म्यांमार के स्वास्थ्य एवं खेल मंत्रालय के उप-महा-निदेशक डॉ क्याव कान काऊँग (Kyaw Kan Kaung) ने बताया कि 12 ऑक्टूबर 2021 को म्यांमार के स्वास्थ्य एवं खेल मंत्रालय ने प्लेन पैकिजिंग या सादे पैकेट वाली नीति को पारित किया है। इस नीति के अनुसार, हर तम्बाकू उत्पाद के पैकेट पर हर तरफ़ (यानि ऊपर, सामने, पीछे, साइड आदि में), 75% चित्रमय चेतावनी क़ानूनन निर्देशानुसार प्रकाशित करनी होगी। यह नीति सभी तम्बाकू उत्पाद पर लागू होगी जैसे कि सिगरेट, चेरूट, सिगार, धुआँ-रहित तम्बाकू उत्पाद आदि। डॉ काऊँग एक प्रेस वार्ता को सम्बोधित कर रहे थे जिसे इंटरनैशनल यूनियन अगेन्स्ट टुबर्क्युलोसिस एंड लंग डिज़ीज़ (द यूनियन) के एशिया-पेसिफ़िक कार्यालय और एशिया पेसिफ़िक सिटीज़ अलाइयन्स ने संयुक्त रूप से आयोजित किया था।
म्यांमार स्वास्थ्य मंत्रालय के डॉ क्यवंग ने कहा कि म्यांमार में तम्बाकू नियंत्रण के इतिहास में प्लेन पैकिजिंग एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। जानलेवा ग़ैर-संक्रामक रोग जैसे कि हृदय रोग, पक्षाघात, कैन्सर, मधुमेह, दीर्घकालिक श्वास सम्बन्धी रोग आदि का तम्बाकू एक बड़ा कारण है। प्लेन पैकिजिंग से तम्बाकू नियंत्रण सशक्त होगा।
डॉ काऊँग ने बताया कि म्यांमार सरकार द्वारा बताए गए रंग में ही पूरा पैकेट होगा और निर्देशित चित्रमय चेतावनी और सरकार द्वारा बताए गयी ज़रूरी जानकारी ही पैकेट पर प्रकाशित होगी। किसी भी तम्बाकू उत्पाद का कोई फ़्लेवर आदि नहीं हो सकता और न ही उद्योग मनचाहे ढंग से ब्रांड आदि प्रकाशित कर सकता है। जिस दिन से यह नीति पारित हुई है (12 ऑक्टूबर 2021), उस दिन से 180 दिन के भीतर, तम्बाकू उद्योग को इस नीति को पूरी तरह से लागू करना है।
हर तीन साल में चित्रमय चेतावनी की पाँच विभिन्न तस्वीरें बदली जाएँगी। इन चित्रमय चेतावनी में शामिल हैं तम्बाकू सेवन के असली असर जैसे कि सबसे घातक कैन्सर (फेफड़े का कैन्सर), मुँह का कैन्सर, गैंग्रीन, नवजात शिशु का समय से पहले जन्म होना और कम वजन का होना, बच्चों को परोक्ष धूम्रपान के कारण अनेक रोगों से जूझना जैसे कि अस्थमा/ दमा, और निमोनिया। धुआँ-रहित तम्बाकू उत्पाद पर चित्रमय चेतावनी में शामिल हैं मुँह का कैन्सर, जीभ का कैन्सर, साँस की नली का कैन्सर, नवजात शिशु का समय से पहले और कम वजन का होना आदि।
समर्पित तम्बाकू उन्मूलन और जन स्वास्थ्य कार्यकर्ता और द यूनियन के एशिया पेसिफ़िक निदेशक डॉ तारा सिंह बाम ने कहा कि एशिया के कुछ देशों ने प्लेन पैकिजिंग पहले से लागू कर रखी है और जन स्वास्थ्य की दृष्टि से ठोस सकारात्मक प्रभाव हुए हैं। अंतर्राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण संधि जिसे 180 से अधिक देशों ने पारित किया हुआ है उसके अनुसार भी, प्लेन पैकिजिंग (जिसे स्टैंडर्डआइज्ड पैकिजिंग भी कहते हैं) एक प्रभावकारी तम्बाकू नियंत्रण नीति है। इस संधि को औपचारिक रूप से, विश्व स्वास्थ्य संगठन फ़्रेम्वर्क कन्वेन्शन ऑन टुबैको कंट्रोल कहते हैं।
डॉ तारा सिंह बाम ने बताया कि 2012 से, अनेक देशों ने प्लेन पैकिजिंग नीति को लागू किया है जिनमें ऑस्ट्रेल्या, फ़्रान्स, इंगलैंड, न्यू जीलैंड, नॉर्वे, आयरलैंड, थाइलैंड, उरुगुआय, साउदी अरेबिया, स्लोवेनिया, टर्की, इसराइल, कनाडा, सिंगापुर, बेल्जियम, नीदरलैंडस, हंगरी आदि प्रमुख हैं। अब इस सूची में म्यांमार भी प्रमुखता से आ गया है।
