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कैंडी स्वाद के जानलेवा फंदे में फँसती युवा पीढ़ी

[English] विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस का मानना है कि "इतिहास खुद को दोहरा रहा है, क्योंकि तम्बाकू उद्योग हमारे बच्चों को एक ही निकोटीन को अलग-अलग पैकेजिंग में बेचने की कोशिश कर रहा है। ये उद्योग सक्रिय रूप से स्कूलों, बच्चों और युवाओं को नए उत्पादों के साथ लक्षित कर रहे हैं जो अनिवार्य रूप से कैंडी-स्वाद वाले जाल हैं। जब वे बच्चों को इन खतरनाक, अत्यधिक नशे की लत वाले उत्पादों का विपणन कर रहे हैं, तो वे नुकसान कम करने की बात कैसे कर सकते हैं?” तम्बाकू किसी भी रूप में हो, घातक है।

तम्बाकू उद्योग को ज़िम्मेदार ठहरा कर हरजाना वसूलने का निर्णय ले सकती हैं सरकारें

पेरू में हो रही वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि की अंतर-देशीय बैठक में, तम्बाकू उद्योग को मानव जीवन, मानव स्वास्थ्य, और पर्यावरण को क्षति पहुँचाने के लिए ज़िम्मेदार ठहराने और हरजाना वसूलने का महत्वपूर्ण मुद्दा केंद्र में है। हर साल, तम्बाकू के कारण 80 लाख से अधिक लोग मृत और लाखों लोग जानलेवा बीमारियों से ग्रसित होते हैं। हृदय रोग, कैंसर, दीर्घकालिक श्वास संबंधी रोग, मधुमेह, टीबी, आदि अनेक ऐसे रोग हैं जिनका ख़तरा तम्बाकू सेवन के कारण अत्यधिक बढ़ता है। तम्बाकू उद्योग द्वारा पर्यावरण को क्षति पहुँचाने के लिए भी ज़िम्मेदार ठहराने की माँग, विश्व स्वास्थ्य संगठन और अनेक देश की सरकारें कर रही हैं।

तम्बाकू उद्योग की कोविड वैक्सीन को क्या सरकारें अस्वीकार करेंगी?

दुनिया की सबसे बड़े तम्बाकू उद्योग ने कोविड वैक्सीन बनायी है। क्या सरकारों को जनता के पैसे से, तम्बाकू उद्योग की वैक्सीन ख़रीदनी चाहिए या इस उद्योग को हर साल तम्बाकू से होने वाली 90 लाख लोगों की मौत और करोड़ों लोग जो हृदय रोग, कैन्सर, मधुमेह, पक्षाघात से झेलते हैं, उसके लिए ज़िम्मेदार और जवाबदेह ठहराना चाहिए? कनाडा-स्थित मेडीकागो कम्पनी, जिसमें विश्व की सबसे बड़ी तम्बाकू कम्पनी फ़िलिप मोरिस इंटरनैशनल (पीएमआई) का आंशिक रूप से स्वामित्व है, ने कोविड वैक्सीन बनायी है। 

महामारी से बचने के लिए वैश्विक संधि को मुनाफ़ाख़ोरों से कैसे बचाएँ?

संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च स्वास्थ्य संस्था (विश्व स्वास्थ्य संगठन) महामारी आपदा प्रबंधन और महामारी से बचाव के लिए वैश्विक संधि बनाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है। जन सुनवाई हो रही हैं और सरकारों द्वारा आधिकारिक संवाद आगे बढ़ रहा है। पर आरम्भ से ही यह प्रक्रिया संदेह उत्पन्न कर रही है क्योंकि सबको आधिकारिक रूप से अपनी बात कहने का अवसर नहीं मिल रहा है। २०० से अधिक संस्थाओं, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और कानूनविद ने सरकारों से अपील की है कि प्रभावकारी संधि बनाने के लिए यह ज़रूरी है कि सभी को अपनी बात कहने का मौक़ा मिले और जिन लोगों ने महामारी के दौरान भी मुनाफ़ाख़ोरी की है उनको संधि प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करने दिया जाए।

