गोया में गैर-कानूनी तम्बाकू के विज्ञापन हटाये गए

गोया में गैर-कानूनी तम्बाकू के विज्ञापन हटाये गए

म्बाकू कंपनी के ऊपर कानूनी करवायी होगी

गोया में जिन तम्बाकू के विज्ञापनों से भारतीय तम्बाकू नियांतरण अधिनियम का उलंघन हो रहा था, वो १६ जनवरी २००८ की शाम तक हटा दिए गए हैं.

गोया में कार्यरत सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एवं मीडिया ने फोटो के साथ इस उलंघन का पर्दाफर्ष कर दीया था. “The Cigarette and other tobacco products Act” या सिगारेत्ते एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम एवं विज्ञापन से संबंधित रुलिंग्स का उलंघन हो रहा था.

जाहिर है कि दबाव के कारन तम्बाकू के एन विज्ञापनों को हटाया गया है.

“में बेहद खुश ह कि ये तम्बाकू के विज्ञापन हटा दिए गए हैं. परन्तु हम लोग तम्बकोऊ कंपनी गोद्फ्रे फिल्लिप्स को, देअलेर्स को, कोर्ट ले के जायेंगे, और उचित कानूनी करवाई करेंगे” कहा डॉ शेखर सलकर ने, जो NOTE India (नेशनल ओर्गानिज़शन फॉर तोबक्को एरादिकाशन) या तम्बाकू उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय संगठन के महा-सचिव हैं. “सभी कार्यकर्ताओं को सतर्क रहना चाहिऐ और यदि कही पर भी भारतीय कानून का उलंघन हो, तो जन-हित में तुरंत उचित करवाई करनी चाहिऐ, खासकर कि उन उद्योगपतियों के खिलाफ जो गैर-जिम्मेदार हैं”.

भारत में सिगारेत्ते एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम २००३ की रूलिंग जो तम्बाकू के विज्ञापन पर रोक लगाती है, १ जनवरी २००६ से लागू हो चुके है. इसके अनुसार यदि कोई उलंघन हो, तो भारत सरकार को एवं प्रदेश सरकार को बिना विलम्ब और सख्त करवायी करनी चाहिऐ.

एन रूल्स के अनुसार, तम्बाकू के हर उत्पादनों पर पूरे भारत वर्ष में रोक लग चुकी है. सिर्फ एक जगह तम्बाकू का सिग्न-बोर्ड लग सकता है, और वह है जहाँ तम्बाकू का विक्रय होता है, और उसका भी साइज़ निर्धारित कर दीया गया है और ये भी स्पष्ट किया गया है कि सिग्न-बोर्ड पर क्या लिखा जा सख्त है.

तम्बाकू की दुकान पर सिग्न-बोर्ड का साइज़ तय है, और उस पर चेतावनी के स्साथ सिर्फ ये लिखा जा सकता है कि किस प्रकार की तम्बाकू दुकान में बिकती है. इस सिग्न-बोर्ड पर न तो कोई भी तम्बाकू का ब्रांड-नेम, या कोई भी स्लोगन आदि जैसा संदेश या कोई अन्य तस्वीर लगाने की अनुमति नही है.

परन्तु गोया में फिलिप मौरिस के विज्ञापन इस रूलिंग का खुला उलंघन कर रहे थे.

“य हमारे कानून का खुला उलंघन है” कहा था वरिष्ट तम्बाकू नियांतरण कार्यकर्ता और नोट इंडिया (तम्बाकू उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय संगठन) के महा-सचिव डॉ शेखर सलकर का.

“भारतीय तम्बाकू नियांतरण अधिनियम के अनुसार तम्बाकू के विक्रय स्थान पर सिग्न-बोर्ड पर कोई भी तस्वीर लगाने की अनुमति नही है, परन्तु पणजी गोया में मुनिसिपल गार्डन के सामने होटल लुच्क्य के पास जो तम्बाकू के विज्ञापन लगे हैं उनपर तस्वीर भी है. ऐसा ही उलंघन हो रहा है उन विज्ञापनों से जो दव तालौलिकार हॉस्पिटल, खलाप मेंसिओं, वास्को, गोया में लगे हैं. इस कानून के मुताबिक तम्बाकू की दुकान पर सिर्फ ये लिखा जा सकता है कि यह सिगारेत्ते बिकती है” रिपोर्ट की थी डॉ सलकर ने.

“विश्व-व्यापी तम्बाकू नियांतरण त्रेअटी को लागू करने में सबसे बड़ी चुनौती दे रही हैं बड़ी तम्बाकू कम्पनियाँ जो जन-स्वास्थ्य नीतियों में हस्त-छेप करती हैं. फिलिप मौरिस या अल्त्रिया, ब्रिटिश अमेरिकन तोबक्को (BAT) और जापान तोबक्को (JT) तम्बाकू नियांतरण प्रयासों को कम्जूर, स्थगित और नकार करने में अपना राजनितिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं” ऐसा कहना है कार्पोरेट अच्कोउन्ताबिलिटी इंटरनेशनल (विश्व में उद्योगों को जवाबदेह ठहराने लिए संगठन) के कथ्य मुल्वेय का.

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सिगारेत्ते एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम २००३ की इस रूलिंग क इक भाग का हिन्दी अनुवाद इस प्रकार है (त्रुटियों के लिए छमा):

१) पुराने तम्बाकू उत्पादनों के सारे विज्ञापन बोर्ड जो तम्बाकू की दुकान पर लगे हैं, उनको हटना होगा

२) तम्बाकू के विक्रिये स्थान पर जो विज्ञापन बोर्ड लगाने की अनुमति है, उसका साइज़ आकार निर्धारित है जो इस प्रकार है: बोर्ड ६० सेंटीमीटर क्ष ४५ सेंटीमीटर से बड़ा नही होना चाहिऐ. हर बोर्ड पर उपयुक्त चेतावनी होनी चाहिऐ, जो बोर्ड के उपरी भाग में लिखी गयी हो, और २० सेंटीमीटर क्ष १५ सेंटीमीटर साइज़ में हो. इस बोर्ड पर सिर्फ ये लिखा होना चाहिऐ कि किस प्रकार की तम्बाकू का विक्रय होता है और कोई भी ब्रांड नेम का लिखना, तस्वीर लगना या अन्य कोई भी संदेश लिखना वर्जित है.

३) तम्बाकू के विक्रय स्थल पर कोई भी तम्बाकू उत्पाद प्रदर्शित नही होना चाहिऐ.

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वर्त्तमान कानून के मुताबिक भारत सरकार को एवं प्रदेश सरकार को ‘बिना विलम्ब और सख्त’ करवाई करनी चाहिऐ.

ये तो समय ही बताएगा कि भारत सरकार जन-स्वास्थ्य को प्राथमिकता देती है या तम्बाकू कंपनियों के मुनाफे की राजनीती को?