डॉक्टरों ने मरीज को रिश्वत वापस की, माफ़ी माँगी

डॉक्टरों ने मरीज को रिश्वत वापस की, माफ़ी माँगी
मनीष कुमार
आशा स्वास्थ्य सेवा

मैं जरूरतमंद लोगों की सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने में हर सम्भव मदद करता आया हूँ। इस लेख के जरिये में ऐसी घटना आप सब पाठकों से बाटना चाहता हूँ जहाँ डॉक्टरों ने ली हुई रिश्वत मरीज को न केवल वापस की बल्कि माफ़ी भी माँगी।

यह एक आम बात है कि सरकारी अस्पतालों में मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने के लिए घूस मांगी जाती है, खास कर कि ऐसे सर्टिफिकेट जो पुलिस स्टेशन में कितनी चोट लगी है इसके लिए अफ.ई.आर लिखाने के लिए जरुरी हैं, घूस माँगना एक आम बात हो गई है। यहाँ तक कि यदि घूस पर्याप्त दी जाए तो सर्टिफिकेट में अधिक गंभीर चोट दिखा के कोर्ट में केस को अधिक मजबूत किया जा सकता है।

इसके विपरीत यदि घूस नही दी गई हो तो सर्टिफिकेट में चोट की गंभीरता को कम दिखाते हुए कोर्ट में केस को कमजोर भी किया जा सकता है। कोर्ट के केस की बात दूर है, घूस न मिलने पर इतना कमजोर सर्टिफिकेट बनाया जाता है कि एफ.ई.आर तक नही लिखी जायेगी।

२५ अप्रैल २००८ को राम नरेश नामक व्यक्ति जो श्री जगन्नाथ का पुत्र है और गावं अमृत खेदा, पुलिस स्टेशन माल, तहसील मलिहाबाद, जिला लखनऊ का रहने वाला है, उसकी उसी गावँ के निवासी से मुत्भेड हो गई जिसमें उसे गंभीर रूप से चोट आई। चोट आने के बाद लखनऊ स्थित बलरामपुर अस्पताल में उसको भरती कराया गया।

राम नरेश से तुरंत रुपया ३०० जमा करने को बोला गया। जब उसने घटना का विवरण किया तब उससे रुपया ५०० अधिक मांगे गए जिससे उपरान्त उसको वाजिब मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किया जा सके। राम नरेश ने रुपया १०० ज़ख्म पर टांके लगाने के लिए और रुपया २० दवाओं के लिए दे दिए, जबकि उसको दवाएँ नि:शुल्क मिलनी चाहिए थी क्योकि वो गरीब है और सरकारी अस्पतालों में गरीब लोगों को नि:शुक्ल दवाएँ मिलती हैं। यह एक शरम की बात है कि एक गरीब व्यक्ति से अस्पताल के कर्मचारी वाजिब और सही काम करने के लिए भी पैसे माँगे।

राम नरेश ने अस्पताल के अधिकारियों के कार्यालय में इसकी शिकायत दर्ज कर दी। यह शिकायत दर्ज करने के उपरान्त इस अस्पताल का एक वार्ड बॉय राम नरेश के पास आया और बोला कि 'चौरसिया' नाम के व्यक्ति से जो 'इमर्जेंसी' वार्ड में कार्यरत है, अपना पैसा वापस ले ले। इसके उपरान्त राम नरेश को उसका पैसा वापस कर दिया गया जो उसने अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मियों को रिश्वत में दिया था। अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मियों ने इस घटना के लिए राम नरेश और अन्य लोगों से माफ़ी भी माँगी।

स्वास्थ्यसेवा के निजीकरण से और सरकारी स्वास्थ्यसेवा में भी रिश्वत और कानूनन रूप से जायज़ सेवा शुल्क के कारण हमारे समुदाय का एक बहुत विशाल हिस्सा अब स्वास्थ्यसेवा का लाभ उठाने से वंचित रह गया गया है। उम्मीद है कि आने वाले समय में, हर व्यक्ति को पर्याप्त स्वास्थ्यसेवा उपलब्ध होगी।

मनीष कुमार
आशा स्वास्थ्य सेवा