अब नहीं है मुझे डर

महिलाओं के साथ आये दिन होने वाली हिंसा के खिलाफ आवाज उठाते हुए लखनऊ के ‘हमसफर’ समूह ने  "अब नहीं है है मुझे डर" नामक पुस्तक का विमोचन किया। हमसफर एक महिला सहायता केन्द्र है जो कि महिला हिंसा व उत्पीड़न के खिलाफ महिलाओं के संघर्ष में उन्हें समर्थन व सहायता प्रदान करता है।
  
इस पुस्तक का यह पहला संस्करण है और इसमें हिंसा का विरोध करती महिलाओं की कहानियां प्रकाशित हुई हैं। अन्याय के खिलाफ, न्याय के लिए उठायी गई सह अवाजें हमारे समाज का ही हिंस्सा हैं। इसमें प्रकाशित उन तमाम महिलाओं की गाथा और उनके साथ हुई हिंसा वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है। करीब 12 महिलाओं की कहानियों के अलावा इस प्रकाषन में न्याय तक पहुंचने का रास्ता भी बताया गया है। इसमें संघर्षशील महिलाओं की जरूरतें जैसे स्वास्थ्य, विधिक सलाह और सहयोग को सम्बोधित करने के साथ-साथ राज्य की प्रतिक्रियाएं भी समझायी गई हैं। साथ ही इस प्रकाशन में भारतवर्ष में हो रही हिंसा से सम्बन्धित आंकड़े विस्तृत रूप में दिये गये हैं।

उत्तर प्रदेष की सच्चाई यह है कि महिलाओं के साथ अन्याय व उत्पीड़न की घटनाएं आम बात हो चुकी है। इन प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद कुछ हिम्मती महिलाएं आगे आकर हिंसा मुक्त जीवन के अधिकार को पाने के लिए संघर्ष कर रहीं हैं। ऐसी ही एक कहानी है 38 वर्षीय दलित महिला संगीता की। संगीता का पति होमगार्ड कॉन्स्टेबल के पद पर लखनऊ में नियुक्त है। संगीता को उनका पति बहुत मारता-पीटता है। और कई बार घर से निकाल चुका है। ऐसे में वह कई बार सड़कों पर रहीं हैं क्योंकि उनके पास खाने व रहने का खर्चा भी नहीं होता। उनके पति की होमगार्ड कार्यालय में नौकरी होने के कारण कोई भी पुलिस थाना उनकी शिकायत दर्ज करने को नहीं माना। ऐसे में हम सफर संस्था ने संगीता का साथ दिया।
   
राष्ट्रीय क्राईम व्यूरो के अनुसार उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के सर्वाधिक मामले हैं, जिनमें बलत्कार, अपहरण, दहेज हत्या, शारीरिक व मांसिक हिंसा व यौनिक छेड़-छाड़ जैसी घृणित घटनाएं शामिल हैं। इस अवसर पर हमसफर समूह ने इन सभी बहादुर महिलाओं का आभार प्रकट किया और साथ ही प्रकाशन  में वित्तीय सहयोग देने के लिए ‘ओक्सफेम' का भी ध्न्यवाद दिया।

निधी शाह
(लेखिका सिम्बोयोसिस इंस्टिट्यूट ऑफ़ मीडिया एंड काम्मुनिकेशन की छात्रा है )