२/३ मृत्यु का कारण है गैर-संक्रामक रोग: तम्बाकू नियंत्रण आपात प्राथमिकता है

[English] [फोटो] ६३ प्रतिशत लोगों में मृत्यु का कारण है गैर-संक्रामक रोग, जैसे कि हृदय रोग, कैंसर, श्वास सम्बन्धी रोग, डाईबीटीस, आदि - यह बताया विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कार विजेता प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने जो मल्हौर, चिनहट, स्थित अरविन्द अकादेमी में मुख्य अथिति के रूप में छात्रों एंड शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे.

छ०श०म० चिकित्सा विश्वविद्यालय के भूतपूर्व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एवं सर्जरी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने बताया कि "लांसेट में प्रकाशित अप्रैल २०११ की शोध के अनुसार, गैर-संक्रामक रोगों से बचने के लिये तम्बाकू नियंत्रण सबसे बड़ी आपात प्राथमिकता है. लांसेट ने विश्व को तम्बाकू मुक्त बनाने के लिये २०४० का लक्ष्य रखा है. यह लक्ष तबतक पूरा नहीं किया जा सकता जब तक बच्चे और युवा तम्बाकू सेवन आरंभ करना ही बंद कर दें क्योंकि ८० प्रतिशत से अधिक तम्बाकू सेवन १८ साल से पहले ही आरंभ होता है. ज़िन्दगी चुने, तम्बाकू नहीं!"

अरविन्द एकेडमी की संस्थापिका-निदेशिका श्रीमती प्रमिला अग्रवाल एवं प्रधानाचार्या डॉ0 वीना शर्मा भी कार्यक्रम में उपस्थित थे। अरविन्द एकेडमी के छात्रों ने नाटक-मंचन द्वारा स्पष्ट संदेश दिया कि तम्बाकू जानलेवा है और यदि तम्बाकू नशा करने वाले लोग समय रहते नशा मुक्त हो जाए तो स्वास्थ्य पर तम्बाकू जनित जानलेवा रोग होने का खतरा कम हो जाता है।

अखिल भारतीय सर्जनों के संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने कहा कि "विश्व स्वास्थ्य संगठन की नयी रपट (२७ अप्रैल २०११) के अनुसार, यह स्पष्ट है कि मृत्यु का सबसे बड़े कारण हैं गैर-संक्रामक रोग जिनमें हृदय रोग, कैंसर, श्वास सम्बन्धी रोग, डाईबीटीस आदि प्रमुख हैं. कुछ समान जीवनशैली से जुड़े कारण हैं जिनकी वजह से इन गैर संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ता है जैसे कि तम्बाकू का सेवन, शारीरिक व्यायाम या क्रियाओं का अभाव, नुकसानदायक शराब सेवन, भोजन जिसमें संतृप्त या 'ट्रांस' चर्बी, नमक, चीनी (खासतौर पर मीठे पेय) आदि का सेवन, इतियादि."

"पाइल्स (बवासीर) से स्माइल्स तक" पुस्तक के लेखक प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने बताया कि "गैर संक्रामक रोगों से होने वाली ८० प्रतिशत मृत्यु से बचाव मुमकिन है यदि तम्बाकू सेवन त्यागा जाए, शराब नशाबंदी हो, पर्याप्त व्यायाम या शारीरिक क्रियाएं रोजाना जीवन का हिस्सा बने, और भोजन में संतृप्त या 'ट्रांस' चर्बी, नमक, चीनी आदि से परहेज किया जाए."

प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने बताया कि "धूम्रपान से तो गर्भवती महिलाओं और गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुँचता ही है, धुआं-रहित तम्बाकू से भी गर्भावस्था में कु-प्रभाव पड़ता है - जैसे कि प्रे-क्लैम्पसिया (उच्च रक्त चाप, सूजन आदि), समय से पहले ही बच्चे का जन्म, और जन्म से समय बच्चे का वजन कम होना आदि शामिल हैं."

प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने बताया कि "जो बच्चे और युवा धुआं-रहित तम्बाकू का सेवन करते हैं उनकी धूम्रपान करने की सम्भावना अधिक होती है. तम्बाकू कर रूप में घातक है, इससे दूर रहे और जो लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं वो इसको बिना विलम्ब त्यागें जिससे कि स्वास्थ्य पर तम्बाकू जनित  कुप्रभावों का असर कम-से-कम हो सके."

राहुल कुमार द्विवेदी और रितेश आर्य ने कार्यक्रम का समन्वयन किया. इसको नागरिकों का स्वस्थ् लखनऊ अभियान, इंडियन सोसाइटी अगेंस्ट स्मोकिंग, अभिनव भारत फाउनडेशन, और आशा परिवार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था.
सी.एन.एस.