तम्बाकू उत्पाद पर चित्रमय चेतावनी से कम होता है तम्बाकू सेवन

[English] सिर्फ़ दो तरह से तम्बाकू सेवन कम हो सकता है: नए बच्चे-युवा तम्बाकू सेवन शुरू न करें, और जो लोग तम्बाकू व्यसनी हैं वह नशा-मुक्त हों। तम्बाकू उत्पाद के पैकेट पर प्रभावकारी चित्रमय चेतावनी से, यह दोनों लक्ष्य पूरे करने में मदद होती है इसीलिए यह जन स्वास्थ्य की दृष्टि से प्रभावकारी नीति है परंतु तम्बाकू उद्योग को नहीं 'पसंद' क्योंकि उसके मुनाफ़े की क्षति होती है। यह कहना है डॉ तारा सिंह बाम का जो सुप्रसिद्ध तम्बाकू नियंत्रण विशेषज्ञ हैं और इंटरनैशनल यूनियन अगेन्स्ट टुबर्क्युलोसिस एंड लंग डिज़ीज़ (द यूनियन) के एशिया पैसिफ़िक निदेशक हैं।

तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप से मुक्त होने का घोषणापत्र क्यों है सरकारों के लिए ज़रूरी


वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि की बैठकों में सरकारों ने गत वर्षों में मजबूरन निर्णय लिया कि चूँकि तम्बाकू उद्योग इन बैठकों में जन स्वास्थ्य नीति में निरंतर हस्तक्षेप करता रहा है और जन हितैषी नीतियों को बनने में एक बड़ा अड़ंगा है, इसलिए जन स्वास्थ्य नीति में उद्योग के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसीलिए सरकारों ने 2008 में वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया और आर्टिकल 5.3 की मार्गनिर्देशिका पारित की। पर बीबीसी समेत अनेक ऐसे रिपोर्ट ने खुलासा किया कि तम्बाकू उद्योग चूँकि अब सीधे तौर पर बैठक में नहीं हस्तक्षेप कर पा रहा तो अनेक अन्य हथकंडे अपना रहा है जैसे कि सरकारी दल कि सदस्यों को रिश्वत देना आदि। 

म्यांमार में सारे तम्बाकू उत्पाद पर होगी "प्लेन पैकिजिंग"

[English] सिंगापुर और थाइलैंड की तरह अब म्यांमार में भी सशक्त तम्बाकू नियंत्रण नीति लागू होगी। म्यांमार ने हर तम्बाकू उत्पाद पर "प्लेन पैकिजिंग" नीति को लागू करने का निर्णय लिया है। तम्बाकू उत्पाद की पैकिजिंग को उद्योग, बच्चों और युवाओं को भ्रमित और झुठलाने के लिए इस्तेमाल करता था अब वह मजबूरन प्लेन पैकिजिंग नीति के कारणवश, पैकिजिंग से भ्रामक झूठे प्रचार नहीं कर पाएगा और उसको इसी जगह पर, सशक्त तम्बाकू नियंत्रण चित्रमय चेतावनी को निर्देशानुसार प्रकाशित करना होगा। 

तम्बाकू महामारी के अंत के लिए क्यों है ज़रूरी अवैध तम्बाकू व्यापार पर रोक?

[English] तम्बाकू जनित महामारियों से पूर्ण रूप से बचाव मुमकिन है, क्योंकि यह मानव निर्मित आपदा है. हर तम्बाकू जनित रोग से बचाव मुमकिन है और हर तम्बाकू जनित मृत्यु असामयिक है. उद्योग अपने मुनाफे के लिए इस जानलेवा उत्पाद के व्यापार को बढ़ा रही है पर कीमत और जान जा रही है जनता की और सरकारों के सतत विकास के प्रयास भी क्षतिग्रस्त हो रहे हैं. डॉ तारा सिंह बाम जो इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरक्लोसिस एंड लंग डिजीज के एशिया पसिफ़िक निदेशक हैं, ने कहा कि मानव निर्मित तम्बाकू महामारी का पूर्ण रूप से अंत आवश्यक है क्योंकि इससे पूर्णत: बचाव मुमकिन है. जितना राजस्व आता है उससे कई गुणा अधिक नुक्सान होता है - और लाखों लोग तम्बाकू से मृत होते हैं. हर साल विश्व में 80 लाख से अधिक लोग तम्बाकू से मृत होते हैं. तम्बाकू के अवैध व्यापार पर पूर्ण रोक लगाना जरूरी है पर हमें यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि तम्बाकू, अवैध हो या वैध, हर रूप में घातक है.

कोविड-19 महामारी पर विराम लगाने के लिए स्थानीय नेतृत्व ज़रूरी

कोविड-19 महामारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक हर व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा नहीं होगी तब तक कोई भी संक्रमण-मुक्त नहीं हो सकता, भले ही वह सबसे अमीर या बड़े ओहदे पर आसीन व्यक्ति ही क्यों न हो. इस बात में भी कोई संशय नहीं रह गया कि मज़बूत अर्थव्यवस्था के लिए मज़बूत स्वास्थ्य सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है. 11 महीने पहले कोरोना वायरस का पहला संक्रमण वुहान में रिपोर्ट हुआ था। आज विश्व भर में 7.2 करोड़ व्यक्ति इससे संक्रमित हो चुके हैं.

