सबके लिए स्वास्थ्य सुरक्षा की मांग को ले कर गाँधी जयंती पर उपवास पर लोग


  • रोग से मुनाफ़ा अर्जित करना बंद हो
  • स्वास्थ्य सेवा का निजीकरण बंद कर स्वास्थ्य सेवा का राष्ट्रीयकरण हो
  • सभी सरकारी कर्मचारी और निर्वाचित प्रतिनिधि और उनके परिवार के लिए सरकारी स्वास्थ्य सेवा अनिवार्य हो (इलाहबाद उच्च न्यायलय के 2018 के आदेश को अक्षरश: बिना विलम्ब लागू किया जाए)
गाँधी जयंती 2 अक्टूबर को चौक लखनऊ में 10-5 बजे शाम तक उपवास रख कर सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के कार्यकर्ताओं ने 8 दिन तक सुबह-से-शाम तक विभिन्न मुद्दों पर उपवास आरंभ किया है. आज 2 अक्टूबर तो स्वास्थ्य का मुद्दा केंद्रबिंदु में रहा. मोहम्मद अहमद, अभ्युदय प्रताप सिंह एवं मेगसेसे पुरुस्कार से सम्मानित वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ संदीप पाण्डेय इस उपवास में प्रमुख रहे.

सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) के जिला कार्यालय, कल्बे आबिद मार्ग, पुरानी सब्जी मण्डी के पास, मुख्तारे हलवाई के सामने, चौक, लखनऊ में आज उपवास का आरंभ सर्व-धर्म प्रार्थना से हुआ और फिर सबके-लिए-स्वास्थ्य-सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर परिचर्चा हुई.

सरकार का सबसे महत्वपूर्ण काम यह है कि ऐसी सामाजिक व्यवस्था बने कि हर इन्सान के स्वास्थ्य की सम्मान के साथ देखरेख हो सके. ऐसी व्यवस्था जिसमें बीमारी और रोग से मुनाफ़ा कमाया जाता हो, को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. स्वास्थ्य सेवा तो मानवाधिकार स्वरुप हर इंसान को मिलनी होगी और यह उसकी जेब में कितने पैसे हैं, उसपर निर्भर नहीं कर सकता है. कोरोना वायरस रोग (कोविड-19) के चलते यह स्पष्ट हो गया है कि यदि एक जन प्रभावित होगा तो सब प्रभावित होंगे. यदि हमारी स्वास्थ्य सेवा सबका ख्याल नहीं रख पा रही है तो हम सब को खतरा है. हमें समाज का पुनर्निर्माण ऐसा करना होगा कि हर एक इंसान सकुशल जीवन सम्मान के साथ जी सके और एक भी इंसान स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा से वंचित न रहे.

यदि सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली पूर्ण रूप से सशक्त होती तो कोविड-19 महामारी के समय यह सबसे बड़े सुरक्षा कवच के रूप में काम आती. आर्थिक मंदी से बचाने में भी कारगर सिर्फ पूर्ण रूप से पोषित सरकारी सेवाएँ ही हैं जिनको पिछले दशकों से नज़रअन्दाज़ किया गया है. बिना स्वास्थ्य सुरक्षा के आर्थिक ढांचा कैसे चरमराता है, यह महामारी में स्पष्ट हो गया है.

सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) की मांग है कि बिना विलम्ब:
  • रोग से मुनाफ़ा अर्जित करना तुरंत बंद हो और सबको कोविड और अन्य सभी रोगों का सारा इलाज खर्च सरकार उठाये
  • स्वास्थ्य सेवा का निजीकरण बंद कर स्वास्थ्य सेवा का राष्ट्रीयकरण हो
  • सभी सरकारी कर्मचारी और निर्वाचित प्रतिनिधि और उनके परिवार के लिए सरकारी स्वास्थ्य सेवा अनिवार्य हो (इलाहबाद उच्च न्यायलय के 2018 के आदेश को अक्षरश: बिना विलम्ब लागू किया जाए)


सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)

2 अक्टूबर 2020