सीएनएस की संस्थापिका-निदेशिका शोभा शुक्ला ने कहा कि तम्बाकू उत्पाद की पैकिजिंग को तम्बाकू उद्योग ने बड़ी धूर्तता के साथ इस्तेमाल किया है जिससे कि वह बच्चे और युवा को बहकाने और झुठलाने में कामयाब हो सके और अपना ज़हर का व्यापार बढ़ा सके! आख़िर तम्बाकू उद्योग के बनाए उत्पाद के कारण हर साल दुनिया में 80 लाख से अधिक लोग मृत होते हैं पर तम्बाकू सेवन उस अनुपात में कम नहीं हो रहा है - साफ़ ज़ाहिर है कि तम्बाकू उद्योग व्यापार बढ़ाने के लिए नए ग्राहक (अधिकांश बच्चे और युवा) को नशे की लत लगवा रहा है। आँकड़ो के अनुसार अधिकांश तम्बाकू सेवन 18 साल से कम उम्र में ही शुरू होता है।
डॉ तारा सिंह बाम ने कहा कि तम्बाकू उद्योग पैकिजिंग को इतना चमकीला और आकर्षक बनाता है जिससे उसके भ्रामक झूठ तो लोगों को सरलता से दिखें पर स्वास्थ्य चेतावनी आदि फीकी पड़ जाए। पैकिजिंग इस तरह से तम्बाकू उद्योग करता है कि स्वास्थ्य चेतावनी पर लोगों का ध्यान न जाए और उद्योग की बात ही ज़ोरदार दिखे। वह पैकिजिंग पर अन्य भ्रामक शब्द का उपयोग भी करता है जैसे कि ‘माइल्ड’, ‘लो’, ‘लाइट’ आदि जिससे कि ग्राहक को भ्रम हो कि कुछ उत्पाद अन्य उत्पाद से ज़्यादा हानिकारक हैं जबकि सत्य यह है कि हर तम्बाकू उत्पाद घातक है और जानलेवा रोगों का जनक।
डॉ तारा सिंह बाम ने बताया कि तम्बाकू उत्पाद की प्लेन पैकिजिंग से स्वास्थ्य चेतावनी और संदेश प्रमुखता से नज़र आएँगे और असरकारी रहेंगे। सभी देशों को प्लेन पैकिजिंग नीति अपनाने में देरी नहीं करनी चाहिए जिससे कि तम्बाकू जनित रोगों और मृत्यु दर दोनों में बिना विलम्ब गिरावट आ सके।
म्यांमार में हर साल 65,000 लोग तम्बाकू के कारण मृत होते हैं। म्यांमार में 26.1% लोग धूम्रपान करते हैं (43.8% पुरुष और 8.4% महिलाएँ)। धुआँ-रहित तम्बाकू उत्पाद का सेवन और भी अधिक है: 43.2% लोग धुआँ-रहित तम्बाकू का सेवन करते हैं (62.2% पुरुष और 24.1% महिलाएँ)। युवाओं में धूम्रपान 11% है (21% लड़के और 2% लड़कियाँ) और धुआँ-रहित तम्बाकू का सेवन 6% है (11% लड़के और 2% लड़कियाँ)।
तम्बाकू से हर साल वैश्विक अर्थ-व्यवस्था को अमरीकी डालर 1.4 ट्रिल्यन का नुक़सान होता है, पर्यावरण का नाश होता है और जन-स्वास्थ्य पर अनेक महामारी-स्वरूप जानलेवा रोग, तम्बाकू सेवन के कारण पनपते हैं। यदि सरकारों को सतत विकास लक्ष्य पर खरे उतरना है तो सबसे सरल स्वास्थ्य-हितैषी, अर्थ-व्यवस्था हितैषी, और विकास-हितैषी कदम होगा तम्बाकू उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करना, और उद्योग को आर्थिक और क़ानूनन रूप से जवाबदेह ठहराना। कोविड का ख़तरा भी तम्बाकू-जनित रोगों के कारण बढ़ता है और गम्भीर परिणाम होने की सम्भावना भी अत्याधिक बढ़ जाती है। आशा है कि नवंबर 2021 में आगामी अंतर्राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण संधि की बैठक में सभी सरकारें ठोस तम्बाकू नियंत्रण नीतियों को पारित करेंगी।
19 ऑक्टूबर 2021
गुरूज्योति पत्रिका, रानीवाड़ा, जलौर, राजस्थान (२० अक्टूबर २०२१) |
दैनिक ग्रूप ५ समाचार, लखनऊ, उप्र (सम्पादकीय पृष्ठ, २१ अक्तूबर २०२१)
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