8-दिन-उपवास क्रम का समापन दिवस | हाथरस से डॉ संदीप पाण्डेय का सन्देश
आज 9 अक्टूबर को उपवास क्रम के अंतिम दिन, डॉ संदीप पाण्डेय, मेधा पाटकर, फैसल खान और दिल्ली के अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी अन्य लोगों के साथ हाथरस में रहे. हाथरस में एक दलित लड़की के साथ बलात्कार और साथ मार पीट के बाद, उसे अस्पताल में भर्ती किया गया जहाँ कुछ दिनों के बाद वह मृत हुई. पुलिस ने उसकी लाश 2-3 बजे रात में जलाई जिससे शक होता है कि कुछ छुपाने की कोशिश की जा रही है. उस दलित लड़की के परिवार के साथ न्याय हो इसके लिए आज पूरा देश खड़ा है - तमाम लोग प्रदर्शन कर रहे हैं उत्तर भारत से ले कर तमिल नाडू तक. इसी क्रम में डॉ संदीप पाण्डेय, मेधा पाटकर और अन्य लोग आज हाथरस गए और पीड़ित परिवार के साथ समर्थन और संवेदना व्यक्त की. इसको एक जातीय संघर्ष का रूप दिया जा रहा है चूँकि यहाँ पर एक दलित पक्ष है और दूसरा क्षत्रिय पक्ष है. यह उत्तर प्रदेश सरकार की नाकामी है कि जो एक अपराधिक मामला था जिसमें कि उनको ठीक से करवाई करनी चाहिए थी. यदि उस लड़की का शव उसके परिवार को दे दिया जाता तो यह मामला इतना तूल नहीं पकड़ता लेकिन प्रदेश सरकार की मनमानी पक्षपातपूर्ण करवाई के कारण ऐसा हो रहा है कि यहाँ जो अपराधिक घटना थी उसको जातीय संघर्ष का रूप दिया जा रहा है. यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार का काम करने का एक तरीका हो गया है कि कोई भी घटना होती है उसको साम्रप्रदायिक या जातीय रूप देने की कोशिश करते हैं.
सांप्रदायिक सद्भावना पर निरंतर हमला हो रहा है. डॉ नरेन्द्र दाभोलकर की हत्या हुई और तमाम ऐसे बुद्धिजीवी जो प्रगतिशील विचार के हैं और जो साम्रदायिक विचार का विरोध करते हैं उनको निशाने पर लिया गया - 4 की तो हत्या हुई कई लोगों को विश्वविद्यालयों से निकाला गया, उनके साथ मारपीट की घटनाओं से लेकर ट्रोलिंग तक की घटनाएँ हो रही हैं. जो इस देश के साथ सबसे बुरी चीज़ हुई वह यह कि हिन्दू और मुसलमान में देश के विभाजन के बाद जो दूरी पैदा हो गयी थी और धीरे धीरे कम हुई थी उनके बीच में खायी पैदा की गयी. इसकी शुरुआत रामजन्म भूमि आन्दोलन से हुई - बाबरी मस्जिद के ढाए जाने से - और वह भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद से और तेज़ी से बढ़ी क्योंकि इस देश के अन्दर मोब लिंचिंग जैसी घटनाएँ होने लगी. कोई भी मुसलमान गाय को ले कर जा रहा है उसको पीट पीट कर मार देना, शक के आधार पर कि उसने गाय का मांस खाया है उसको मार डालना और हिन्दू मुस्लिम में शादियाँ हो तो उसको लव-जिहाद का नाम देना और हद तो तब हो गयी जब एक टीवी चैनल ने यह कहा कि इस देश में 14% आबादी वाले मुस्लमान जिनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा में मात्र 4% ही होता है यह कहा गया कि वह प्रशासनिक सेवा में भी 'घुसपैठ' कर रहे हैं, जिहाद कर रहे हैं. सांप्रदायिक आधार पर लोगों के मन में जो जहर घोला गया है एवं भारतीय समाज का इससे जो नुक्सान हुआ है, इसको ठीक होने में काफ़ी दिन लगेंगे. जो सरकार है जो आज है वह कल चली जाएगी लेकिन इस देश के सामाजिक ताने बाने को, इस देश की गंगा जमुनी तहज़ीब को जो नुक्सान उसने पहुँचाया है उसको ठीक होने में वर्षों लगेंगे जैसे विभाजन के समय जो साम्प्रदायिकता की भावना फैली थी उसको ठीक होने में कई दशक लग गए.
निचले स्तर के समाज के जो विभिन्न जाति धर्म के लोग साथ में मिल के रहते हैं काम करते हैं और कई प्रकार से उनके संबंध होते हैं - खेत किसी का होता है उसपर मजदूरी कोई और करता है - इस तरह के जो आपसी निर्भरता के संबंध हैं वो अपनी जगह कायम हैं उनको राजनीति ने बहुत प्रभावित नहीं किया है बस संतावना की बात यही है. लेकिन जिस तरह से अब खुल के सांप्रदायिक या जातीय आधार पर राजनीति होती है वह वाकई एक चिंता का विषय है और सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) और इस तरह के तमाम संगठन और लोग जो प्रगतिशील विचार को मानते हैं और मानते हैं कि समाज में शांति होनी चाहिए सद्भावना होनी चाहिए वह अपने प्रयासों में लगे हैं और हम उम्मीद करते हैं कि अंतत: शांति और सद्भावना वाली शक्तियां ही विजयी होंगी और उनकी बात ही समाज में चलेंगी और समाज में नफरत और बाँटनें वाली जो बातें हैं उनको अंतत: लोग दरकिनार करेंगे.
संदीप पाण्डेय, 0522 2355978, सलमान राईनी, 9335281976, मोहम्मद अहमद, 7007918600
सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) जिला कार्यालय
कल्बे आबिद मार्ग, पुरानी सब्जी मण्डी के पास, मुख्तारे हलवाई के सामने, लखनऊ