पूर्वी उत्तर प्रदेश की महिलाओं की आवाज़ : हम करते हैं अपने अधिकारों की मांग

 पूर्वी उत्तर प्रदेश  की महिलाओं की आवाज़ : हम करते हैं अपने अधिकारों की मांग
                                                     
 मऊ स्थित नगरपालिका सामुदायिक हाल में पूर्वी उत्तर प्रदेश के 10 जिलों की करीब 400 महिला नेताओं का दो दिवसीय सम्मलेन २४ मार्च को आरम्भ हुआ. दलित एवम् पिछड़े वर्ग की ये महिलायें अपनी निडरता और साहसिकता के बल पर समाज में एक नयी क्रान्ति ला रही हैं. 
‘‘ग्रामीण महिला सशस्तिकरण ’’ नामक कार्यक्रम के अंतर्गत, पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़े समुदायों की महिलाओं को एकजुट करने का सराहनीय प्रयास किया जा रहा है. अभी तक 40,000 से भी अधिक महिलाओं ने 253 ग्राम पंचायतों में नारी संघ के नाम से समूह गठित किए हैं। ये महिलाएं अपने अधिकारों, विशेषकर भोजन और रोज़गार के अधिकारों को पाने के लिए सामूहिक रूप से संघर्ष कर रहीं हैं। वे अपने राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों  को पाने के लिए भी प्रयत्नशील हैं.
सम्मलेन में भाग लेने आयी महिलाओं ने अपने साहसिक और चुनौतीपूर्ण अनुभवों की जानकारी देते हुए बताया कि किस तरह वे विपरीत परिस्थियों में रहते हुए भी अपने अधिकारों के लिए आगे बढ़कर संघर्ष में जुटी हुई हैं। संघर्ष और सफलता की अनेक मिसालें सुनने को मिलीं.
प्रतापगढ़ जिले में मंगरोरा ब्लाक के सलाहीपुर गांव के नारी संघ की अध्यक्षा बड़का देवी ने बताया कि उनके गांव का प्रधान महिलाओं को न तो जॉब कार्ड दे रहा था और न ही काम। तब उन्होंने ने गांव की 200 महिलाओं का संगठन बनाकर जाब कार्ड और काम दिए जाने की मांगों  को  लेकर विरोध -प्रदर्शन किया। महिला समूह ने प्रधान को चेतावनी दी कि अगर वह अपना कार्य सुचारू रूप से नहीं कर सकता तो अपना पद छोड़ दे।बड़का देवी को खुशी है कि 'अब पुरुषों को हम महिलाओं की बातें सुननी पड़ती है।'
बहराइच जिले में मिहिनपुर्बा ब्लाक के छलुहा नारी संघ की भानुमति ने बताया, ‘‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली का दुकानदार ‘‘कोटेदार’’ दुर्व्यवहार कर रहा था, लेकिन नारी संघ उसे लाइन पर ले आया। पहले जंगलों  में रहने वाले गांववालों  की कोई  नहीं सुनता था क्योंकि उनके पास कोई अधिकार नहीं थे। हमने जय आजादी आंदोलन शुरु किया और कोटेदार को निलंबित करवा दिया। फिर एक खुली बैठक में ग्राम  सभा की सहमति से एक नए कोटेदार का चयन किया गया।’’

गाजीपुर जिले में सदर ब्लाक के बाबेदी गांव के अम्बेडकर नारी संघ की पुष्पा देवी ने अपने समूह की उपलब्धियों  के बारे में चर्चा करते हुए कहा, ‘‘हमें मनरेगा (महात्मा गाँधी ग्रामीण रोज़गार योजना) के तहत समय पर भुगतान नहीं मिलता था। इसको  लेकर नारी संघ की महिलाओं  ने विकास खण्ड अधिकारी का घेराव किया। उसके बाद एडीओ  ने पंचायत को  समय से भुगतान का निर्देश दिया। अब हमें डरने की जरूरत नहीं है, हमें दूसरों को डराना है। हम नारी संघ के परचम के तले लड़ेंगे।’’
गाजीपुर जिले में सदर ब्लाक के अग्नि नारी महासंघ की नन्हीं देवी ने मांग की, ‘‘विकास खण्ड अधिकारी को या तो हमें मनरेगा के तहत काम देना होगा या फिर बेरोजगारी भत्ता देना होगा।’’

उत्तर प्रदेश में प्रतापगढ़ जिले के लालगंज ब्लाक में अझारा गांव से एक दलित महिला सीमा सरोज पति द्वारा प्रताड़ित थी। अमानुषिक पारिवारिक प्रतिबंधों ने उसका घर से निकलना दूभर कर दिया था.  परंतु नारी संघ से जुड़कर उन्होंने  नरेगा से संबंधित कठिनाइयों को दूर करने के लिए संघर्ष शुरु कर दिया है.
5,000 महिला सदस्यों वाले ब्लाक स्तरीय नारी मंच की अध्यक्षा पूजा, महिला अधिकारों की पैरवी करने में कामयाब रही हैं। उन्होंने  सूचना के अधिकार द्वारा भ्रष्टाचार के  खिलाफ आवाज उठाई, और महिलाओं को मनरेगा के तहत 100 दिनों का  रोजगार दिलवाया। उन्होंने  जन-दबाव के विरुद्ध जागरुकता फैलाते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली को चुस्त-दुरस्त किया और मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता की जांच की।
 अम्बेडकर नगर जिले के जलालपुर ब्लाक में सल्लाहपुर गांव की एक दलित महिला किस्मती देवी के कुशल नेतृत्व में 153-सदस्यीय नारी संघ महिलाओं  के अधिकारों और हकों के लिए काम कर रहा है।

 पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न गाँवों की बहुत सी कामयाब कहानियां हैं। इन गांवों  की महिलाएं विभिन्न प्रकार की हिंसा का  शिकार होने के बावजूद अपने अडिग और कर्मठ निर्णयों के द्वारा नारी समाज में एक नयी चेतना का उदय कर रही हैं। हम सभी को इनके साहस से प्रेरणा लेनी चाहिए. तथा प्रदेश एवम् देश के अन्य भागों में भी नारी चेतना के इस सामाजिक कार्य में सहयोग देना चाहिए. तभी एक स्वस्थ एवम् भ्रष्टाचार रहित समाज कि कल्पना साकार हो पायेगी.
शोभा शुक्ला
सिटिज़न न्यूज़ सर्विस