टीबी सीरोलोजिकल टेस्ट पर लगे प्रतिबंध को सरकार सख्ती से लागू करे

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, द मूवमेंट ऑफ इंडिया, स्टॉप-टीबी इफोरम, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस और आशा परिवार ने संयुक्त रूप से मांग की है कि टीबी सीरोलोजिकल टेस्ट (ब्लड या एनटीबाडी टेस्ट) पर भारत सरकार द्वारा लगाए हुए प्रतिबंध को सख्ती से लागू कराया जाये। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पुरुस्कृत और सीएनएस स्टॉप-टीबी इफोरम के निदेशक बाबी रमाकांत ने बताया कि भारत सरकार ने 7 जून 2012 के बाद से टीबी सीरोलोजिकल टेस्ट के इस्तेमाल, बिक्री, आयात, या निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया है क्योंकि यह टेस्ट टीबी परीक्षण के लिए उपयोगी नहीं हैं और रोगी का पैसा बेफजूल ही खर्च होता है। 


भारत के संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम ने कभी भी इन टीबी सीरोलोजिकल टेस्ट को समर्थन नहीं दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी जुलाई 2011 को इन टीबी सीरोलोजिकल टेस्ट के उपयोग के विरोध में भूमिका ली। इसके बावजूद भी भारत में ही 8 से अधिक निर्माता और विश्व में 73 निर्माता इन टीबी सीरोलोजिकल टेस्ट के विक्रय से न केवल टीबी नियंत्रण को कमजोर करते आ रहे हैं, बल्कि टीबी से जूझ रहे लोगों का बिना-मतलब और बेफुजूल पैसा बर्बाद कर रहे हैं।

लोरेटों कान्वेंट की पूर्व वरिष्ठ शिक्षिका और सीएनएस संपादिका शोभा शुक्ला ने कहा कि एक शोध के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष 15 लाख से अधिक टीबी सीरोलोजिकल टेस्ट होते हैं जिसकी वजह से टीबी रोगियों को बिना मतलब 75 करोड़ रुपया बर्बाद करना पड़ता है क्योंकि यह टेस्ट तो टीबी परीक्षण में उपयोगी है ही नहीं।

शोभा शुक्ला ने सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आवेदन पत्र लिख कर केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से यह पूछा है कि टीबी सीरोलोजिकल टेस्ट पर लगे प्रतिबंध को कैसे लागू किया जाएगा? जो निर्माता टीबी सीरोलोजिकल टेस्ट बना रहे हैं उनके खिलाफ क्या कारवाई की जाएगी? टीबी सीरोलोजिकल टेस्ट के आयात को कैसे रोका जाएगा? जो निजी चिकित्सक या पैथोलाजी टीबी सीरोलोजिकल टेस्ट कर रही है उनके खिलाफ क्या कारवाई की जाएगी? आदि।

हमारा मानना है कि सरकारी गजेट नोटिफ़िकेशन जिसके जरिये टीबी सीरोलोजिकल टेस्ट पर प्रतिबंध लगा है, उसको सरकार को सख्ती से लागू करना चाहिए जिससे कि टीबी नियंत्रण कार्यक्रम अधिक सफल हो सके, टीबी दवाओं के प्रति दवा-प्रतिरोधकता कम हो सके, बिना मतलब लोग टीबी दवा न लें और टीबी रोगियों का पैसा व्यर्थ न जाये। 

सीएनएस