24-26 अक्तूबर, 2010, बड़वानी मध्य प्रदेश
आमंत्रण - सभी आमंत्रित हैं!
शांति, न्याय एवं लोकतंत्र की ओर ......
मध्य प्रदेश में नर्मदा घाटी के बडवाणी में आयोजित जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) के आठवें द्विवार्षिक सम्मलेन में आपकों आमंत्रित करते हुए खुशी हों रही है। इस सम्मलेन का मजेबान नर्मदा बचाओं आन्दोलन जो कि एनएपीएम के संस्थापक सगंठनों में से एक है और वह अपनें संघर्ष के २५ वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। सन 1992 से शुरू हुई एनएपीएम की यात्रा ने 1996 में एक आकार लिया और आज एक अहम दारै में प्रवेश कर चुका हैं।
हमारी यात्रा तब शरू हुई जब उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने पैर पसारना शुरू किया, बाबरी मस्जिद ढहानें की आड़ में हिन्दूवादी ताकतों ने सिर उठाना शुरू किया और उस दौर में यह घोषणा कि गई कि कोई विकल्प मौजदू नही है। तब से अब तक हमने एक लम्बी यात्रा पूरी की है और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.), विश्व बैंक, एनरान, बड़े बांध, ग्रामीण एवं शहरी बेदखली व विस्थापन, महिलाओं, आदिवासियों के प्रति अत्याचार और दलित सांप्रदायिकता के खिलाफ कई अन्य आंदोलनों, स्वैच्छिक संगठनों, संघों एवं मंचों, संवेदनशील बुद्धिजीवियों, कलाकारों, छात्रों एवं अन्य के साथ कई महत्वपूर्ण संघर्षों का आयोजन किया है। सन 2003 में हमनें वैकल्पिक दुनिया के आदर्श का वास्तविकता में बदलनें के लिए एक राष्ट्रीय आन्दोलन विकसित करने लोगों के सामूहिक राजनैतिक ताकत के तौर पर मौजूदा गरीब विराधी एवं विकास विरोधी विकास प्रतिमान को बढ़ावा देने वाली राजनैतिक व्यवस्था को बदलने के उद्देश्य से एक देश व्यापी अभियान ‘‘देश बचाओ-देश बनाओ’’ शुरू किया। सन 2007 में कई अन्य समन्वयों मंचों एवं संघों कों समाहित करते हुए संघर्ष की प्रक्रिया शुरू की गई, जो कि एक बहेतर दुनिया हासिल करने की दिशा में एक अन्य कदम था।
एक दशक बाद हम घाटी में मिले, एक बार फिर हम ऐसे समय में मिल रहे हैं, जो कि सबसे अच्छे और सबसे बुरे समयों में से है। नव उदारवाद की जो प्रक्रिया तब शुरू हुई थी उसनें अब अपना असल रंग दिखाना शुरू कर दिया है, सार्वजनिक एवं निजी कार्पोरेशनों ही न सिर्फ संसाधनों कों हडप रहे है, बल्कि बाजार एवं सब सबंधित उपायों से राजनैतिक अवसर एवं सत्ता पर कब्जा कर रहे हैं। राष्ट्रीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय निवेशकों ने समाज, राजनीति एवं अर्थव्यवस्था के हर आयाम का ‘‘निजीकरण’’ कर दिया है। आज बदलाव कल्पना के प्रति एक बहुत बड़ी चुनौती है, क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग एवं ऊर्जा संकट और भी ज्यादा जाहिर हो रहा हैं। राज्य कल्याण एवं परोपकारी का चोला उतारकर मात्र बिचौलिया की भूमिका निभा रहा है, राजनैतिक वर्ग एवं ज्यादा मुखर मध्यम वर्ग बाजार की विचारधारा एवं अर्थव्यवस्था व विकास के नव-उदारवादी माँडलों के प्रति बिक चुकें है। हम श्रम के अनौपचारीकरण के गवाह है। जिसके परिणामस्वरूप आज 96 फीसदी कामगार असगंठित क्षेत्रों में कार्यरत है और अमीरों व गरीबों के बीच दूरी बढ रही है। इसके अलावा खाद्यान्न सुरक्षा की समाप्ति, कृषि पर हमला सहित खाद्यान्नों की कीमत में जबरदस्त बढ़ोतरी हो रही है। राजनैतिक वर्ग लोगों के मुद्दें कों शायद ही कभी हल करतें है बल्कि उन्हें अधिकतर वोट बैकं की तरह इस्तेमाल करतें हैं। सार्वजनिक अवसर, सार्वजनिक हित, सार्वजनिक पटल एवं प्राथमिकताएं इतने कम हो रहे हैं कि वे बुनियादी जरूरतों की पूर्ति भी नहीं हो पा रही है जो कि न सिर्फ वर्तमान को बल्कि भविष्य को खतरे में डाल रहे हैं। जबकि, हम यह भी नहीं भूल सकते कि सरकार द्वारा थोपे जाने वाले ‘‘आतंक के खिलाफ युद्ध,'' सैन्यीकरण एवं हिंसा की बढ़ती प्रवृत्ति से अहिंसक जन संघर्षों के लिए मुश्किलें बढ़ रही है, बल्कि साथ ही उन्हें ज्यादा महत्वपूर्ण भी बना रही हैं।
