उत्तर प्रदेश में मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानून व व्यवस्था कायम करने के लिए ठोक दो की नीति अपनाई और सौ से ज्यादा मुठभेड़ों में तथाकथित अपराधियों के मारे जाने के बाद दावा किया कि सारे अपराधी या तो मारे गए अथवा अपनी जमानत खारिज करवा जेल पहुंच गए हैं। फिर लगातार एक के बाद एक अपराध की दिल दहलाने वाली घटनाएं हुईं जिसने सरकार की पोल खोल कर रख दी। बिकरू कांड, तमाम बलात्कार व हत्या की घटनाएं, फिरौती के लिए बस का अपहरण, मुठभेड़, पुलिस अधीक्षक द्वारा महोबा में खनन व्यापारी से फिरौती की मांग कुल मिलाकर एक अराजक उत्तर प्रदेश की तस्वीर पेश करते हैं।
हाल ही में हाथरस, बलरामपुर व भदोही में तीन धटनाओं में 19 वर्ष, 22 वर्ष व 11 वर्ष की तीन दलित लड़कियों की बलात्कार के बाद हत्या ने प्रदेश व देश को झकझोर कर रख दिया है। ऊपर से हाथरस में पुलिस द्वारा आरोपियों को बचाने के उद्देश्य से बिना परिवार की अनुमति के लड़की के शव का दाह संस्कार कर देने की घटना ने मानवता को शर्मशार किया है। मुख्यमंत्री का घटना के पहले का बयान कि लड़कियों के साथ छेड़-छाड़ करने वालों की तस्वीरें चैराहों पर लगाई जांएगी और उसके तुरंत बाद बलात्कार के आरोपियों को बचाने की कोशिश प्रदेश सरकार की मंशा पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करती हैं। क्या अब सरकार हाथरस कांड के आरोपियों की तस्वीरें चैराहों पर लगाएगी?
यह घटना भारतीय जनता पार्टी की दलित विरोधी मानसिकता का भी द्योतक है। यदि पीड़ित परिवार दलित न होता तो शायद उसके साथ इतनी जबरदस्ती न होती और आरोपी चूंकि सवर्ण हैं इसलिए सरकार उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है।
सरकार की नाकामी और मुख्यमंत्री की असफलता स्पष्ट है। मनमाने निर्णय लेना व ताकत के बल पर लोगों पर नियंत्रण स्थापित करना इस सरकार के काम करने का तरीका बन गया है। सरकार का दमन जितना बढ़ता जा रहा है उतनी ही अपराधियों की निरंकुशता व पुलिस की अराजकता। महोबा कांड में खनन व्यापारी की हत्या के मामले में निलंबित पुलिस अधीक्षक मणिलाल पाटीदार सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल के सामने पेश होने से बचने के लिए भूमिगत हो गए हैं।
यह कितनी अजीब बात है कि जातिगत उत्पीड़न के शिकार परिवार के समर्थन में आए लोगों के खिलाफ जातीय व साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगा कर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं और जिन लोगों ने अत्याचार किया उनके समर्थन में धरना प्रदर्शन पुलिस होने दे रही है और सरकार यह कह कर कि बलात्कार हुआ ही नहीं उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है। हम सरकार द्वारा पूरे मामले को साजिश बताने की निंदा करते हैं। यह दिखाता है कि सरकार दलितों व महिलाओं के प्रति कितनी संवेदनहीन है।
योगी आदित्यनाथ को समझना होगा कि कानून व व्यवस्था विधि सम्मत कार्यवाहियों से ही स्थापित होता है, मनमाने निर्णय लेने से नहीं। चंकि उनके काम करने का तरीका पुलिस से लोगों को आतंकित करने वाला है जो पूरी तरह से असफल रहा है इसलिए उन्हें अब इस्तीफा दे देना चाहिए।
नीलम गुप्ता, 7071822028, जीनत, 9455104627, गुड्डी, 8052262712, अमन जहां, 9335960891, संदीप पाण्डेय, 0522 2355978हाल ही में हाथरस, बलरामपुर व भदोही में तीन धटनाओं में 19 वर्ष, 22 वर्ष व 11 वर्ष की तीन दलित लड़कियों की बलात्कार के बाद हत्या ने प्रदेश व देश को झकझोर कर रख दिया है। ऊपर से हाथरस में पुलिस द्वारा आरोपियों को बचाने के उद्देश्य से बिना परिवार की अनुमति के लड़की के शव का दाह संस्कार कर देने की घटना ने मानवता को शर्मशार किया है। मुख्यमंत्री का घटना के पहले का बयान कि लड़कियों के साथ छेड़-छाड़ करने वालों की तस्वीरें चैराहों पर लगाई जांएगी और उसके तुरंत बाद बलात्कार के आरोपियों को बचाने की कोशिश प्रदेश सरकार की मंशा पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करती हैं। क्या अब सरकार हाथरस कांड के आरोपियों की तस्वीरें चैराहों पर लगाएगी?
यह घटना भारतीय जनता पार्टी की दलित विरोधी मानसिकता का भी द्योतक है। यदि पीड़ित परिवार दलित न होता तो शायद उसके साथ इतनी जबरदस्ती न होती और आरोपी चूंकि सवर्ण हैं इसलिए सरकार उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है।
सरकार की नाकामी और मुख्यमंत्री की असफलता स्पष्ट है। मनमाने निर्णय लेना व ताकत के बल पर लोगों पर नियंत्रण स्थापित करना इस सरकार के काम करने का तरीका बन गया है। सरकार का दमन जितना बढ़ता जा रहा है उतनी ही अपराधियों की निरंकुशता व पुलिस की अराजकता। महोबा कांड में खनन व्यापारी की हत्या के मामले में निलंबित पुलिस अधीक्षक मणिलाल पाटीदार सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल के सामने पेश होने से बचने के लिए भूमिगत हो गए हैं।
यह कितनी अजीब बात है कि जातिगत उत्पीड़न के शिकार परिवार के समर्थन में आए लोगों के खिलाफ जातीय व साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगा कर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं और जिन लोगों ने अत्याचार किया उनके समर्थन में धरना प्रदर्शन पुलिस होने दे रही है और सरकार यह कह कर कि बलात्कार हुआ ही नहीं उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है। हम सरकार द्वारा पूरे मामले को साजिश बताने की निंदा करते हैं। यह दिखाता है कि सरकार दलितों व महिलाओं के प्रति कितनी संवेदनहीन है।
योगी आदित्यनाथ को समझना होगा कि कानून व व्यवस्था विधि सम्मत कार्यवाहियों से ही स्थापित होता है, मनमाने निर्णय लेने से नहीं। चंकि उनके काम करने का तरीका पुलिस से लोगों को आतंकित करने वाला है जो पूरी तरह से असफल रहा है इसलिए उन्हें अब इस्तीफा दे देना चाहिए।