श्रीनगर में मानसिक स्वास्थ्य शिविर का उदघाटन

श्रीनगर में मानसिक स्वास्थ्य शिविर का उदघाटन


मानसिक
स्वास्थ्य हमारी सेहत के लिए बहुत ही आवश्यक है। पिछले सप्ताह, जम्मू ओर कश्मीर राज्य के 'स्वास्थ्य एवम् चिकित्सा शिक्षा' मंत्री ने श्रीनगर के जवाहर नगर के म्युनिसिपल पार्क में 'मानसिक स्वास्थ्य शिविर' का उदघाटन किया। इस शिविर का आयोजन एम.एस.एफ. ( जिसे डाक्टर्स विदाउट बोर्डर्स के नाम से भी जाना जाता है) नामक संस्था के तत्वाधान में, जे.& के. सरकार के स्वास्थ्य निदेशालय के सहयोग से किया गया।

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष्य में, जम्मू और कश्मीर में ५ से १० अक्टूबर तक मानसिक स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इस शिविर के अलावा, जवाहर नगर में, चित्रकला एवम् कविता प्रदर्शिनी, एम.एस.एफ. के बहु चर्चित रेडियो प्रोग्राम ‘अलाव बाया अलाव’ पर आधारित नाटक, तथा एम.एस.एफ. की कश्मीरी ओर अंग्रेजी भाषा की वीडियो फिल्मों को दिखाने का भी आयोजन किया गया है।

कश्मीर यूनिवर्सिटी, तथा कुप वारा और श्रीनगर के स्कूली बच्चों ने एक चित्रकला एवम् काव्य लेखन प्रतियोगिता में भाग लिया था, जिसका विषय था ‘जीवन की चुनौतियों का सामना करना’। सभी प्रतिभागियों की कृतियों का प्रदर्शन इस मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह में किया जाएगा तथा १० अक्टूबर को पारितोषिक वितरण समारोह संपन होगा।

एम.एस.एफ. २००२ से कश्मीर के लोगों को जो स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान कर रहा है, मानसिक स्वास्थ्य उसका एक अभिन्न अंग है। स्वास्थ्य सेवाओं में, मानसिक एवम् शारीरिक, दोनों ही प्रकार के स्वास्थ्य पर ध्यान देना अत्यन्त आवश्यक है। मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं के साथ मानसिक स्वास्थ्य सेवा को जोड़ने से ही इसका लाभ उन लोगों तक पहुँच सकता है, जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है। हमारे समाज में, मानसिक स्वास्थ्य के साथ अनेक बहुआयामी भ्रांतियाँ एवम् भेद भाव जुड़े हैं, जिनके चलते यह सेवा ज़रूरतमंदों को नहीं मिल पाती है।

एम.एस.एफ. की प्रोजेक्ट संयोजिका, साशा मैथ्यूस के अनुसार, ‘ पिछले सात सालों से कश्मीर में काम करते हुए हमने यह महसूस किया है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ, आम आदमी को उपलब्ध होनी चाहिए। इसीलिए हमारी संस्था, कुप वारा में इस प्रकार की एकीकृत स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराती है जिनमें मानसिक स्वास्थ्य को उसका एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है।’

साशा का यह भी कहना है कि, ‘ अब लोग यह समझने लगे हैं कि जीवन की कठिन एवम् तनावपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ होना अति आवश्यक है। इसलिए हम अपने परामर्श सत्रों में लोगों को ऎसी विकट परिस्थितियों से निपटने के तरीके बताते हैं, जैसे अपने परिवार और मित्रों के साथ समय बिताना, आदि। 'मानसिक स्वास्थ्य' शब्द ही हमारे समाज में एक कलंक माना जाता है। इसका अर्थ प्राय: पागलपन ही लिया जाता है। पर धीरे धीरे ,ये दुराग्रह कम हो रहे हैं।
पिछले वर्ष, कश्मीर में जो राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम आरम्भ किया गया है, उसका हमने खुले दिल से स्वागत किया है, क्योंकि यह, प्रचलित भ्रांतियों को तोड़ने की दिशा में, पहला सरकारी कदम है। दुर्भाग्यवश, इस योजना का कोई परामर्श घटक नहीं है, जैसा की हम अपने कार्यक्रमों में करते हैं। परन्तु हम आशा करते हैं कि भविष्य में इस कार्यक्रम के अर्न्तगत लोगों को उचित परामर्श भी दिया जाएगा, ताकि जनता अपने स्वास्थ्य के सर्वांगीण विकास का लाभ उठा सके। मानसिक स्वास्थ्य के बिना हम स्वस्थ नहीं हो सकते.’