मतदान अधिकारी ने कहा: फार्म १७-ए जैसा कोई नियम है ही नहीं

इंदिरा नगर निवासी श्री सुधाकर रेड्डी जब मतदान करने "रानी लक्ष्मी बाई स्कूल सी-ब्लाक, इंदिरा नगर" गए तो उन्होंने फार्म १७-ए की मांग की जिससे कि वें अपना मत सभी उम्मीदवारों को ख़ारिज करने के लिए दे सकें. परन्तु वहाँ उपस्थित अधिकारीयों ने, जिनमें श्री अनिल शामिल थे, फार्म १७-ए के बारे में 'अज्ञानता' जताई और कहा कि "ऐसा कोई नियम है ही नहीं". सुधाकर जी के निरंतर आग्रह करने पर वहाँ टास्क फ़ोर्स के सुरक्षा कर्मी आ गए और उनसे बाहर आ कर शिकायत आदि दर्ज करने के लिए कहा गया. अधिकारीयों ने कहा कि 'ए.डी.एम्' साहब जब आयेंगे तब आप अपनी शिकायत दर्ज करें.' अंतत: सुधाकर भाई को भी मजबूरन मतदान करना पड़ा क्योंकि वो अपना वोट व्यर्थ नहीं जाने देना चाहते थे और किसी भी उम्मीदवार से संतुष्ट भी नहीं थे. 

सुधाकर भाई का कहना है कि चुनाव आयोग द्वारा आयोजित दो-दिवसीय प्रशिक्षण में फार्म १७-ए क्यों नहीं शामिल किया गया है? चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त अधिकारियों और प्रशिक्षित लोगों को फार्म १७-ए के बारे में क्यों नहीं जानकारी है?

बड़ा मुद्दा यह है कि लोकतंत्र में जब मतदान गोपनीयता के साथ होता है तब 'सभी उम्मीदवारों को ख़ारिज करने का मतदान' गोपनीय क्यों नहीं है? फार्म १७-ए के उपयोग करने के लिए हमको मतदान केंद्र पर तमाशा खड़ा क्यों करना पड़ता है?

हमारा मानना है कि यदि फार्म १७-ए की संख्या जीतने वाले प्रत्याशी से अधिक हो तो चुनाव ख़ारिज कर देना चाहिए और पुन: चुनाव में इन सभी ख़ारिज उम्मीदवारों पर, पुन: चुनाव में उम्मीदवार होने पर पाबंद लगना चाहिए.

सी.एन.एस.