानवरों के गोबर,बगीचे के पत्तों और सब्जियों के अपशिष्ट से जैविक खाद बनाती है। तम्बाकू, लहसुन आदि से कीटनाशक बनाती है। रसायनिक खादों व कीटनाशकों का प्रयोग उन्होंने वर्षो पहले छोड़ दिया।
इन्होंने विभिन्न लद्यु उद्योगों जैसे मोमबत्ती और अगरबत्ती बनाना, सब्जी एवं मसाले की खेती, बीज उत्पादन इत्यादि से अपनी आजीविका के विभिन्न विकल्प तो तैयार किये ही, साथ ही अन्य लोगों को भी इसके लिये प्रेरित किया।
आज रामरती अष्टभुजी स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष एवं कृषि सेवा केन्द्र एवं किसान विद्यालय की संचालिका हैं. इसके साथ ही ये एक मास्टर ट्रेनर भी हैं। वह छोटी जोत वाले किसानों को कम लागत और कम संसाधन में लाभकारी खेती के गुर सिखाती है।
जितेन्द्र द्विवेदी
(लेखक, उत्तर प्रदेश में कृषि मुद्दों पर विशेष रूप से लिखते रहे हैं और स्वतंत्र पत्रकार हैं। ईमेल: jitendraabf@gmail.com, फोन: 9415790126)