लोगों में जापान में हुई परमाणु त्रासदी पर संवेदना जगाने, जापान के लोगों के साथ सहानुभूति व्यक्त करने, और भारत के परमाणु कार्यक्रम को बंद करने के लिये लखनऊ में आज पी.एम.टी कॉलेज, हजरतगंज में परिचर्चा और परिवर्तन चौक पर मोमबत्ती प्रदर्शन आयोजित किया गया.
जापान में हुई परमाणु आपात स्थिति के बाद तो इस बात पर किसी संदेह का प्रश्न ही नहीं उठता है कि दुनिया में सभी परमाणु कार्यक्रमों को, चाहे वो सैन्य या उर्जा के लिये हों, उनको जितनी जल्दी संभव हो उतनी जल्दी बंद करना होगा. इन परमाणु ऊर्जा-घरों में दुर्घटनाओं और सैन्य हमले (हिरोशिमा-नागासाकी पर अटम बम) की वजह से मानवजाति ने सिर्फ अपूर्व, भयानक और अदम्य त्रासदी ही देखी है, जिसको असंख्य प्रभावित लोगों ने सदियों तक झेला है. यह तो स्पष्ट है कि परमाणु शक्ति चाहे वो ऊर्जा बनाने में लगे अथवा बम, यह सबसे खतरनाक विकल्प है. इसमें कोई शक नहीं कि समय रहते बिना विलम्ब दुनिया में परमाणु निशस्त्रीकरण हो जाना चाहिए जिससे कि 'सुरक्षा', 'ऊर्जा पूर्ति' या 'तकनीकि विकास' के नाम पर भयावही परमाणु हादसे मानवजाति को अब और न झेलने पड़ें.
हमारी मांग है कि भारत-अमरीका परमाणु समझौता और अन्य परमाणु कार्यक्रमों को भी मानवता और विश्व शान्ति के लिये तुरंत बंद किया जाए.
हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए अटम बम हमले, जो इतिहास के सबसे वीभत्स त्रासदी रहे हैं, के ६५ साल के बाद भी जिस देश ने इन हमलों को अंजाम दिया था, आज तक उस देश अमरीका ने माफ़ी नहीं मांगी है. जिस उत्साह के साथ भारत, भारत-अमरीका परमाणु समझौते को लागू कर रहा है, यह अत्यंत चिंता का विषय है.
पर्यावरण के लिए लाभकारी तरीकों से उर्जा बनाने के बजाय भारत परमाणु जैसे अत्यंत खतरनाक और नुकसानदायक ऊर्जा उत्पन्न करने के तरीकों को अपना रहा है. विकसित देशों में परमाणु ऊर्जा एक असफल प्रयास रहा है. विश्व में अभी तक परमाणु कचरे को नष्ट करने का सुरक्षित विकल्प नही मिल पाया है, और यह एक बड़ा कारण है कि विकसित देशों में परमाणु ऊर्जा के प्रोजेक्ट ठंडे पड़े हुए हैं. भारत सरकार क्यों भारत-अमरीका परमाणु समझौते को इतनी अति-विशिष्ठ प्राथमिकता दे रही है और इरान-पाकिस्तान-भारत तक की गैस पाइपलाइन को नकार रही है, यह समझ के बाहर है.
किसी भी देश क लिए ऊर्जा सुरक्षा के मायने यह हैं कि वर्तमान और भविष्य की ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति इस तरीके से हो कि सभी लोग ऊर्जा से लाभान्वित हो सकें, पर्यावरण पर कोई कु-प्रभाव न पड़े, और यह तरीका स्थायी हो, न कि लघुकालीन. इस तरह की ऊर्जा नीति अनेकों वैकल्पिक ऊर्जा का मिश्रण हो सकती है जैसे कि, सूर्य ऊर्जा, पवन ऊर्जा, छोटे पानी के बाँध आदि, गोबर गैस इत्यादि.
जापान ने कभी भी परमाणु बम नहीं बनाया पर परमाणु शक्ति का ऊर्जा के लिये इस्तेमाल किया था. परमाणु ऊर्जा भी कितनी खतरनाक हो सकती है यह जापान में हुए परमाणु आपात स्थिति से आँका जा सकता है. भारत में न केवल अनेकों परमाणु ऊर्जा-घर हैं बल्कि परमाणु बम भी है - और दुनिया में सबसे अधिक संख्या में गरीब लोग हैं. न केवल परमाणु शक्ति अत्यंत खतरनाक विकल्प है, भारत जैसे देशों के लिये परमाणु शक्ति में निवेश करना, लोगों की मूल-भूत आवश्यकताओं को नज़रंदाज़ करके 'सुरक्षा', 'ऊर्जा' के नाम पर ऐसा समझौता करने जैसा है जिसके कारणवश लोग कई गुना अधिक मार झेल रहे हैं.
भारत में शायद ही कोई ऐसा परमाणु ऊर्जा घर हो जहां कोई न कोई दुर्घटना न हुई हो. जिन स्थानों पर भारत में परमाणु कचरे को डाला जाता है, जहां परमाणु ऊर्जा घर लगे हुए हैं, जहां परमाणु खान हैं, आदि, वहाँ पर रहने वाली आबादी रेडियोधर्मिता का भीषण कुप्रभाव झेल रही है. उदाहरण के तौर पर कुछ महीने पहले ही कईगा परमाणु केंद्र में ५० से अधिक लोग रेडियोधर्मी त्रिशियम का प्रकोप झेले थे.
परमाणु दुर्घटनाओं की त्रासदी संभवत: कई पीढ़ियों को झेलनी पड़ती है जैसे कि भोपाल गैस काण्ड और हिरोशिमा नागासाकी त्रसिदियों को लोगों ने इतने बरस तक झेला. हमारी मांग है कि भारत बिना-देरी शांति के प्रति सच्ची आस्था का परिचय दे और सभी परमाणु कार्यक्रमों को बंद करे.
[एस.आर.दारापुरी, अरुंधती धुरु, रंजित भार्गव, प्रो० रंजित भार्गव, प्रो० एम.सी.पन्त, प्रो० रमा कान्त, डॉ० संदीप पाण्डेय, आनंद त्रिपाठी, एवं अन्य नागरिक]
परमाणु निशस्त्रीकरण और शांति के लिये गठबंधन, शांति एवं लोकतंत्र के लिये लखनऊ चिकित्सकों का समूह, जन-आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, आशा परिवार एवं लोक राजनीति मंच के संयुक्त तत्वावधान मे आयोजित