भारतीय सीमा में चीन के अनाधिकृत पैठ के संदर्भ में, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) ने मांग की है कि भारत सरकार तुरंत चीन से सभी प्रकार के आयात बंद करे। हमारे बाज़ारों में चीनी समान भरा हुआ है, जैसे कि बनारसी साड़ियाँ, होली की पिचकारियाँ, गरम कपड़े, मूर्तियाँ, विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रोनिक समान, आदि। हम किसी भी प्रकार के सैन्य प्रतिक्रिया का समर्थन नहीं करते हैं और हमारा मानना है कि यह मुद्दा दो-पक्षीय संवाद से सुलझाया जाये। परंतु हमारा पूरा समर्थन है उन नीतियों को जो लघु और मध्यम वर्गीय उद्योग और अन्य कारीगरों के बाज़ार की रक्षा करे। इस तरह के निर्णय से भारत की अर्थ-व्यवस्था जमीनी स्तर पर मजबूत होगी। चीन से आयात को बंद करके और स्वदेसी लघु और माध्यम वर्गीय उद्योग और कारीगरों के बाज़ार को बढ़ावा दे कर हमारा दोहरा लाभ होगा और चीन पर भी दबाव बनेगा कि वो अंतर्राष्ट्रीय सरहदों को सम्मान दे।
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) का मानना है कि 1962 में जो भारतीय भूमि चीन ने कब्जा कर की थी वो भारत के अधिकार क्षेत्र में वापस आए और जैसा कि समाजवादी डॉ राम मनोहर लोहिया की मांग थी, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) भी तिब्बत की स्वतन्त्रता का समर्थन करती है।
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) ने हाल ही में सरकार से मांग की थी कि मुक्त-व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करने में वो जल्दबाज़ी न करे, क्योंकि ऐसे व्यापार समझौतों से आवश्यक दवाएं, बीज आदि लोगों की पहुँच से बाहर होने का खतरा है और लघु एवं माध्यम वर्गीय उद्योग और कारीगरों को भी क्षति पहुंचेगी।
महात्मा गांधी जी के दिखाये गए "ग्राम स्वराज्य" के आदर्श में सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) का विश्वास है। हमारी नीतियों की वजह से अपने देश के बाज़ार खोलने पर हमारे देसी लघु और माध्यम वर्गीय उद्योग को और कारीगरों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों की तुलना में बराबरी का मुक़ाबला नहीं है। हमने देखा है कि सरकार द्वारा किस तरह के लाभ और प्रलोभन बड़ी देसी और बहुराष्ट्रीय उद्योग को दिये जाते हैं और लघु, माध्यम वर्गीय उद्योग और कारीगरों की ओर कड़ा रवैया रहता है जिसके कारण उनका चलना मुश्किल हो जाता है।
आज के मौजूदा परिप्रेक्ष्य में, यह हमारे हित में है कि हम चीनी सामानों को लेना बंद करें और देसी कारीगरों और उद्योगों को मजबूत करें।
उपरोक्त सभी कथन डॉ संदीप पाण्डेय (उपाध्यक्ष), डॉ प्रेम सिंह (प्रवक्ता), ओंकार सिंह (महासचिव), गिरीश पाण्डेय (उप्र राज्य अध्यक्ष), सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के द्वारा व्यक्त किया गया।
सिटिज़न न्यूज़ सर्विस
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) का मानना है कि 1962 में जो भारतीय भूमि चीन ने कब्जा कर की थी वो भारत के अधिकार क्षेत्र में वापस आए और जैसा कि समाजवादी डॉ राम मनोहर लोहिया की मांग थी, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) भी तिब्बत की स्वतन्त्रता का समर्थन करती है।
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) ने हाल ही में सरकार से मांग की थी कि मुक्त-व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करने में वो जल्दबाज़ी न करे, क्योंकि ऐसे व्यापार समझौतों से आवश्यक दवाएं, बीज आदि लोगों की पहुँच से बाहर होने का खतरा है और लघु एवं माध्यम वर्गीय उद्योग और कारीगरों को भी क्षति पहुंचेगी।
महात्मा गांधी जी के दिखाये गए "ग्राम स्वराज्य" के आदर्श में सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) का विश्वास है। हमारी नीतियों की वजह से अपने देश के बाज़ार खोलने पर हमारे देसी लघु और माध्यम वर्गीय उद्योग को और कारीगरों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों की तुलना में बराबरी का मुक़ाबला नहीं है। हमने देखा है कि सरकार द्वारा किस तरह के लाभ और प्रलोभन बड़ी देसी और बहुराष्ट्रीय उद्योग को दिये जाते हैं और लघु, माध्यम वर्गीय उद्योग और कारीगरों की ओर कड़ा रवैया रहता है जिसके कारण उनका चलना मुश्किल हो जाता है।
आज के मौजूदा परिप्रेक्ष्य में, यह हमारे हित में है कि हम चीनी सामानों को लेना बंद करें और देसी कारीगरों और उद्योगों को मजबूत करें।
उपरोक्त सभी कथन डॉ संदीप पाण्डेय (उपाध्यक्ष), डॉ प्रेम सिंह (प्रवक्ता), ओंकार सिंह (महासचिव), गिरीश पाण्डेय (उप्र राज्य अध्यक्ष), सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के द्वारा व्यक्त किया गया।
सिटिज़न न्यूज़ सर्विस