जल ही जीवन है। परन्तु सबके लिये। इसमें अमीर गरीब का भेदभाव बर्दाशत नहीं किया जा सकता।
शहरी उपभोगतावादी संस्कृति में यह आम बात है कि कहीं 'वाटर पार्क' में मस्ती चल रही है लोगों कारों को भी पानी की मोटी धार से धो रहे हैं। और कहीं लोग नगरमहापालिका के टैंकरों पर पानी के डिब्बे लिये लाइन लगाकार खड़े हैं। यह व्यक्ति के गरिमापूर्ण रूप से जीवन जीने के अधिकार पर कुठाराघात है जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा भारत भूमि के सभी निवासियों को प्राप्त है।
'रिवर्स ऑस्मोसिस' जैसी जल को साफ करने वाली तकनीक के कारण यदि दूषित पानी को बहने दिया जाए, जो अधिकतर घरों और कार्यालयों में होता है, तो यह जल की निर्ममतापूर्ण बर्बादी ही कही जाएगी. दस्तावेजों का कहना है कि आर.ओ. तकनीक से शुद्ध साफ़ पानी तो निकलता ही है पर जो पानी व्यर्थ कचरे की तरह निकल रहा है, उसकी गुणात्मकता नलके के पानी जितनी ही है, और उसको दैनिक जीवन में जल-पूर्ती के लिए इस्तेमाल करना चाहिए. क्या यह व्यावहारिक है और क्या ऐसा अधिकतर घरों और कार्यालयों में जहां आर.ओ. तकनीक से पानी साफ़ किया जा रहा है, वहाँ पर हो पा रहा है? मेरे निजी अनुभव के अनुसार, इस तकनीक से 1 लीटर पानी साफ करने में लगभग 4 लीटर पानी बर्बाद होता है।
अब इस उपकरण को बेचने वाली कंपनियाँ कहेंगी कि यह पानी तो इस उत्पाद को उपयोग करने वाले बहा रहे है। क्या आज की व्यस्त शहरी जिन्दगी में व्यक्ति के लिये यह संभव है कि वो एक लीटर पानी के लिये 4 लीटर पानी बाल्टी में भरे और उसका सदुपयोग करे। ऐसा करना वास्तविक जिन्दगी में तो असंभव सा ही है असलियत में होता यह है कि (आर. ओ) रिवर्स औसमोसिस उत्पाद का पानी निष्कासन करने वाला पाइप रसोईघर के सिंक में डाल दिया जाता है और पानी बहता रहता है। यह आर. ओ उत्पाद विभिन्न कम्पनियों के कार्यालय में भी लग रहा है जहां तो इस बहते हुए पानी का सददुपोग करना और भी मुश्किल है। मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि क्या सामाजिक अपराधी बनकर अति शुद्ध जल पीने को तैयार है? और अगर नहीं तो क्या ऐसा कोई भी जल शुद्धीकरण का उत्पाद न लें जो पर्यावरण मित्र न हो। हम लखनऊ के प्रशासन, लखनऊ के महापौर (मेयर) तथा हेमामालिनी जी को भी इस प्रकार का ज्ञापन देगें।
हमारी माँगे है:-
1. वे उपकरण भी जिन्हें गुणवत्ता मानक आई.एस. ओ.९001 प्राप्त है,पर्यावरण वचनबद्धता संबंधी 14001 प्रमाणन, जल उपयोग से संबन्धित सभी उपकरणों को प्राप्त करना अनिवार्य हो।
२. यू . पी. ग्राउंड वाटर कांसेर्वेशेन्न प्रोटेक्शन एंड डेवेलोपमेंट(मैनेजमेंट कण्ट्रोल एंड रेगुलेशन ) बिल २०१० में सबमर्सिबिल पप्स जैसे घरेलू उपकरणों को निगरानी में रखा गया है, जल शुद्धिकरण से संबंन्धित सभी उपकरणों को निगरानी में रखा जाए।
३.ऐसे उत्पादों के ब्रोशर्स,पैंप्लेटस पर उनकी अच्छाइयों के साथ-साथ यह भी लिखा हो कि वह निम्नलिखित कारणों से पर्यावरण मित्र नहीं है। अर्थात उत्पाद की पूरी जानकारी उपभोगता को लिखित रूप में दी जाए।
वसु शेन मिश्रा