उन्नाव चुनाव प्रेक्षक को ही फार्म १७-ए सम्बंधित सही जानकारी नहीं

उन्नाव चुनाव प्रेक्षक को ही फार्म १७-ए सम्बंधित सही जानकारी नहीं थी. जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता और सच्ची मुच्ची के संपादक श्री नागेश त्रिपाठी जब उन्नाव में अपना मतदान करने पहुंचे और फार्म १७-ए के इस्तेमाल की बात की तो वहाँ उपस्थित मतदान केंद्र अधिकारीयों को पर्याप्त जानकारी नहीं थी. जब नागेश जी ने उन्नाव चुनाव प्रेक्षक से शिकायत की तो उन्होंने कहा कि: "फार्म १७-ए मंगवा रहे हैं".

सुबह से शाम होने को आई और फार्म १७-ए आने का नाम ही नहीं ले रहा था. अंतत: उन्नाव चुनाव प्रेक्षक ने कहा कि "जिस रजिस्टर में सभी मतदाता हस्ताक्षर कर रहे हैं या अंगूठे का निशाँ लगा रहे हैं उसी में आप टिपण्णी दर्ज करें कि "I reject all candidates". 

सवाल यह उठता है कि उन्नाव के चुनाव प्रेक्षक जो सुबह से 'फार्म १७-ए' मंगवा रहे थे उनको सही जानकारी क्यों नहीं थी? 

सरकार जैसे कि मतदान करने के प्रचार करती है उसी तरह सरकार फार्म १७-ए के उपयोग करके सभी उम्मीदवारों को ख़ारिज करने का वोट डालने के विकल्प का प्रचार क्यों नहीं करती है?

फार्म १७-ए के उपयोग को इतना जटिल और सार्वजनिक क्यों बनाया गया है? जैसे कि एक मतदाता अपने अधिकार का उपयोग गोपनीयता के साथ करता है उसी तरह फार्म १७-ए का उपयोग गोपनीय क्यों नहीं रखा गया है? फार्म १७-ए के उपयोग के लिए इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन में एक बटन क्यों नहीं है? 

फार्म १७-ए के जरिये जो मतदाता सभी उम्मीदवारों को ख़ारिज करते हैं यदि उनकी संख्या ५० प्रतिशत हो तो पुन: चुनाव होने चाहिए और इन ख़ारिज उम्मीदवारों को इस चुनाव से बे-दखल करना चाहिए.

अधिक जानकारी के लिए नागेश त्रिपाठी जी से संपर्क करें: ९४५२११२००४

सी.एन.एस.