ये समय उतने निराशावादी नहीं हैं, हमारे सामूहिक प्रयासों से न सिर्फ सूचना का अधिकार कानून, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, वन अधिकार अधिनियम आदि प्रगतिशील कानून लागू हुए हैं, बल्कि ऐसी परिस्थिति भी उत्पन्न हुई जहां लोगों ने जल, जंगल, जमीन एवं खनिज आदि के लूट के हर प्रयास को जमीनी स्तर पर चुनौती दी। हम सिंगुर, नंदी ग्राम, नियमगिरि, सोमपेटा, कारला, चेंगारा एवं संघर्ष के ऐसे कई जगहों में जीत के बीच खड़े हैं। न्याय और समानता का सवाल पहले से कही ज्यादा सामने है एवं जनता, सरकार एवं कॉरपोरेशनों के बीच ‘प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार एवं नियंत्रण’ आज प्रतिवाद का केंद्र बिन्दु बन गया है। आज एनएपीएम सिर्फ समन्वय नहीं है और हमारे दायरे से बाहर भी बड़ी बिरादरी है जो कि विकल्पों के माध्यम से संघर्ष और पुनर्निर्माण में लगे हुए हैं, और सरकार एवं कॉरपोरेटों दोनों के भ्रष्टाचार, आपराधिक गतिविधियों एवं कठोरता के समक्ष निगमीकरण एवं वैश्वीकरण को चुनौती देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने हमेशा उनके बीच अवसर तैयार करने एवं चर्चा और देश में मौजूद संघर्षों व विचारधाराओं की विविधता को पर्याप्त अवसर प्रदान करने की कोशिश की है।
एक सकारात्मक पक्ष के तौर पर इसे हमारी सामूहिक जीत समझा जा सकता है कि आज सामाजिक कार्यकर्ता एवं मानव अधिकार कार्यकर्ता सरकार एवं उनके द्वारा निर्मित डिजाइनों के लिए इतना अधिक खतरा बन गये हैं कि उन्हें झूठे तौर पर ‘माओवादी’ या ‘आतंकवादी’ कहा जा रहा है। सांप्रदायिकता का जहर विभिन्न तरीके से समाज व शासन के रगो में फैल चुका है और उनसे लड़ने के लिए अलग-अलग समझ एवं रणनीति की जरूरत है। सरकार द्वारा हम पर थोपी गई सशस्त्र युद्ध एवं गैर-सरकारी एवं निजी सुरक्षा बलों द्वारा प्रतिहिंसा से ऐसी परिस्थिति पैदा हो रही है जिससे इस विकास प्रक्रिया में हाशिये में खड़े लाखो लोगों का जीवन व आजीविका को खतरा उत्पन्न हो रहा है। सांप्रदायिकता, निगमीकरण एवं अस्पष्ट जातिवाद एवं पितृसत्ता के तत्व एक साथ मिलकर न सिर्फ लोकतांत्रिक समाज के ढांचे के प्रति खतरा उत्पन्न कर रहे हैं बल्कि मौजूदा पारंपरिक लोकतंत्र के विरूद्ध लोगों के वास्तविक लोकतंत्र के सामूहिक प्रयास के लिए बाधा उत्पन्न कर रहे हैं।
आगामी दशक में अधिकार हासिल करने एवं जल, जंगल, जमीन एवं खनिज पर नियंत्रण के लिए जबरदस्त संघर्ष होने की संभावना है और इस तरह दलितों, आदिवासियों, महिलाओं, अल्पसंख्यको, मजदूरों, भूमिहीन किसानों एवं विकास में पीछे छूट गये अन्य लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करना काफी कठिन होगा। हम सरकार के ‘‘सर्वोपरि के सिद्धांत’’ को चुनौती देते हैं और सत्ता को चुनौती देते हैं क्योंकि वह सिर्फ कोंरपोरेशनों की मध्यस्थ बन चुकी है और उनके पूंजीवादी हितों की रक्षा करने के लिए सेना का इस्तेमाल करती है। चाहे भूमि अधिग्रहण हो, विस्थापन या पुनर्वास के मुद्दें हो, आज ज्यादातर का राजनीतिकरण एवं ध्रुवीकरण हो रहा है, तो जरूरत इस बात की है कि आंदोलनों एवं समर्थकों के बीच शांति एवं लोकतंत्र के माध्यम से समानता एवं न्याय सुनिश्चित करने के लिए विकास नियोजन पर ... और इस तरह एक समन्वय के लिए सहमति बने !
ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में एनएपीएम आपको आठवें द्विवार्षिक सम्मेलन में विभिन्न जन आंदोलनों एवं संगठनों को एक मजबूत समन्वय के निर्माण के लिए आमंत्रित करता है। सम्मेलन का उद्देश्य ऐसा मंच उपलब्ध कराना है जहां कि विभिन्न मुद्दों, आंदोलनों एवं नागरिक समाज के प्रतिक्रियाओं पर सामूहिक चर्चा किया जा सके और जनशक्ति एवं जन राजनीति के साथ अभिनव रणनीतियों सहित एक नयी राजनैतिक शक्ति शुरूआत करने की ओर काम किया जा सके। इसके लिए आपकी उपस्थिति एवं योगदान काफी महत्वपूर्ण है। कृपया सम्मेलन में अवश्य शामिल हों!
संभावित कार्यक्रम इस प्रकार हैं, विस्तृत कार्यक्रम बाद में प्रेषित किया जाएगा:
24 अक्तूबर: उदघाटन समारोह, विषयपरक सत्र, सांस्कृतिक कार्यक्रम
25 अक्तूबर : विषयपरक सत्र
26 अक्तूबर : समन्वयकों के दल का चुनाव, प्रस्ताव
कार्यक्रम स्थल एवं सम्पर्क व्यक्ति के बारे में मार्गदर्शन निम्नलिखित है। कृपया किसी भी अतिरिक्त जानकारी या स्पष्टीकरण के लिए नि:संकोच सम्पर्क करें। हमेशा की तरह हमारे साथ आकर ज्यादा समय बिताने, हमारे साथ काम करने, हमारे साथ वालंटियर बनने, हमें संसाधनो का सहयोग करने, या हमारे साथ यात्रा में शामिल होने के लिए आपका स्वागत है.....।
समारोह की शुरूआत नर्मदा घाटी में संघर्ष के 25 साल के कार्यक्रम के साथ होगा। उदघाटन कार्यक्रम महाराष्ट्र के धड़गांव में 22 अक्तूबर को एवं समापन मध्य प्रदेश के बड़वानी में 23 अक्तूबर 2010 होगा। इसके लिए अलग से आमंत्रण प्रेषित किया गया है। कृपया विस्तृत जानकारी के लिए लिखे: -222464@ 09423944390 @ 09423965152 @ 09420375730 @ 02595.220620
कृपया अपने आगमन के बारे में हमें सूचित करें ताकि हम पर्याप्त व्यवसथा कर सकें...। आप हमें फोन या ईमेल से सम्पर्क कर सकते हैं सादर,
एनएपीएम समन्वयक दल
दिल्ली कार्यालय:
द्वारा: ६/6, जंगपुरा बी, नयी दिल्ली, फोन- 011 - 2437 4535 / ९८१८९०५३१६/ 9868200316
राष्ट्रीय कार्यालय:
कमरा संख्या 29-30, प्रथम तल, ‘ए’ विंग, हाजी हबीब बिल्डिंग, नईगांव क्रास रोड, दादर (पूर्व), मुम्बई - 400014, फोन: 022-२४१५०५२९/9969363065
बड़वानी सम्पर्क:
नर्मदा बचाओ आंदोलन, 62 महात्मा गांधी मार्ग, बड़वानी, मध्य प्रदेश - 451551
फोन : 07290-222464, फैक्स : 07290-222549; nba.badwani@gmail.com
अन्य सम्पर्क :
असम, अखिल गोगोई/अरूपज्योति सैकिया :9435054140 / 9435557483
आध्र प्रदेश, रामकृष्ण राजू : 9866887299
बिहार, आशीष रंजन : 9973363664
छत्तीसगढ़, गौतम बंदोपाध्याय : 9826171304
दिल्ली, राजेंद्र रवि / मधुरेश : 9868200316 / 9818905316
गुजरात, आनंद मझगांवगर /स्वाति देसाई : 02640 220629 /9429556163
कर्नाटक, सिस्टर सेलिया : 9945716052
केरल, लियो जोस/हुसैन मास्टर : ९४४६०००७०१/ 9445375379
मध्य प्रदेश, श्रीकांत : 07290.222464 /9179148973
महाराष्ट्र, सुनीति आर/सिम्प्रीत सिंह : 09423571784 /9969363065
उड़ीसा, प्रफुल्ल सामंत्रा : 9437259005
तमिलनाडु, गैबरियेल डेइटरिच : 09442511292
उत्तर प्रदेश, संदीप पांडेय/ अरूंधति धुरू : 05222347365 / 9415022772
पश्चिम बंगाल, देबजीत दत्ता : ०९४३३६०२८०८
कैसे पहुंचे बड़वानी ?