क्या शराब और तम्बाकू से कोरोना वायरस रोकधाम खतरे में पड़ जायेगा?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, तम्बाकू और शराब दोनों से कोरोना वायरस रोग होने पर गंभीर परिणाम होने का खतरा बढ़ता है और मृत्यु तक हो सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, तम्बाकू और शराब दोनों के सेवन की, कोई भी सुरक्षित सीमा नहीं है – यानि कि, हर रूप में और हर मात्रा में, यह हानिकारक हैं. जब देश कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा था और तालाबंदी हो गयी थी, तब शराब कंपनियां सरकार पर यह दबाव बनाने का प्रयास कर रही थीं कि शराब को ‘अति-आवश्यक श्रेणी’ में लाया जाए क्योंकि खाद्य सामग्री की तरह शराब ही अति-आवश्यक है. कोरोना वायरस महामारी में शायद पृथ्वी पर हर इंसान को यह समझ में आ गया है कि भोजन कितना आवश्यक है परन्तु शराब और तम्बाकू, न केवल, गैर ज़रूरी हैं बल्कि कोरोना वायरस रोग का खतरा भी बढ़ाते हैं.

बिक्री-दुकान पर भी नहीं तम्बाकू उत्पाद प्रदर्शित कर सकते: बोगोर की जनता ने जीता कोर्ट केस

जैसे-जैसे दुनिया भर से वैज्ञानिक शोध पर आधारित प्रमाण आते गए कि तम्बाकू सेवन जानलेवा है, सरकारों ने तम्बाकू-उद्योग के तमाम हथकंडों के बावजूद, तम्बाकू नियंत्रण के प्रयास भी किये. उदाहरण के तौर पर, तम्बाकू उत्पाद के विज्ञापन पर प्रतिबन्ध लगने लगा परन्तु तम्बाकू उद्योग ने, बिक्री-दुकान पर, विज्ञापन और उत्पाद-प्रदर्शित करना नहीं छोड़ा. इंडोनेशिया के बोगोर शहर की जनता ने कोर्ट में केस जीता कि तम्बाकू बिक्री-दुकान पर भी तम्बाकू उत्पादन का प्रदर्शन नहीं हो सकता. जनता की यह पहल अत्यंत सराहनीय है, विशेषकर इसलिए कि न सिर्फ इससे तम्बाकू नियंत्रण सशक्त होता है बल्कि अन्य शहर-देश की जनता को भी उम्मीद मिलती है कि तम्बाकू उद्योग को हराना और ज़िन्दगी को जिताना भी संभव है.

आखिर क्यों सरकारें तम्बाकू महामारी पर अंकुश लगाने में हैं विफल?

[English] तम्बाकू के कारण 70 लाख से अधिक लोग हर साल मृत और अमरीकी डालर 1004 अरब का आर्थिक नुक्सान होने के बावजूद भी, सरकारें क्यों इस महामारी पर अंकुश नहीं लगा पा रही हैं? भारत सरकार समेत 193 सरकारों ने 2030 तक सतत विकास लक्ष्य पूरे करने का वादा तो किया है पर विशेषज्ञों के अनुसार, बिना तम्बाकू महामारी पर विराम लगाए सतत विकास मुमकिन नहीं है.

जो उद्योग तम्बाकू महामारी के लिए जिम्मेदार हो, उसकी जन स्वास्थ्य में कैसे भागीदारी?

विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2014 में महानिदेशक डॉ मार्गरेट चैन ने वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि बैठक में सरकारों से कहा था कि "लोमड़ी को मुर्गों की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी न दें".

हिमशिला की नोक? सिर्फ़ स्वास्थ्य ही नहीं, सतत विकास को भी कुंठित करता है तम्बाकू

[English] प्रति वर्ष 70 लाख से अधिक लोग तम्बाकू के कारण मृत्यु को प्राप्त होते हैं. ज़रा ध्यान से सोचें: हर तम्बाकू जनित रोग से बचा जा सकता है और हर तम्बाकू जनित असामयिक मृत्यु को टाला जा सकता है। तम्बाकू उद्योग ने यह जानते हुए भी कि उनका उत्पाद जानलेवा है, न केवल अपने बाज़ार को बढ़ाया बल्कि विश्वभर में पर्वतनुमा तम्बाकू महामारी को भी अंजाम दिया।