लैंगिक व प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों की सार्थकता

मधुमिता वर्मा, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस  
फोटो क्रेडिट: सीएनएस 
प्रजनन सृष्टि का मूल है, लैंगिक परिपक्वता के बिना प्रजनन की कल्पना नहीं की जा सकती है। परन्तु फिर भी हमारे देश में आज भी इस विचारधारा के लोगों की कमी नहीं जो लैंगिक व प्रजनन सम्बन्धी विषयों पर बात करना अपराध मानते हैं। यह संकीर्ण मानसिकता, लैंगिक व प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों के प्रचार-प्रसार में बाधक है। नवयुवक-नवयुवतियों में इसको लेकर एक प्रकार का भय व शर्म व्याप्त है जो उन्हें परेशानी होने पर भी छिपाए रहने के लिए बाध्य कर रहा है। यह स्थिति विकास के मार्ग में निश्चित रूप से एक बहुत बड़ी बाधा है।

यह मानसिकता हमारे समाज में इस कदर व्याप्त है कि सरकार द्वारा उपलब्ध कराये गए तमाम सूचना-तंत्र असफल हो रहे हैं। इसी गलत सोच की वजह से सही जानकारी के अभाव में व संकोचवश परेशानी छुपाने के कारण कभी-कभी छोटी सी परेशानी भी लाइलाज बीमारी में परिवर्तित हो जाती है। इस सन्दर्भ में डा. अमित गुप्ता, जो बाराबंकी जिले के देवा ब्लाँक में होम्योपैथिक डॉक्टर हैं, ने  एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि लैंगिक व प्रजनन संबंधी जानकारियां सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। यह बहुत आवश्यक है, कि लोग इसको अपने स्वास्थ्य के साथ जोड़कर देखें, तथा भय, शर्म व संकोच से उबरकर अपनी समस्या को डॉक्टर से बता पाएं। अन्यथा पीढ़ी दर पीढ़ी वही गलत तरीके के प्रयोग होते रहेंगे।

डा. गुप्ता ने बताया कि शादी के बाद संतान न होने पर प्रायः स्त्री को ही दोष दिया जाता है जबकि यह सही नहीं है। पुरुष में भी कमी हो सकती है. जब रूढ़िवादिता लोगों के मन से निकलेगी तभी वे अपनी बात को बेझिझक बता पायेंगे और तभी उनकी समस्या का उचित निराकरण हो पायेगा।

बाराबंकी जिले के देवा ब्लॉक के पुलिस विभाग में कार्यरत डा. मैरी का कहना है कि प्रजनन व लैंगिक स्वास्थ्य संबंधी सही जानकारी न होने से यौन जनित बीमारियाँ पनपने की संभावना ज्यादा रहती है, तथा विवाहोपरांत गर्भवती होने में या बच्चा होने में समस्याएं आती हैं। यदि मासिक धर्म नियमित रूप से नहीं आता है तो शादी के बाद गर्भधारण में समस्या आती है। कभी-कभी योनि में खुजली व सूजन जैसी समस्याएं भी हो जाती है। युवा हो रही बालिकाओं को मासिक धर्म व मासिक धर्म स्वच्छता की अनिवार्यता के बारे में बताया जाना उनके स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

दूसरी बात उन्होंने यह बताई कि आशा बहुओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, ए एन एम व डॉक्टर को इस सन्दर्भ पर लोगों से खुलकर बात करनी चाहिए। यदि ये लोग ही बताने में संकोच करेंगे तो प्रजनन सम्बन्धी बीमारियाँ ज्यादा बढ़ जायेंगी तथा एक स्वस्थ समाज का निर्माण केवल सपना ही रह जाएगा।

देवा की आंगनवाड़ी कार्यकत्री सरिता देवी ने बताया कि जो भी कार्यकर्ता प्रजनन एवं अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारियां लोगों तक पहुँचाने के लिए सरकार ने अस्पतालों में नियुक्त किये हैं, उन्हें सही जानकारी लोगों को देने में बिलकुल भी संकोच नहीं करना चाहिए।  आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व आशा बहुओं को इसी बात का प्रशिक्षण दिया जाता है कि वे निःसंकोच प्रजनन व लैंगिक मुद्दों पर लोगों से बात करें और उनकी समस्याओं का निवारण करें।

जब तक युवक युवतियों को अपने स्वास्थ्य सम्बन्धी निजी समस्याओं के बारे में डॉक्टर एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मियों से बेझिझक और खुल कर बात करने का सामजिक वातावरण नहीं तैयार जायेगा, तब तक अज्ञानता और अपराध बोध के चलते युवा वर्ग अनेक यौन जनित रोगों और विकारों का शिकार होता रहेगा।

मधुमिता वर्मा, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस 
१ जनवरी २०१६