बड़वानी मध्य प्रदेश का एक जिला है जो नर्मदा किनारे और इन्दौर, खंडवा (म.प्र.), बड़ौदा (गुजरात) तथा धुले (महाराष्ट्र) से करीब 4 से 5 घंटे की दूरी पर है। इंदौर बस स्टैंड से पूरे दिन, भोपाल के नये बस स्टैंड से रात को 8 बजे, खंडवा से 4 बजे शाम तक एवं बड़ौदा से 2 बजे दोपहर तक बस मिलती है।
मुंबई/पुणे से
मुम्बई व पुणे बस मार्ग से इंदौर से जुड़ा हुआ है। लगभग सभी बसें रात को चलती हैं। बस के लिए :
1. http://www.holidayiq.com
2. http://www.prasannatours.com
3. http://www.makemytrip.com
यदि आप दिन के समय यात्रा कर रहे हैं तो इंदौर के बजाय जुलवानियां उतरें एवं बस व टैक्सी से बड़वानी पहुंचे।
1। मुम्बई-इंदौर ट्रेन से भी जुड़ा हुआ है: उपलब्ध ट्रेनें :
• 2961 अवंतिका एक्सप्रेस : मुम्बई (19:05)- इंदौर (09:२०)
2. पुणे-इंदौर भी ट्रेन से जुड़ा हुआ है: उपलब्ध ट्रेनें :
• 9311 पुणे इंदौर एक्सप्रेस (मंगल, शुक्र, शनि): पुणे (15:३०)(- इंदौर (09:५०)
इंदौर से बस पकड़कर बड़वानी पहुंचे (5 घंटे)
चेन्नई/हैदराबाद से
ट्रेन से भोपाल पहुंचे। बस/साझा टैक्सी लेकर इंदौर (4 घंटे) पहुंचकर बड़वानी के लिए बस बदलें ।
बंगलोर/केरल से
ट्रेन से खंडवा पहुंचे एवं वहां से बड़वानी के लिए बस पकड़ें (4 घंटे)। उपलब्ध ट्रेनें :
• 2627 कर्नाटक एक्सप्रेस : बंगलोर (19:२०)- खंडवा (19:३५)
• 2617 मंगला एक्सप्रेस : एर्नाकुलम (10:४५)- खंडवा (22:४०)
पश्चिम बंगाल से
हावड़ा से इंदौर के लिए सीधी ट्रेन है: उपलब्ध ट्रेनें :
• 9306 क्षिप्रा एक्सप्रेस (मंगल, गुरू, शनि) : हावड़ा (17:४०)- इंदौर (03:३०)
या हावड़ा-मुम्बई मार्ग पर ट्रेन से खंडवा उतरकर बड़वानी के लिए बस (4 घंटे) ले सकते हैं।
दिल्ली से
दिल्ली से इंदौर के लिए सीधी ट्रेन है। उपलब्ध ट्रेनें :
• 2416 निजामु द्दीन इंदौर एक्सप्रेस : निजामुद्दीन (22:१५) - इंदौर (11:४०)
• 2920 मालवा एक्सप्रेस : नयी दिल्ली (19:००) - इंदौर (12:४०)
इंदौर से बड़वानी बस द्वारा (4 घंटे)